मंत्री के.के.विश्नोई ने की प्रेस वार्ता: वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान की दी जानकारी

वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान की दी जानकारी
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जालोर 5 जून। प्रभारी मंत्री के.के.विश्नोई ने राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग व प्रभारी सचिव विश्व मोहन शर्मा की उपस्थिति में वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान के संबंध में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आयोजित होने वाली गतिविधियों की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी। 
प्रभारी मंत्री के.के.विश्नोई ने गंगा दशहरा और विश्व पर्यावरण दिवस के पावन संयोग की सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस शुभ अवसर पर ‘‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने पर्यावरण संरक्षण, जल में आत्मनिर्भरता, विकसित राजस्थान जैसे लक्ष्यों को एक साथ साधने का दुर्लभतम प्रयास कर दूरगामी फ्यूचरिस्टिक सोच का परिचय दिया है। गत वर्ष मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हरियाली राजस्थान सघन वृक्षारोपण, एक पेड़-माँ के नाम जैसे अभियान को सफल बनाया गया।
उन्होंने कहा कि यूएनईपी ने वर्ष 1973 से विश्व पर्यावरण दिवस वार्षिक रूप से मना कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन चेतना को जागृत किया और आज भी निरंतर हर वर्ष पर्यावरण संरक्षण के किसी नए विषय पर जागरूकता अभियान चलाता है। इस बार प्लास्टिक पोल्युशन मुख्य मुद्दा रहा है। आज तक हमने जल, वायु, ध्वनि प्रदूषण के बारे में सुना। पर मानवीय गतिविधियों ने एक नए प्रदूषण प्लास्टिक प्रदूषण को जन्म दिया है। जिसके कारण हमारी हवा में भी माइक्रोप्लास्टिक घुल गया है। इसी मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए माननीय मुख्यमंत्री ने ‘‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान“ पखवाड़े में एक दिन ‘नो प्लास्टिक-डे’ मनाने का आह्वान किया है।
प्रभारी मंत्री ने कहा कि पर्यावरण के साथ ताल मेल बैठा कर एक युक्तियुक्त जीवन जीना हमारा धर्म रहा है। ऋग्वेद में वरुण (जल) हमारे मुख्य देवता रहे हैं। हमने शरीर को पंचतत्वों जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना माना है। यानी मनुष्य जाति के जीवन की कल्पना इसके बिना नहीं हो सकती। हम सदियों से पेड़ों की पूजा करते आए हैं। पर्यावरण को संरक्षित रखना हमारे दर्शन का मूल है। परंतु जब हमने इस मूल को छोड़ा तो प्रकृति ने भी अपना रौद्र रूप दिखाया। मैं यहाँ गुरु जम्भेश्वर भगवान की शिक्षाओं का जिक्र करना चाहूँगा। रूख लीलो ना काटे, जीव दया पालनी। इस से बड़ी पारिस्थितिकी संतुलन की क्या बात हो सकती है। 
मैं यहाँ भारत के मशहूर पर्यावरणविद कैलाश सांखला के इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेख का जिक्र करना चाहूँगा। जिसमे वह लिखते है कि पहली बार कब वे पश्चिमी राजस्थान के गाँव में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी कर रहे थे तो एक महिला अपने झोंपड़े से बाहर आकर हिरण को वहाँ से हटा देती है। क्योंकि उसको डर था कि कहीं हम शिकारी तो नहीं। उनको आश्चर्य था कि गाँवों में ऐसे समाज और लोग भी हैं, जो जीवों के संरक्षण को सर्वोपरि मानते है।
प्रभारी मंत्री ने कहा कि गंगा दशमी के दिन भगीरथ देवलोक से माँ गंगा को धरती पर लाए, आज माननीय मुख्यमंत्री प्रदेश के लिए भागीरथ बने है और गंगा सी पवित्र जल की बूंदों को सहेज कर राज्य को जल में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। मेरा आप सभी से आग्रह है आइए, प्रदेश सरकार की इस मुहिम को जनआंदोलन बना कर विश्व के समक्ष जल संरक्षण का नया अध्याय पेश करें। हम प्रण लेवे कि जिस पृथ्वी को हम माँ कहते है उसको हरा भरा खुश हाल बनाने में अपना योगदान दें।
उन्हांने जिले में 5 से 20 जून तक आयोजित हो रहे वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान के तहत आयोजित होने वाली गतिविधियों की रूपरेखा के बारे में विस्तृत जानकारी दी। 
इस अवसर पर जिला कलक्टर डॉ. प्रदीप के. गावंडे, जिला पुलिस अधीक्षक ज्ञानचन्द्र यादव, अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेश मेवाड़ा, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नंदकिशोर राजोरा सहित प्रिन्ट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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