चुनाव परिणाम से पहले मुसीबत: सचिन पायलट के करीबी विधायक वेदप्रकाश सोलंकी को एक साल की सजा

अभी विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित भी नहीं हुआ है कि राजस्थान में सचिन पायलट (Sachin Pilot) के करीबी रहे एक कांग्रेस विधायक की परेशानी बढ़ गई है। 

Vedprakash Solanki

जयपुर | राजस्थान में अभी विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित भी नहीं हुआ है कि राजस्थान में सचिन पायलट (Sachin Pilot) के करीबी रहे एक कांग्रेस विधायक की परेशानी बढ़ गई है। 

राजस्थान में चाकसू से कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ( Vedprakash Solanki) को चेक बाउंस मामले में बहरोड़ कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है। 

इसी के साथ कोर्ट ने उन पर 55 लाख रुपए का जुर्माना भी  लगाया गया है। जुर्माना नहीं चुकाने पर 6 महीने सजा बढ़ सकती है। 

जानकारी के मुताबिक सोलंकी के खिलाफ रिटायर्ड PTI ने केस दर्ज कराया था। जिसके बाद बहरोड़ न्यायाधीश निखिल सिंह ने फैसला सुनाया है। 

सोलंकी के पास एक महीने का समय

हालांकि, इस मामले को लेकर अपील करने के लिए विधायक सोलंकी को एक महीने का समय दिया गया है। 

लेकिन अपील खारिज होती है तो सजा के साथ ही पीड़ित को राशि भी लौटानी पड़ेगी। 

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, 8 साल पहले सोलंकी कोटपूतली-बहरोड़ जिले के बानसूर में प्रॉपर्टी का काम करते थे। उनकी अलवर में मुंडावर क्षेत्र के गांव हुलमाना खुर्द के रहने वाले मोहर सिंह यादव (70) और वेद प्रकाश सोलंकी के बीच अच्छी जान पहचान थी।

ऐसे में वेद प्रकाश सोलंकी ने पीटीआई को प्लॉट दिलाने के लिए कई जगह उन्हें जमीन दिखाई। जिसके बाद दोनों के बीच एक प्लॉट को लेकर सौदा तय हो गया। 

तब प्लॉट दिलाने के नाम पर शिक्षा विभाग से रिटायर्ड पीटीआई से सोलंकी ने 35 लाख रुपए नगद लिए थे। 

बाद में काफी दिनों तक प्लॉट नहीं दिलाने पर मोहर सिंह ने रुपए वापस लौटने की बात कही। 

इस पर सोलंकी ने 10 सितंबर 2015 को जयपुर में एक्सिस बैंक का चेक दे दिया, लेकिन चेक बाउंस होने पर मोहर सिंह ने सोलंकी से रुपए लौटाने और चेक बाउंस होने की बात कही। 

बार-बार पीड़ित से टालमटोल करने और रुपए नहीं लौटाने पर पीड़ित ने 30 अक्टूबर 2015 को मामला दर्ज करवाया। जिसके बाद यह मामला कोर्ट में चला। 

जिसको लेकर आठ महीने बाद विधायक सोलंकी ने खुद के बचाव में 8 जुलाई 2016 को धोखाधड़ी से चेक हड़पने का मामला दर्ज कराया था। 

लेकिन मामले को बढ़ता देख 9 अक्टूबर 2019 को विधायक सोलंकी ने मोहर सिंह के साथ समझौता कर राजीनामा किया।

स्टांप पेपर पर 24 लाख रुपए लौटाने पर समझौता हुआ था। 

यह स्टांप पेपर कोर्ट में भी पेश किया गया था। इसमें तीन महीने में सोलंकी द्वारा रुपए नहीं लौटाने पर कानूनी प्रक्रिया जारी रखने की बात कही गई थी, लेकिन तीन महीने बाद सोलंकी ने मोहर सिंह को रुपए वापस नहीं लौटाए तो मोहर सिंह ने कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिया।