Highlights
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस से एक परिवार के दबाव में पाकिस्तान को क्लीन चिट देना बंद करने का आग्रह किया है।
◦ भारत अब आतंकी नर्सरी में ही आतंकियों को मिट्टी में मिलाएगा।
◦ भारत पाकिस्तान को भारत के भविष्य से खेलने नहीं देगा।
◦ भारत का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध होगा, यही संकल्प है
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विशेष चर्चा के दौरान इसे भारत के 'विजयोत्सव' का ऐलान किया, इसे आतंकवादियों के हेडक्वार्टर को 'मिट्टी में मिलाने' और 'सिंदूर की सौगंध' पूरी करने का विजयोत्सव बताया।
उन्होंने कहा कि यह भारतीय सेना के शौर्य और सामर्थ्य की विजय गाथा है, जो 140 करोड़ भारतीयों की एकता और इच्छाशक्ति की अप्रतिम जीत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने इस ऑपरेशन के दौरान सरकार का साथ दिया।
पहलगाम हमले का करारा जवाब: प्रधानमंत्री ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई क्रूर आतंकी घटना का उल्लेख किया, जहाँ आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों को उनके धर्म के आधार पर गोलियाँ मारीं। उन्होंने इसे भारत को हिंसा की आग में झोंकने का सुनियोजित प्रयास बताया। उन्होंने बताया कि हमले के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से संकल्प लिया था कि "हम आतंकियों को मिट्टी में मिला देंगे" और उनके "आकाओं को भी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी"। 22 अप्रैल को विदेश में होने के बावजूद तुरंत लौटकर बैठक की गई और सेना को आतंकवादियों को करारा जवाब देने की खुली छूट दे दी गई।
ऑपरेशन सिंदूर की अभूतपूर्व सफलता के पांच पक्ष: प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पाँच मुख्य पक्षों को देश के सामने रखा:
• तेज और निर्णायक कार्रवाई: 6-7 मई को महज 22 मिनट में ही 22 अप्रैल के हमले का बदला ले लिया गया, जबकि पाकिस्तानी सेना को भारत की बड़ी कार्रवाई का अंदाजा था और वे न्यूक्लियर धमकियाँ भी दे रहे थे, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए।
• अभूतपूर्व पहुँच: भारत ने पहली बार पाकिस्तान के उन आतंकी अड्डों को तबाह किया, जहाँ कोई सोच भी नहीं सकता था कि पहुँचा जा सकता है, जिसमें बहावलपुर और मुर्ग जैसे गढ़ भी शामिल हैं। ऑपरेशन का लक्ष्य आतंकी गतिविधियों के 'एपी सेंटर' पर हमला करना था, जहाँ पहलगाम के आतंकियों की भर्ती, ट्रेनिंग, फंडिंग और तकनीकी सहायता होती थी, और सेना ने 'शत प्रतिशत लक्ष्यों को हासिल' किया।
• न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग को ध्वस्त किया: भारत ने पाकिस्तान की न्यूक्लियर धमकी को झूठा साबित कर दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग अब नहीं चलेगी।
• तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन: भारत ने अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया, जिससे पाकिस्तान के एयरबेस एसेट्स को भारी नुकसान हुआ और आज भी उनके कई एयरबेस आईसीयू में पड़े हैं।
• आत्मनिर्भर भारत की ताकत: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पहली बार 'आत्मनिर्भर भारत' की ताकत को दुनिया ने पहचाना, जब 'मेड इन इंडिया' ड्रोन और मिसाइलों ने पाकिस्तान के हथियारों की पोल खोल दी।
सैन्य बलों का समन्वय और 'न्यू नॉर्मल': प्रधानमंत्री ने बताया कि इस ऑपरेशन में नौसेना, थल सेना और वायु सेना तीनों का संयुक्त एक्शन और उनकी तालमेल (सिनर्जी) ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक 'न्यू नॉर्मल' स्थापित किया है, जहाँ आतंकी हमलों के बाद मास्टरमाइंड्स को नींद नहीं आती, क्योंकि उन्हें पता है कि "भारत आएगा और मार के जाएगा"। ऑपरेशन सिंदूर ने यह तय कर दिया कि भारत में आतंकी हमले के लिए उनके आकाओं और पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
भारत के तीन सूत्र और वैश्विक समर्थन: भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए तीन स्पष्ट सूत्र तय किए हैं:
