जयपुर | राजधानी में “पूर्वी राजस्थान क्षत्रिय समाज समागम” ऐतिहासिक उत्साह, गरिमा और सामाजिक चेतना के साथ सम्पन्न हुआ। पहली बार जयपुर में पूर्वी राजस्थान के विभिन्न जिलों — भरतपुर, धौलपुर, करौली, दौसा, अलवर, सवाई माधोपुर, बहरोड़, डीग, खेरथल-तिजारा — से समाज के सैकड़ों प्रतिनिधियों, वरिष्ठजनों और युवाओं ने एक जाजम पर एकत्र होकर सामाजिक समन्वय और अधिकारों के लिए एकजुटता दिखाई।
मुख्य ध्वजवाहक शक्ति सिंह बांदीकुई ने समाज के अस्तित्व और भागीदारी से जुड़े अहम मुद्दों को उठाते हुए जोरदार हुंकार भरी।
उन्होंने कहा कि पूरे समाज की माँग है कि आर्थिक पिछड़ो में शामिल जातीयों की जनसंख्या के आधार पर इसे बीस फ़ीसदी तक बढ़ाया जाय ।
क्या लोकतंत्र में आर्थिक पिछड़ो को राजनैतिक समानता का अधिकार नहीं ?
पंचायत राज व्यवस्था में SC/ST, OBC की तर्ज पर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए EWS आरक्षण लागू करे।
साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे EWS आरक्षण को राजस्थान की तरह सरल और व्यावहारिक बनाया जाए।”
शक्ति सिंह बांदीकुई ने कहा कि पूर्वी राजस्थान की 35 विधानसभा सीटों में सिर्फ एक राजपूत विधायक , 5 लोकसभा सीट पर एक भी सांसद नहीं , राजनैतिक पार्टियो को हमारा प्रतिनिधित्व बढ़ाना होगा,यह हमारा अधिकार है .
साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यदि इन आवश्यक सुधारों को लेकर सरकारें संवेदनशील नहीं हुईं, तो पूर्वी राजस्थान का क्षत्रिय समाज एकजुट होकर सशक्त आंदोलन के लिए भी तैयार है।
कार्यक्रम में यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने कहा कि अब आर्थिक कमजोरी प्रतिभावान बच्चो को उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती, UGPF ने एक साल से कम समय में शिक्षा के लिए चार करोड़ से अधिक राशि छात्रवृति के रूप में प्रदान की है .
इस समागम में सेवानिवृत वयोवृद्ध आई ए एस रामवीर सिंह भंवर, सीनियर सर्जन डॉ एस पी सिंह,पत्रकार भंवर पुष्पेंद्र ,पत्रकार शिवेंद्र सिंह परमार सहित अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को “पूर्वी राजस्थान क्षत्रिय समाज गौरव सम्मान” से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन “युवा शक्ति संयोजन” के तत्वावधान में वैशाली नगर स्थित खंडेलवाल गर्ल्स कॉलेज ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ, जहाँ उत्साह, विचारशीलता और सामाजिक प्रतिबद्धता का अद्भुत संगम देखने को मिला।
कार्यक्रम में समाज के प्रबुद्धजनों ने इस बात पर बल दिया कि समय की माँग है कि समाज संगठित हो, सशक्त हो और नीतिगत निर्णयों में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करे।