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आतंकवाद को घर में घुसकर मारने वाला भारत अब बदल चुका है
नई दिल्ली, संसद भवन – रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत और ऐतिहासिक बयान देते हुए न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता को सलामी दी, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर भारत की नई निर्णायक नीति को भी पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया। यह संबोधन सिर्फ एक बयान नहीं था, बल्कि भारत के आत्मसम्मान, संप्रभुता और सैन्य संकल्प का उद्घोष था।
वीर जवानों को राष्ट्र की श्रद्धांजलि
अपने भाषण की शुरुआत में रक्षा मंत्री ने उन सभी वीर जवानों को नमन किया, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता की रक्षा करते हुए बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, भारत की सैन्य क्षमता और राष्ट्रीय नीति की निर्णायकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की संप्रभुता और नीति का सशक्त प्रदर्शन
मंत्री ने बताया कि 6 और 7 मई 2025 को भारतीय सेनाओं ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से एक उच्चस्तरीय सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं था, बल्कि यह हमारी संप्रभुता, अस्मिता और आतंकवाद के विरुद्ध हमारी शून्य सहिष्णुता नीति का स्पष्ट और सशक्त प्रदर्शन था।
पहलगाम हमले के बाद लिया गया निर्णय
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली की हत्या ने भारत की सहनशक्ति की परीक्षा ली। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों को निर्देश दिया कि वे अपने विवेक से निर्णायक कार्रवाई करें।
ऑपरेशन की रणनीति और निष्पादन
भारतीय सैन्य नेतृत्व ने रणनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए उन लक्ष्यों को चिह्नित किया जिनसे आतंकवादियों को अधिकतम क्षति पहुँचे, लेकिन आम नागरिकों को कोई हानि न हो। 7 मई को रात्रि 1:35 बजे ऑपरेशन आरंभ हुआ। इस दौरान PoK के मुजफ्फराबाद, कोटली, भीमबर और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहावलपुर, मुरीदके सहित नौ आतंकी ठिकानों को सटीकता से ध्वस्त किया गया।
आतंकियों के आकाओं को दी गई सज़ा
सेनाओं ने सात आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूद कर दिया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य केंद्र शामिल थे। भारतीय वायु सेना और थल सेना की इस संयुक्त कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकी, प्रशिक्षक और हैंडलर मारे गए।
पाकिस्तान की जवाबी कोशिशें और भारत की ठोस प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने हमले के बाद उकसावे की नीति अपनाते हुए भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली — जिसमें S-400, आकाश मिसाइल, और काउंटर यूएएस सिस्टम शामिल थे — ने इस हमले को विफल कर दिया। इसके प्रत्युत्तर में भारत ने पाकिस्तान के वायु रक्षा नेटवर्क, एयरबेस और कमांड सेंटर को ध्वस्त कर दिया।
युद्ध की समाप्ति नहीं, विराम हुआ है
मंत्री ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने जब संघर्ष विराम की अपील की, तब भारत ने यह शर्त रखी कि यह केवल स्थगन है, समाप्ति नहीं। यदि भविष्य में कोई भी दुस्साहस हुआ, तो ऑपरेशन सिंदूर दोबारा भी हो सकता है।
विपक्ष पर तीखा हमला
रक्षामंत्री ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सवाल यह नहीं होना चाहिए कि हमारे कितने विमान गिरे, बल्कि यह होना चाहिए कि क्या आतंकियों को मारा गया और ऑपरेशन सफल रहा? उन्होंने कहा कि जब लक्ष्य बड़ा हो, तो छोटे मुद्दों पर बहस से सैनिकों का मनोबल गिरता है।
भारत की शांति नीति बनाम पाकिस्तान की आतंक नीति
रक्षा मंत्री ने भारत की दीर्घकालिक शांति नीति को रेखांकित करते हुए अटल जी की लाहौर यात्रा, मनमोहन सिंह की दोस्ती की पहल और मोदी जी की लाहौर यात्रा का ज़िक्र किया। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा भारत की शांति को उसकी कमजोरी समझा।
उन्होंने दो टूक कहा, “अब भारत वह देश नहीं रहा जो सिर्फ डोज़ियर्स थमाता था, अब भारत आतंकियों को घर में घुसकर मारता है।”
पाकिस्तान के आतंकवाद की रणनीति पर हमला
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद की “नर्सरी” करार दिया और बताया कि कैसे उसकी सेना और ISI आतंकवाद को प्रॉक्सी वॉर के रूप में इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा कि भारत का पाकिस्तान से सीमा विवाद नहीं है, यह “सभ्यता बनाम बर्बरता” का संघर्ष है।
वैश्विक मंचों पर भारत की निर्णायक भूमिका
SCO, BRICS और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत और निर्णायक स्टैंड लिया। उन्होंने बताया कि ब्रिक्स घोषणापत्र में पहली बार जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमलों की निंदा हुई, जो मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत है।
पिछली सरकारों की चूकें और वर्तमान की निर्णायक नीति
मंत्री ने शर्म अल-शेख और हवाना की घटनाओं को भारत की रणनीतिक चूक बताते हुए कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का शिकार बताना नासमझी थी। उन्होंने कहा कि अब भारत की नीति स्पष्ट है: आतंकवाद और वार्ता साथ नहीं चल सकते।
‘संघच्छध्वं संवदध्वं’ की अपील
अपने संबोधन के अंत में मंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि अब समय है कि हम दलगत राजनीति से ऊपर उठकर “संघच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्” के मंत्र से प्रेरणा लें और राष्ट्र की सुरक्षा, एकता और आत्मसम्मान के संकल्प को मजबूत करें।
राजनाथ सिंह का यह संबोधन केवल एक सैन्य ऑपरेशन की जानकारी नहीं, बल्कि एक सशक्त राष्ट्र की परिभाषा था—जो शांति की बात भी करता है और आवश्यकता पड़ने पर युद्धभूमि में अपने शौर्य का प्रदर्शन भी। भारत अब आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए न केवल तैयार है, बल्कि पूरी तरह संकल्पबद्ध भी है।