Highlights
- हर जुबान पर यही बात थी जब हाथों में हथकड़ियां पहने महिला और उसके जेठ को अगरतला से उदयपुर के प्रतापनगर थाने में लाया गया।
- महिला ने उम्र में 11 साल बड़े जेठ से अवैध संबंध बनाए। पति इस नाजायज रिश्ते में रोड़ा बनने लगा तो दोनों ने मिलकर उसकी हत्या करा दी।
- हत्याकांड की प्लानिंग 3 हजार किलोमीटर दूर त्रिपुरा में की गई थी और इसे अंजाम उदयपुर शहर में दिया गया था।
जयपुर | उदयपुर से घटना कोरोनाकाल के समय की ऐसी है की रिश्ते हुए तार-तार,पत्नी ने अपने से 11 साल बड़े जेठ के साथ अवैध संबंध बनाए, जेठ के साथ 12 लाख दे कर अपने पति को ठिकाने लगा दिया| और अपने पति की लाश को एक बोरे में बांध कर तालाब में फेंक दी।
उसके बाद घटना 16 नवंबर 2020, उदयपुर का लकड़वास गांव दोपहर के साढ़े तीन बजे का वक्त था उतने मे गांव के तत्कालीन उपसरपंच गंगाराम डांगी के मोबाइल की घंटी बजी।
फोन उठाया तो सामने वाले व्यक्ति ने बताया-भाईसाहब! सेक माता मंदिर के आगे उदयसागर किनारे प्लास्टिक के बोरे में लाश पड़ी है। लाश के दोनों पैर बोरे से बाहर निकले हुए हैं।
लाश का नाम सुनते ही गंगाराम चौंके, लेकिन अगले पल मौके पर जाने के लिए रवाना हो गए। घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां पहले से ही भीड़ जमा थी।
तब उन्होंने लाश मिलने की सूचना उदयपुर के प्रतापनगर (pratapnagar) थाने में दी। पुलिस ने पहुंचकर प्लास्टिक बोरे का मुंह खुलवाया और लाश को बाहर निकाला।
लाश को भारी-भरकम पत्थर से बांध कर पानी में फेंका गया था। वो पत्थर अभी भी लाश से बंधा था। मृतक ने चेक्स की शर्ट और जींस पहनी हुई थी।
पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। अखबार, टीवी और सोशल मीडिया के जरिए शव की पहचान के लिए काफी प्रयास किए।
राजस्थान के सभी थानों में शव के पास से बरामद सामान और हुलिए की जानकारी भेजी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
आखिर पोस्टमार्टम के बाद बैकुंठ धाम सेवा संस्थान से शव का अंतिम संस्कार करवा दिया गया। वहीं मृतक की पहचान के प्रयास व हत्यारों की तलाश चलती रही।
पांच महीने बाद मिला पहला चुराग
पांच महीने बीत जाने के बाद भी इस केस में पुलिस के हाथ खाली थे। इस बीच पुलिस को पता चला कि उदयपुर के कुछ बदमाश एक डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। इसके लिए वो ज्यादा पैसे भी ऑफर कर रहे हैं।
उदयपुर की जिला स्पेशल पुलिस टीम के कॉन्स्टेबल प्रहलादराम को ये चुराग मिला था। पुलिस का माथा ठनका दिया था कि आखिर वो किसका डेथ सर्टिफिकेट बनवाना चाह रहे है और इसके लिए पैसे देने को क्यों तैयार हैं?
