Sarpanches protest : गहलोत सरकार के खिलाफ सरंपचों ने खोला मोर्चा, पंचायती राज संस्थाओं पर कुठाराघात का विरोध
On 27th April, over 11,000 sarpanches in the state resolved to escalate their ongoing agitation starting from April 20, 2023, to protest against the oppression of Panchayati Raj Institutions' administrative and financial interests. Banshidhar Garhwal, the State President of Sarpanch Sangh, stated that for the pa
Jaipur:
जयपुर , 27 अप्रेल पंचायती राज संस्थाओं के प्रशासनिक एवं वित्तीय हितों पर किए जा रहे कुठाराघात के विरोध में प्रदेश के 11000 से ज्यादा सरपंचों ने 20 अप्रैल ,2023 से चल रहे आंदोलन को और अधिक तेज करने का निर्णय किया है।
सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि राजस्थान की सरकार विगत 3 वर्षों से पंचायती राज संस्थाओं एवं उनके चुने हुए जनप्रतिनिधियों को लगातार कमजोर करने का काम कर रही है ।
राजस्थान की सरकार ने सबसे पहले तो पंचायत राज संस्थाओं के चुनाव समय पर नहीं करवाए तथा चुने हुए जनप्रतिनिधियों के स्थान पर अधिकारियों को प्रशासक के रूप में लगाकर हमारे प्रशासनिक हितों पर कुठाराघात किया गया ।
उसके पश्चात विगत तीन वर्षो से केंद्र व राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान भी समय पर पंचायती राज संस्थाओं को नहीं दिया जाकर प्रदेश की 70% ग्रामीण आबादी के मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में भी बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न की जा रही है ।
सरपंच संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष क्या बोले
सरपंच संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नेमी चंद मीणा ने बताया कि वर्तमान सरकार के द्वारा वर्ष 2022– 23 के राज्य वित्त आयोग अनुदान के 2533 करोड़ रुपए में से एक भी रुपया पंचायती राज संस्थाओं को हस्तांतरित नहीं किया गया है ।
इसके अतिरिक्त वर्ष 2022 – 23 के केंद्रीय वित्त आयोग की द्वितीय किस्त के ₹1500 करोड़ रुपए का भी विगत 2 माह से राज्य सरकार उपयोग कर रही है । इस प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के 4000 करोड रुपए का राज्य सरकार अपने अन्य कार्यों के लिए उपयोग कर ग्रामीण आबादी के विकास में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है।
सरपंच संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रोशन अली ने बताया कि ग्राम पंचायतों के वित्तीय हालात बद से बदतर हो गए हैं तथा ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के पास पेयजल योजनाओं तथा विभिन्न कार्यालयों के बिजली बिल भुगतान के लिए भी राशि नहीं है।
सरपंच संघ के प्रदेश महामंत्री शक्ति सिंह रावत ने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं पर निर्भर डेढ़ लाख जनप्रतिनिधियों एवं 20 हज़ार संविदा कार्मिकों को मानदेय भत्ते देने के लिए भी राशि उपलब्ध नहीं है ।
ऐसे में सरपंचों को जनता की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति करने में भी बहुत अधिक जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है।
सरपंच संघ के मुख्य प्रवक्ता रफीक पठान ने बताया कि देश की ग्रामीण आबादी को रोजगार उपलब्ध करवाने की सबसे बड़ी महानारेगा योजना का विगत 17 वर्षो से पंचायती राज संस्थाएं सफल संचालन कर रही है लेकिन वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार दोनों के द्वारा लगातार बजट में कटौती की जा रही है ।
ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिदिन हजारों श्रमिक काम करने के बावजूद ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाने के कारण श्रम राशि से वंचित हो रहे हैं जिनके संबंध में बार-बार आग्रह के बाद भी कोई निर्णय नहीं किया जा रहा है । प्रदेश के लाखों कुशल श्रमिकों तथा सामग्री की राशि का 1 वर्ष से ज्यादा समय व्यतीत हो जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है।