1. आतंकी हमला होने पर भारत अपने तरीके, अपनी शर्तों और अपने समय पर जवाब देगा।
2. कोई न्यूक्लियर ब्लैकमेल नहीं चलेगा।
3. आतंकी सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखा जाएगा।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने से नहीं रोका, बल्कि क्वाड, फ्रांस, रूस, जर्मनी सहित तमाम देशों से भारत को समर्थन मिला। उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान केवल तीन देशों ने पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया।
विपक्ष पर तीखा हमला: 'पाकिस्तान के रिमोट कंट्रोल पर कांग्रेस': प्रधानमंत्री ने विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी पर, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति करने और देश के सशस्त्र बलों के मनोबल को गिराने का आरोप लगाया। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद कांग्रेस द्वारा सबूत मांगे जाने, फोटो मांगने और पाकिस्तान के दुष्प्रचार को बढ़ावा देने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की कोशिश की और उनके बयान पाकिस्तान के बयानों से 'फुल स्टॉप कॉमा के साथ एक' मिलते हैं। पीएम ने कारगिल विजय दिवस न मनाने, डोकलाम में चुपके से ब्रीफिंग लेने, बाटला हाउस एनकाउंटर पर आंसू बहाने और 26/11 मुंबई हमले पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने यहाँ तक कहा कि 'अब कांग्रेस का भरोसा पाकिस्तान के रिमोट कंट्रोल से बनता है और बदलता है'।
भारत की हवाई रक्षा प्रणाली का गौरव: प्रधानमंत्री ने देश की हवाई रक्षा प्रणाली की अभूतपूर्व क्षमता का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 9 मई को पाकिस्तान ने करीब 1000 मिसाइलों और आर्म ड्रोन्स से भारत पर बहुत बड़ा हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारत की एयर डिफेंस सिस्टम ने उन सभी को आसमान में ही चूर-चूर कर दिया।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और ऐतिहासिक सुधार: प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर बीते दशक में भारत की सेना के सशक्तिकरण का 'साक्षात प्रमाण' है। उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकारों पर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के बारे में न सोचने और हर रक्षा सौदे में घोटाले करने का आरोप लगाया। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा किए गए बड़े सुधारों का उल्लेख किया, जैसे:
• रक्षा उत्पादन कंपनियों में सुधार और निजी क्षेत्र के लिए दरवाजे खोलना।
• चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति, जो आजादी के बाद का पहला बड़ा सैन्य सुधार था।
• पिछले एक दशक में रक्षा बजट तीन गुना, रक्षा उत्पादन करीब 250% और रक्षा निर्यात 30 गुना से भी ज्यादा बढ़ा है, जिससे भारत के हथियारों की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक स्पष्ट विज़न और नीति के साथ आगे बढ़ रहा है।
ऐतिहासिक गलतियों का जिक्र: प्रधानमंत्री ने कांग्रेस सरकारों पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और कई ऐतिहासिक गलतियाँ करने का आरोप लगाया। उन्होंने पीओके को पाकिस्तान के कब्जे में जाने देने, अक्साई चीन की 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन गँवाने, हाजीपीर पास को वापस लौटाने, 1971 के युद्ध के बाद भी पीओके वापस न लेने, और कछथीवू द्वीप श्रीलंका को 'गिफ्ट' कर देने जैसी घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने विशेष रूप से 'सिंधु जल समझौते' को 'भारत की अस्मिता और स्वाभिमान के साथ किया गया बहुत बड़ा धोखा' बताया।
इस समझौते में, उन्होंने कहा, भारत से निकलने वाली नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया गया और यहाँ तक कि बांधों में जमा होने वाली मिट्टी साफ न करने की शर्त भी मान ली गई।
