चुनावों की तारीख का ऐलान: आज से पांच राज्यों में लागू हुई आचार संहिता, क्या कहते हैं इसके नियम-कायदे

आचार संहिता का मकसद ही चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष और साफ-सुथरा बनाना है। इसके जरिए सत्ताधारी राजनीतिक दलों को गलत फायदा उठाने से रोकना है।

जयपुर | देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो गई है। 

भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राजस्‍थान, मध्यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा की तारीखों का ऐलान किया। 

जिसके मुताबिक...
राजस्थान - 23 नवंबर को मतदान 
मध्य प्रदेश - 17 नवंबर को मतदान 
छत्तीसगढ़ - 07 नवंबर और 17 नवंबर को मतदान 
मिजोरम - 07 नवंबर को मतदान 
तेलंगाना - 30 नवंबर को मतदान 
चुनाव परिणाम - 3 दिसंबर को

चुनाव आयोग द्वारा चुनावी कार्यक्रम के ऐलान के बाद अब 5 राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। 

जिसके चलते अब सभी राजनीतिक घोषणाओं, उद्धाटनों आदि पर विराम लग गया है। 

आइए जानें क्या होती है आचार संहिता क्यों लगाई जाती है और इसके नियम-कायदे क्या होते हैं ? 

भारत निर्वाचान आयोग देश में या किसी भी राज्य में चुनाव से पहले एक अधिसूचना जारी करता है। 

जिसके बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है जो चुनावों के परिणाम आने तक जारी रहती है। 

आचार संहिता निष्पक्ष चुनाव कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

आचार संहिता का मकसद ही चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष और साफ-सुथरा बनाना है। इसके जरिए सत्ताधारी राजनीतिक दलों को गलत फायदा उठाने से रोकना है।

चुनाव आयोग द्वारा कुछ दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं जिनकों सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना अनिवार्य होता है।

आदर्श आचार संहिता लागू होते ही राज्य सरकार और प्रशासन पर कई तरह पाबंदी लग जाती है।

सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के तहत आ जाते है। 

आदर्श आचार संहिता में सरकारी मशीनरी और सुविधाओं का उपयोग चुनाव के लिए न करने और मंत्रियों तथा अन्य अधिकारियों द्वारा अनुदानों, नई योजनाओं आदि का ऐलान करने की पाबंदी रहती है।

आचार संहिता लागू होने के बाद चुनावों में प्रत्याशी और सभी राजनीतिक दल वोटर्स तक पहुंचने के लिए चुनाव सभाओं, जुलूसों, भाषणों, नारेबाजी और पोस्टरों का इस्तेमाल करते है, लेकिन इनमें किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं होनी चाहिए। 

मंत्रियों और सरकारी पदों पर तैनात लोगों को सरकारी दौरे में चुनाव प्रचार करने की इजाजत भी नहीं होती। 

आचार संहिता के दौरान सरकारी पैसे का चुनाव-प्रचार में इस्तेमाल पर पाबंदी है। 

चुनाव प्रचार के दौरान किसी की निजी जिंदगी पर प्रतिक्रिया या बयानबाजी करने और सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाले किसी भी बयान भी पाबंदी लगाई गई है।

कोई भी सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी के अलावा किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। 

किसी उम्मीदवार या पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है साथ ही  इसकी जानकारी निकटतम थाने में देना भी अनिवार्य है। 

हैलीपैड, मीटिंग ग्राउंड, सरकारी बंगले, सरकारी गेस्ट हाउस जैसी सार्वजनिक जगह सभी उम्मीदवारों के लिए समान होनी चाहिए। 

इन सारी कवायद का मकसद सत्ता के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाकर सभी उम्मीदवारों को बराबरी का मौका देना है।