प्रहलादराम को पता लगा कि उदयपुर का ही रहने वाला राकेश लोहार इस काम में लगा हुआ था। हालांकि वो किसका डेथ सर्टिफिकेट बनवाना चाहता था, ये अभी भी पता नहीं लग पा रहा था।
इसे पुख्ता करने के लिए कॉन्स्टेबल प्रहलादराम ने अपने मुखबिर के जरिए उस तक ये सूचना पहुंचाई कि कुछ रुपए लगेंगे और डेथ सर्टिफिकेट बन जाएगा।
हालांकि, तब राकेश लोहार ने मना कर दिया और बताया कि वो तो उसने ऐसे ही मजाक किया था। उन्हें तो किसी का भी डेथ सर्टिफिकेट नहीं बनवाना है।
प्रहलादराम के मुखबिर ने भी बाद में इसे गलत बता दिया और कहा कि शायद ये कोई मजाक था।
ऐयाशी करते पुलिस की नजर में आए
कॉन्स्टेबल प्रहलादराम ने बताया कि मुखबिर के इसे मजाक बताने के बाद भी वो ये पता लगाने में लगे रहे कि आखिर सच क्या है ?
थोड़े दिन बाद ही फिर उन्हें जानकारी मिली कि पिछले कुछ दिनों से राकेश लोहार और उसके साथ रहने वाले कुछ लड़कों के खर्चे बढ़ गए हैं और वो काफी पार्टियां कर रहे हैं।
ये कोरोना काल का समय था, जब हर कोई आर्थिक तंगी में था। ऐसे में पुलिस का उन लड़कों पर शक बढ़ गया।
प्रहलादराम ने इस बात की पूरी जानकारी ऊपरी अधिकारियों को दी और इसके बाद अत्यंत ही गुप्त तरीके से राकेश लोहार और उसके साथ रहने वाले लड़कों में से एक लड़के को उठाया गया।
सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि उसे ज्यादा तो कुछ पता नहीं है, लेकिन शायद राकेश और उसके साथियों ने कोई बड़ा कांड किया है और उन्हें इसके बदले मोटी रकम भी मिली है।
इस बीच राकेश की कॉल डिटेल से पता चला कि उसकी पिछले दिनों में असम के एक नंबर पर कई बार बात हुई है। जिस नंबर से राकेश की बात हो रही है, उसकी कुछ बार जगह (location) उदयपुर की भी आई है।
12.40 लाख में ली मर्डर की सुपारी
अब उदयपुर जिला स्पेशल पुलिस टीम ने राकेश लोहार और उसके साथियों को पकड़ा व थाने लाकर कठोरता से पूछताछ की जिसमे उन्होंने बताया वो हैरान करने वाला था।
उन्होंने करीब पांच महीने पहले त्रिपुरा अगरतला (Agartala) निवासी उत्तम दास की हत्या कर उसकी लाश को पत्थर से बांधकर एक प्लास्टिक बोरे में पैक कर उदयसागर तालाब में फेंक दिया था।
इस मर्डर के बदले में राकेश लोहार को असम निवासी तपनदास ने 12 लाख 40 हजार रुपए दिए थे। अब तपनदास (tapan das) ने उत्तमदास का फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवाने की जिम्मेदारी दी थी और इसके बदले बढ़िया रकम देने वाला था।
पूछताछ में मिली जानकारी को प्रताप नगर (pratapnagar) थाना पुलिस को भेजा गया तो पांच महीने पहले मिली अज्ञात लाश की जानकारी वेरिफाई हो गई।
पुलिस को ये पता चल गया था कि मरने वाला शख्स त्रिपुरा के अगरतला का रहने वाला उत्तम दास (39) है और उसे मरवाने वाला शख्स भी वहीं का तपनदास (50) है।
बड़ा भाई ही निकला हत्यारा
प्रतापनगर थाने से एक स्पेशल पुलिस टीम का गठन कर उन्हें तपनदास को पकड़ने के लिए अगरतला भेजा गया।
जब टीम वहां पहुंची तो हैरान रह गई। टीम जिस तपनदास को पकड़ने वहां पहुंची थी वो मृतक उत्तमदास का सगा बड़ा भाई था।
तपनदास ने 5 महीने पहले अपने घर-परिवार और रिश्तेदारों को ये बताया था कि उत्तमदास बिजनेस के काम से राजस्थान के उदयपुर (udaipur) गया था और वहीं उसकी कोरोना से मौत हो गई थी।