'ऑपरेशन सिंदूर जारी है': अपने संबोधन के अंत में, प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि "ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, ऑपरेशन सिंदूर जारी है"। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान के लिए भी एक नोटिस है कि "जब तक भारत के खिलाफ आतंक का रास्ता रोकेगा नहीं तब तक भारत एक्शन लेता रहेगा"। उन्होंने कांग्रेस से अपील की कि वे 'एक परिवार के दबाव में पाकिस्तान को क्लीन चिट देना बंद कर दें' और देश की जीत के क्षणों को उपहास का क्षण न बनाएँ। उन्होंने दोहराया कि भारत अब 'आतंकी नर्सरी में ही आतंकियों को मिट्टी में मिलाएगा' और 'पाकिस्तान को भारत के भविष्य से खेलने नहीं देगा'।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है और आत्मनिर्भरता के मंत्र के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने देश को युद्ध का नहीं, बुद्ध का देश बताया, लेकिन यह भी कहा कि 'समृद्धि का और शांति का रास्ता शक्ति से ही गुजरता है'।
• सत्र का महत्व: यह सत्र भारत के विजयोत्सव और गौरव गान का सत्र है। प्रधानमंत्री ने इसे आतंकी हेड क्वार्टर्स को मिट्टी में मिलाने, 'सिंदूर की सौगंध' पूरी करने, भारत की सेना के शौर्य और सामर्थ्य की विजय गाथा बताने, और 140 करोड़ भारतीयों की एकता और इच्छाशक्ति की जीत का विजयोत्सव बताया है।
• पहलगाम हमला (22 अप्रैल): 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा निर्दोष लोगों की उनके धर्म पूछकर हत्या की घटना को क्रूरता की पराकाष्ठा बताया गया। इसे भारत को हिंसा की आग में झोंकने और दंगे फैलाने का सुविचारित प्रयास कहा गया, जिसे देश ने एकता के साथ नाकाम किया।
• भारत का संकल्प और कार्यवाही: प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से संकल्प लिया था कि आतंकियों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा और उनके आकाओं को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। पहलगाम हमले के तुरंत बाद, सेना को आतंकवाद के खिलाफ करारा जवाब देने की खुली छूट दे दी गई, और यह राष्ट्रीय संकल्प है।
• ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पाँच पक्ष:
1. पहला पक्ष (तत्काल बदला): पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी सेना को भारतीय कार्रवाई का अंदाज़ा था और उन्होंने न्यूक्लियर धमकियाँ देना शुरू कर दिया था। भारत ने 6 मई रात और 7 मई सुबह तय योजनानुसार कार्रवाई की और पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया। 22 अप्रैल का बदला 22 मिनट में निर्धारित लक्ष्य के साथ ले लिया गया।
2. दूसरा पक्ष (अभूतपूर्व पहुँच): भारत ने ऐसी जगहों पर आतंकी अड्डों को तबाह किया जहाँ पहले कभी नहीं गए थे, जैसे बहावलपुर और मुर्ग।
3. तीसरा पक्ष (न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग का खात्मा): भारत ने साबित कर दिया कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग अब नहीं चलेगी और भारत इसके सामने झुकेगा नहीं।
4. चौथा पक्ष (तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन): भारत ने अपनी तकनीकी क्षमता दिखाते हुए पाकिस्तान के एयरबेस एसेट्स को भारी नुकसान पहुँचाया, जिससे उनके कई एयरबेस आज तक ICU में पड़े हैं। ऑपरेशन सिंदूर तकनीकी आधारित युद्ध में सफल रहा।
5. पाँचवा पक्ष (आत्मनिर्भर भारत की पहचान): पहली बार दुनिया ने 'आत्मनिर्भर भारत' की ताकत को पहचाना। मेड इन इंडिया ड्रोन और मेड इन इंडिया मिसाइलों ने पाकिस्तान के हथियारों की पोल खोल दी।
• 'न्यू नॉर्मल' स्थापित: पहले आतंकवादी मास्टरमाइंड निश्चिंत रहते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। हमले के बाद मास्टरमाइंडों को नींद नहीं आती, उन्हें पता है कि भारत आएगा और मार के जाएगा – यह भारत ने 'न्यू नॉर्मल' स्थापित किया है।
• कार्यवाही का दायरा: ऑपरेशन सिंदूर ने सिंदूर से लेकर सिंधु तक पाकिस्तान पर कार्रवाई की है। अब पाकिस्तान को आतंकी हमलों की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
• भारत के तीन सूत्र:
1. अगर भारत पर आतंकी हमला हुआ तो भारत अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर और अपने समय पर जवाब देगा।
2. कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल अब नहीं चलेगा।
