मधुसूदन मिस्त्री को राजस्थान की कमान: कांग्रेस ने 25 लोकसभा सीटों पर नियुक्त किए ऑब्जर्वर,  पायलट को लेकर मधुसूदन को निभानी होगी बड़ी भूमिका

राजस्थान में पहले चुनावों की जिम्मेदारी देख चुके वरिष्ठ कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री (madhusudan mistry) को सीनियर ऑब्जर्वर और तमिलनाडू के कांग्रेस नेता शशिकांत सेंथिल को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। 

Madhusudan Mistry

जयपुर | देश में चुनावी माहौल बनता जा रहा है। जहां एक और पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है वहीं लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2023 ) की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं।

राजस्थान में कांग्रेस अपनी सियासी बिसात बिछाने में लगी हुई है। जिसके तहत कांग्रेस ने अपने सीनियर ऑब्जर्वर और ऑब्जर्वर नियुक्त करने के साथ 25 लोकसभा सीटों पर भी ऑबजर्वर नियुक्त कर दिए हैं। 

राजस्थान में पहले चुनावों की जिम्मेदारी देख चुके वरिष्ठ कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री (madhusudan mistry) को सीनियर ऑब्जर्वर और तमिलनाडू के कांग्रेस नेता शशिकांत सेंथिल को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। 

ये दोनों नेता विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार चयन, चुनाव अभियान से लेकर पूरे चुनाव पर नजर रखेंगे। साथ ही महासचिव सुरजेवाला को बतौर वरिष्ठ पर्यवेक्षक मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है।

राजस्थान के अलावा चुनावी राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तेलंगाना और मिजोरम में भी सीनियर ऑब्जर्वर और ऑब्जर्वर की नियुक्तियां की गई है।

कौन  है मधुसुदन मिस्त्री और शशिकांत सेंथिल

मधुसूदन मिस्त्री गुजरात के रहने वाले हैं। दो बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। मधुसूदन मिस्त्री को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। उन्होंने कांग्रेस के संगठन चुनाव भी करवाए थे।

वहीं आब्जर्वर के तौर पर लगाए गए शशिकांत सेंथिल कर्नाटक कैडर के IAS रहे हैं। सेंथिल 2 साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। सेंथिल तमिलनाडू मूल के हैं और उन्होंने कर्नाटक चुनावों में बेहतरीन काम किया था।

कांग्रेस ने 25 लोकसभा सीटों पर लोकसभा ऑब्जर्वर लगाए हैं। हर ऑब्जर्वर के पास 8 विधानसभा सीटें रहेंगी। ऑब्जर्वर को विधानसभा चुनावों के लिए भी जिम्मेदारी दी गई है। 

इन 25 नेताओं को बनाया लोकसभा सीटों का ऑब्जर्वर

 पायलट को लेकर चुनावों के दौरान मधुसूदन को बड़ी भूमिका निभानी होगी

मधुसूदन के लिए राजस्थान में सबसे बड़ी चुनौती सचिन पायलट को लेकर हो सकती है, क्योंकि पायलट चुनावों में अपने समर्थक विधायकों को टिकट दिलवाने की मांग करेंगे, लेकिन पार्टी ने केवल उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट देने का ऐलान किया है जो जिताऊ हो।

ऐसे में मधुसूदन को बागियों को मनाने की बड़ी समस्या को भी झेलना होगा। हालांकि, पार्टी आलाकमानों के साथ हुई बैठक के बाद से पायलट फिलहाल चुप हैं, लेकिन साढ़े चार साल तक गहलोत सरकार के खिलाफ पायलट के बगावती तेवर देखे गए हैं। ऐसे में अब चुनावों के दौरान मधुसूदन को बड़ी भूमिका निभानी होगी।