उसने घरवालों को बताया कि कोरोना से मरने के चलते शव को असम (asam) लाना संभव नहीं था, इसलिए अंतिम संस्कार करके वहीं पर सारी सामाजिक और धार्मिक रस्में निभा दी थी।
छोटे भाई की पत्नी से अवैध संबंध
उदयपुर पुलिस ने लोकल पुलिस की मदद से तपनदास को पकड़ लिया। पूछताछ में उसने बताया कि उसका भाई उत्तमदास शराबी था।
तपनदास के अपने छोटे भाई उत्तमदास की पत्नी रूपा (39) से अवैध संबंध थे। इसकी भनक उत्तमदास को लग गई थी और वो दोनों के बीच रोड़ा बन रहा था।
ऐसे में उसने और रूपा (RUPA) ने मिलकर उत्तमदास को खत्म करने का प्लान बनाया। तपनदास ने बताया कि उसने उदयपुर में तहसील ऑफिस में फेब्रिकेशन के काम का कोई टेंडर लिया था।
काम के चलते उसका अक्सर उदयपुर आना-जाना होता था। वहीं उसके पास राकेश लोहार नाम का लड़का काम करता था। उसने राकेश को ही अपने भाई उत्तमदास को मारने की सुपारी दे दी।
उत्तमदास को काम के बहाने से फ्लाइट से जयपुर भेजा और राहुल और उसके साथियों को उसे जयपुर एयरपोर्ट से पिकअप करने के लिए कहा।
प्लान ये था कि जयपुर से उदयपुर के रास्ते में उत्तमदास को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन तब अजमेर के आस-पास उनका ये प्लान फेल हो गया।
शराब में नींद की गोलियां मिलाकर घोंटा गला
प्लान फेल होने के बाद तपनदास भी फ्लाइट से उदयपुर पहुंचा। राकेश लुहार व उसके सभी साथी एक जगह जमा हुए। उत्तम को भी पार्टी के बहाने बुलाया गया।
सभी ने मिलकर कार में बैठकर शराब पी। इस दौरान उत्तम (uttam) की शराब (wine) में नींद की गोलियां मिला दी गई। जब वो बेहोश हो गया तो गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी।
इसके बाद उसकी लाश को पत्थर से बांधकर प्लास्टिक बैग में पैक कर उदयसागर (udaysagar) तालाब में फेंक दिया। इसके बाद तपनदास वापस फ्लाइट से ही अगरतला चला गया।
भाई और पत्नी ने घरवालों से कहा- कोरोना से मौत हो गई है
तपनदास ने अगरतला पहुंचने के बाद वहां सभी को बताया कि उत्तम बीमार है और उसे कोरोना हो गया है। इसके बाद वो उसकी पत्नी को लेकर वापस उदयपुर पहुंचा।
दोनों कुछ दिन उदयपुर में गेस्ट हाउस में रुके और जमकर अय्याशी की। इसके बाद वापस अगरतला चले गए।
वहां सभी को बताया कि उत्तम की कोरोना के चलते मौत हो गई है और उसका शव गुवाहटी लाने की परमिशन नहीं मिल पाई। इसके बाद उसका अंतिम संस्कार वहीं राजस्थान में ही कर दिया गया। घरवालों ने उन दोनों की इस कहानी पर विश्वास कर लिया।
प्रॉपर्टी के लिए डेथ सर्टिफिकेट चाहिए था
रूपा हत्या के बाद उत्तमदास की प्रॉपर्टी को खुद के नाम करवाना चाह रही थी। वहीं उसे असम सरकार से मिलने वाली कई सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए भी उत्तम दास का डेथ सर्टिफिकेट चाहिए था।
उसने तपनदास को डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कहा था। तपनदास ने एक बार फिर राकेश लोहार को ही इसका जिम्मा दिया था।
पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर केस की पूरी कहानी सामने आने के बाद तपनदास, रूपा दास, राकेश लोहार, सुरेंद्र लोहार, अजय यादव, जयवर्धन सिंह, संजय हरिजन, विष्णु समारिया, चेतन यादव और जगदीश दर्जी को गिरफ्तार कर लिया।