3. भारत आतंकी सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेगा।
• अंतर्राष्ट्रीय समर्थन: किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा में कार्रवाई करने से नहीं रोका। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया। क्वाड, फ्रांस, रूस, जर्मनी सहित तमाम देशों से भारत को समर्थन मिला।
• विपक्ष (कांग्रेस) की आलोचना:
◦ प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर भारत के वीरों के पराक्रम को समर्थन न देने और पहलगाम के निर्दोष लोगों की हत्या में अपनी राजनीति तलाशने का आरोप लगाया।
◦ कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर पर लगातार सवाल उठाए और सीमा पार से फैलाए गए प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाया।
◦ सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी कांग्रेस ने सबूत माँगे और सेना पर अविश्वास जताया।
◦ अभिनंदन की वापसी और BSF जवान की वापसी पर भी कांग्रेस ने नकारात्मक बयानबाजी की।
◦ ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के मुद्दे पर भी विपक्ष पर सवाल उठाने का आरोप लगाया गया।
◦ कांग्रेस पर सेना के प्रति नकारात्मक रवैया रखने और कारगिल विजय दिवस न मनाने का आरोप लगाया गया।
◦ प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रही है और पहलगाम के आतंकियों के पाकिस्तानी होने का सबूत माँग रही है, जो पाकिस्तान भी माँग रहा है।
◦ कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर को 'तमाशा' कहा, जिसे प्रधानमंत्री ने 26 निर्दोष लोगों की मौत पर 'तेज़ाब छिड़कने वाला पाप' बताया।
◦ ऑपरेशन महादेव के समय को लेकर भी विपक्ष पर सवाल उठाने का आरोप लगाया गया।
• भारतीय वायु रक्षा प्रणाली की क्षमता: 9 मई को पाकिस्तान ने भारत पर करीब 1000 मिसाइलों और आर्म्ड ड्रोनों से हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने उन सभी को आसमान में ही चूर-चूर कर दिया।
• पाकिस्तानी डीजीएमओ का फोन: पाकिस्तान ने जब हमला करने की हरकत की, तो भारत की सेना ने ऐसा करारा जवाब दिया कि पाकिस्तान को घुटनों पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने फोन करके भारत से हमला रोकने की गुहार लगाई।
• अमेरिका के उपराष्ट्रपति से बात: 9 मई की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी से बात करने का प्रयास किया था। प्रधानमंत्री ने उन्हें बाद में कॉल बैक किया, जिस पर उपराष्ट्रपति ने पाकिस्तान के बड़े हमले की जानकारी दी। प्रधानमंत्री का जवाब था: "अगर पाकिस्तान का यह इरादा है तो उसे बहुत महँगा पड़ेगा" और "हम गोली का जवाब गोले से देंगे"।
• ऑपरेशन सिंदूर जारी है: प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, बल्कि जारी है। जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंक का रास्ता नहीं रोकेगा, तब तक भारत कार्रवाई करता रहेगा।
• आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता: आज का भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है और आत्मनिर्भरता के मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
• सैन्य सशक्तिकरण और सुधार (बीते दशक में):
◦ भारत की सेना के सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है ऑपरेशन सिंदूर।
◦ कांग्रेस के शासन में सेना को आत्मनिर्भर बनाने के बारे में सोचा तक नहीं जाता था और रक्षा सौदों में घोटाले होते थे।
◦ वर्तमान सरकार ने 'मेक इन इंडिया' हथियारों पर जोर दिया, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक भूमिका निभाई।
◦ आज़ादी के बाद पहली बार रक्षा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए गए हैं, जैसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति। तीनों सेनाओं में जॉइंटनेस और इंटीग्रेशन से ताकत कई गुना बढ़ी है।
◦ रक्षा उत्पादन कंपनियों में सुधार किए गए और निजी क्षेत्र के लिए भी रक्षा के दरवाजे खोले गए हैं।