प्रदेश की हजारों ग्रामपंचायत ऐसी है जिनमें महानरेगा के श्रमिकों की संख्या 3000 से ज्यादा है लेकिन प्रति ग्राम पंचायत सिर्फ 20 कार्य स्वीकृत करने की बाध्यता करने के कारण श्रमिकों का नियोजन में भी केंद्र व राज्य सरकार मिलकर बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है।
सरपंच संघ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार के आपसी झगड़े तथा विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से प्रधानमंत्री आवास योजना के 952000 पात्र लाभार्थियों के नाम काट दिए गए ।
जो प्रदेश के आवास विहीन परिवारों पर बहुत बड़ा हमला है। इन नामों को जुड़वाने के लिए प्रदेश सरपंच संघ विगत 2 वर्षों से लगातार संघर्षशील है लेकिन पत्राचार के अतिरिक्त कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है
सरपंच संघ के जयपुर जिला अध्यक्ष मेहर सिंह धनकड ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रचार प्रसार करवाकर खाद्य सुरक्षा योजना में 20 लाख से ज्यादा पात्र परिवारों का सर्वे करवाकर अपील दर्ज करवा दी गई लेकिन आज दिनांक तक उनकी अपीलों पर निर्णय नहीं कर बड़ी संख्या में पात्र परिवारों को खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ से वंचित रखा जा रहा है।
इसी प्रकार सरपंच संघ के 15 सूत्री मांग पत्र पर निर्णय नहीं करने के कारण सरपंच संघ एक बार फिर आंदोलन पर है ।
आंदोलन के प्रथम चरण में सरपंच संघ के द्वारा 13 अप्रैल को ब्लॉक स्तर जिला स्तर एवं प्रदेश स्तर पर दिया ज्ञापन दिया गया।
उसके पश्चात 20 अप्रैल से प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों के तालाबंदी कर सरपंच राज्य सरकार के प्रशासन गांवों के संग अभियान एवं महंगाई राहत शिविरों का लगातार बहिष्कार करते हुए पंचायत समिति मुख्यालय एवं उपखंड मुख्यालय पर धरना दे रहे हैं।
आंदोलन के दौरान सरपंच संघ के पदाधिकारी द्वारा सत्तारूढ़ दल के विधायक को मंत्री गणों को भी ज्ञापन देकर अवगत करवाया गया तथा इनकी सरपंच संघ के पदाधिकारियों से पंचायत राज विभाग तथा वित्त विभाग के अधिकारियों से दो दौर की वार्ता भी हुई लेकिन वार्ता अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंचने से आज सरपंच सिंह की प्रदेश कार्यकारिणी तथा जिला अध्यक्षों की जयपुर में आयोजित बैठक में सरपंच संघ ने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है ।
सरपंच संघ द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में सरपंच संघ के प्रदेश व जिला स्तर के पदाधिकारी सरपंच राजस्थान के संरक्षक भंवरलाल जानू, सरपंच संघ के संयोजक महेंद्र सिंह मझेवला, उपाध्यक्ष भंवर लाल धीवा ,सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष अर्जुन सिंह गौड़ मुकेश मीणा गणेश साहू बाबूलाल मीणा अजय लाल मीणा अक्षिता शर्मा नंदलाल मीणा हरिराम बाना मनोज मीणा शीशराम दायमा रामलाल मीणा नीतू कुमारी मीणा लल्लू प्रसाद शर्मा राधेश्याम मीणा लीलाराम कैलाश रोत प्रमोद कोटेड उषा मीना अक्षिता शर्मा प्रदीप कोरिया महादेव प्रसाद अशोक कुमार मीणा सहित प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य व पदाधिकारी उपस्थित थे
आंदोलन के चरण
1:-4 मई गुरुवार को सरपंच संघ की प्रदेश कार्यकारिणी तथा जिला अध्यक्षों के द्वारा शहीद स्मारक पर सांकेतिक धरना।
2-5 मई से 13 मई तक प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालय पर सरपंच संघ के प्रदेश पदाधिकारियों के द्वारा विरोध प्रदर्शन एवं सभाएं
3-15 मई 2023 को शहीद स्मारक से मुख्यमंत्री आवास तक महारैली एवं मुख्यमंत्री आवास का घेराव।