क्यों मार डाला गया एक साधु को: सिरोही साधु की निर्मम हत्या: उत्तमगिरि को आजीवन कारावास

1 नवंबर 2018 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शांतिनगर स्थित कार्यालय में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया। साधु वेशधारी अवधेशानंद

सिरोही, राजस्थान | 11 नवंबर 2018 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शांतिनगर स्थित कार्यालय में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया। साधु वेशधारी अवधेशानंद की उसी संघ कार्यालय में चाकुओं से गोदकर निर्मम हत्या कर दी गई।

इस हाई-प्रोफाइल हत्या मामले में आखिरकार सिरोही की जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती रूपा गुप्ता ने फैसला सुनाते हुए आरोपी उत्तमगिरि को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

घटनाक्रम: संघ कार्यालय में रक्तरंजित शव मिला
11 नवंबर की रात करीब 8 बजे पुलिस को संघ कार्यालय से गंभीर घटना की सूचना मिली।

थानाधिकारी रामप्रताप सिंह मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने देखा कि एक साधु वेशधारी व्यक्ति—बाद में जिनकी पहचान अवधेशानंद उर्फ अवधेश शर्मा पुत्र प्रेम प्रकाश शर्मा के रूप में हुई—खून से लथपथ हालत में दीवार से सटा पड़ा था। एम्बुलेंस स्टाफ ने उन्हें मृत घोषित किया।

अवधेशानंद मूलतः उत्तर प्रदेश के फैजाबाद (अब अयोध्या) जिले के निवासी थे और सिरोही में एकल विद्यालय से जुड़े कार्यों में सक्रिय थे।

घटनास्थल पर ही आरोपी उत्तमगिरि घायल अवस्था में मिले, जिन्हें इलाज के लिए सिरोही से उदयपुर रेफर किया गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट: 35 से 40 घातक चाकू के वार
अवधेशानंद के शव पर गंभीर और गहरे घाव पाए गए। मेडिकल बोर्ड द्वारा किए गए पोस्टमार्टम में यह पुष्टि हुई कि:

गर्दन की दाहिनी तरफ गहरा कटाव, जिससे सभी मुख्य धमनियाँ और श्वास व आहार नलिकाएँ कट गई थीं।
सिर, सीना, भुजा और गाल पर कई धारदार घाव।
सिर की हड्डी टूटी हुई पाई गई और मस्तिष्क में रक्तस्राव मिला।
मौत का कारण हेमरेजिक शॉक बताया गया, जो अत्यधिक रक्तस्राव के कारण हुआ।

हत्या का कारण: मनमुटाव और संगठनगत रंजिश
मृतक अवधेशानंद आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और साध्वी ऋतंभरा की योजनाओं से जुड़े रहे थे। उन्होंने संन्यास लेकर सामाजिक सेवा का मार्ग चुना और सिरोही में एकल अभियान से जुड़ गए।

अभियोजन पक्ष ने बताया कि संघ कार्यालय के अन्य कार्यों, शाखा संचालन और “रामकथा” जैसे आयोजनों में भूमिका को लेकर अवधेशानंद और संघ प्रचारक उत्तमगिरि के बीच मतभेद चल रहे थे।

गवाहों ने बताया कि अवधेशानंद ने पहले ही अपनी जान को खतरा बताया था। उन्होंने 25 अक्टूबर को एक व्हाट्सएप मैसेज में लिखा था कि उन्हें कुछ लोगों से खतरा है। यह संदेश उन्होंने गवाह इंद्रजीत सिंह को भेजा था।

गवाहों की गवाही और कोर्ट का निष्कर्ष
मामले में प्रमुख प्रत्यक्षदर्शी गवाह वागाराम (PW-3) ने बताया कि उन्होंने झगड़े के दौरान अवधेशानंद को खून से लथपथ देखा था।

हालांकि बचाव पक्ष ने वागाराम की गवाही में विरोधाभास होने का दावा किया, लेकिन न्यायालय ने माना कि यह मामूली था और आदिवासी युवक वागाराम के लिए पुलिस-कोर्ट का माहौल डरावना हो सकता है।

परिस्थितिजन्य साक्ष्य: एफएसएल रिपोर्ट से मिली पुष्टि

  • पुलिस ने घटनास्थल से निम्न साक्ष्य एकत्र किए:
  • खून से सना चाकू (हत्या का हथियार), लाठी, तौलिया, शॉल, खून से सने फर्श के टुकड़े
  • अभियुक्त उत्तमगिरि के खून से सने कपड़े – शर्ट और पाजामा
  • एफएसएल रिपोर्ट में सभी वस्तुओं पर ‘बी’ रक्त समूह का मानव रक्त पाया गया, जो मृतक अवधेशानंद का था। अभियुक्त की शर्ट पर मृतक का खून मिला, जिसका कोई स्पष्टीकरण बचाव पक्ष नहीं दे सका।

कॉल रिकॉर्ड और डिजिटल सबूत
पुलिस ने CDRs (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) और व्हाट्सएप मैसेज को भी अदालत में पेश किया। यह दिखाया गया कि घटना से पहले और दौरान अभियुक्त, मृतक और गवाहों के बीच संपर्क था। एक संदेश में मृतक ने सीधे खतरे की बात कही थी।

बचाव पक्ष का तर्क और खारिजी विश्लेषण
उत्तमगिरि के शरीर पर भी कुछ चोटें पाई गई थीं। बचाव पक्ष ने दावा किया कि 4-5 अन्य लोगों ने हमला किया था, लेकिन न तो अस्पताल में और न ही पुलिस को इस बात की सूचना दी गई। अदालत ने इसे झूठा और बाद में गढ़ा गया तर्क करार दिया।

न्यायालय का फैसला: आजीवन कारावास
सभी मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद, न्यायालय ने माना कि अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे सिद्ध कर दिया कि उत्तमगिरि ने अवधेशानंद की हत्या की है।

कोर्ट ने इसे "निर्मम हत्या" बताया और आईपीसी की धारा 302 के तहत अभियुक्त उत्तमगिरि को आजीवन कारावास और ₹10,000/- का अर्थदंड सुनाया। जुर्माना न देने की स्थिति में 6 माह की अतिरिक्त सजा का प्रावधान भी किया गया।