◦ रक्षा बजट लगभग तीन गुना बढ़ा है, रक्षा उत्पादन में करीब 250% वृद्धि हुई है, और रक्षा निर्यात 30 गुना से भी ज्यादा बढ़कर लगभग 100 देशों तक पहुँच गया है।
◦ भारत बुद्ध (शांति) का देश है, लेकिन शांति का रास्ता शक्ति से गुजरता है।
• कांग्रेस सरकार की ऐतिहासिक गलतियाँ (राष्ट्रीय सुरक्षा पर):
◦ पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर): कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान को POK पर कब्जा करने का अवसर दिया।
◦ अक्साई चिन: 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन खोई, जिसे 'बंजर जमीन' करार दिया गया।
◦ जम्मू-कश्मीर (1962-63): कांग्रेस नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों को 'लाइन ऑफ पीस' के नाम पर छोड़ने का प्रस्ताव रखा।
◦ रण ऑफ कच्छ (1966): कांग्रेस ने मध्यस्थता स्वीकार की और करीब 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप दिया, जिसमें छड़बेट भी शामिल था।
◦ हाजीपीर पास (1965 युद्ध): भारतीय सेना ने जीता था, लेकिन कांग्रेस ने इसे फिर लौटा दिया।
◦ 1971 युद्ध: 93,000 पाकिस्तानी सैनिक बंदी थे और हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा था, लेकिन POK वापस लेने का मौका छोड़ दिया गया, यहाँ तक कि करतारपुर साहब भी नहीं लिया गया।
◦ कच्छतीवू (1974): श्रीलंका को उपहार में दे दिया गया, जिससे तमिलनाडु के मछुआरों को परेशानी होती है।
◦ सियाचिन: 2014 से पहले कांग्रेस का इरादा सियाचिन से सेना हटाने का था।
◦ 26/11 मुंबई हमला: इस भयानक हमले के बाद भी कांग्रेस का पाकिस्तान से प्रेम नहीं रुका, हमले के हफ्तों भीतर ही बातचीत शुरू कर दी। एक भी राजनयिक को बाहर नहीं निकाला, एक भी वीजा रद्द नहीं किया, और पाकिस्तान को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) का दर्जा देकर रखा।
◦ सिंधु जल समझौता (नेहरू): भारत के हितों को गिरवी रखने का सबसे बड़ा उदाहरण बताया गया।
▪ भारत से निकलने वाली नदियों के पानी पर वर्ल्ड बैंक को पंचायत दी।
▪ 80% पानी पाकिस्तान को और सिर्फ 20% पानी भारत को देने पर सहमत हो गए।
▪ पाकिस्तान को नहरें बनाने के लिए करोड़ों रुपये भी दिए।
▪ बांधों में जमा मिट्टी (सिल्ट) की सफाई (डिसिल्टिंग) न करने की शर्त स्वीकार की गई।
▪ प्रधानमंत्री ने कहा कि नेहरू जी को बाद में यह गलती माननी पड़ी।
▪ वर्तमान सरकार ने इस समझौते को देश हित और किसानों के हित में 'एबियंस' (निरंबित) कर दिया है, यह तय किया गया है कि "खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते"।
• आतंकवाद और तुष्टीकरण की राजनीति:
◦ 2014 से पहले देश में असुरक्षा का माहौल था, हर जगह बमों का डर रहता था।
◦ कांग्रेस की कमजोर सरकारों के कारण देश को जानें गँवानी पड़ी।
◦ 2004 से 2014 के बीच आतंकी घटनाओं में बड़ी कमी आई है।
◦ कांग्रेस के राज में आतंकवाद इसलिए फला-फूला क्योंकि उनकी तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति थी।
◦ बाटला हाउस एनकाउंटर में कांग्रेस के एक नेता की आँख में आंसू थे क्योंकि आतंकवादी मारे गए थे।
◦ 2001 संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु को 'बेनिफिट ऑफ डाउट' देने की बात कही गई।
◦ 26/11 मुंबई हमले के बाद कांग्रेस पार्टी इसे 'भगवा आतंक' सिद्ध करने में जुटी थी और 'हिंदू आतंकवाद' की थ्योरी बेच रही थी।
◦ तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में भारत के संविधान को पैर नहीं रखने दिए और आतंकवाद से जुड़े कानूनों को कमजोर किया।
• निष्कर्ष और भविष्य का संकल्प:
◦ दलहित में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देशहित में मन मिलने चाहिए।
◦ ऑपरेशन सिंदूर और आत्मनिर्भरता अभियान ने देश में एक 'सिंदूर स्पिरिट' पैदा की है।
◦ प्रधानमंत्री ने कांग्रेस से एक परिवार के दबाव में पाकिस्तान को क्लीन चिट देना बंद करने का आग्रह किया है।
◦ भारत अब आतंकी नर्सरी में ही आतंकियों को मिट्टी में मिलाएगा।
◦ भारत पाकिस्तान को भारत के भविष्य से खेलने नहीं देगा।
◦ भारत का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध होगा, यही संकल्प है।