राजस्थान का बेटा, गुजरात में हीरो: भवानी सिंह शेखावत ने जान पर खेलकर बचाई कई जिंदगियां
अहमदाबाद हर आपदा के बीच एक उम्मीद की किरण होती है, और अहमदाबाद प्लेन क्रैश हादसे में यह मसीहा बनकर सामने आए राजस्थान के जुनसिया बधाल गांव के युवा भवानी सिंह शेखावत। वर्तमान में अहमदाबाद में रहने वाले भवानी ने, अपनी जान की परवाह किए बिना, इस भीषण अग्नि हादसे में कई जिंदगियां बचाईं और हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने।
हादसे के वक्त भवानी अपने घर पर थे जब उनके अंकल, गिरवर सिंह शेखावत, के पास प्लेन क्रैश की सूचना आई। तुरंत ही, वह सड़क पर पहुंचे और आसमान में काला धुआं और गुब्बारा जैसा फूला हुआ देखा।
स्थानीय होने के कारण शॉर्टकट रास्तों से वह एक्टिवा पर सवार होकर, एक दीवार कूदकर मौके पर पहुंचे। अंदर जाते ही उन्होंने देखा कि स्टूडेंट कैंटीन के बाहर भारी भीड़ थी और पहली मंजिल पर सात-आठ लड़के मदद कर रहे थे। भवानी भी उनके साथ ऊपर गए और मदद करने लगे।
उन्होंने देखा कि किचन की तरफ आग लगी हुई थी और प्लेन का हिस्सा पीछे की तरफ घुसा हुआ था। जैसे ही वे किचन की तरफ बढ़े, गैस सिलेंडर इधर-उधर भाग रहे थे, जिसके कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा।
भवानी ने कमांडो टीम को आते देखा और उन्हें सलाह दी कि वे पहले किचन के अंदर पाइप लाकर आग बुझाएं, क्योंकि ऊपर पानी डालने से कच्ची दीवार बन चुकी प्लेन का हिस्सा कभी भी गिर सकता था। उन्होंने कमांडोज से पाइप और नोजल लेकर उसे सीढ़ी के माध्यम से ऊपर खींचा, जिसके बाद कमांडो ऊपर आए।
भवानी और कमांडोज़ ने मिलकर किचन में आग बुझाई और वहां मौजूद सिलेंडरों को खिड़की के रास्ते बाहर फेंका। उन्होंने 15-20 छात्रों और मेडिकल स्टाफ के बच्चों को पकड़कर नीचे पहुंचाया।
इस बचाव कार्य के दौरान भवानी को भी चोटें आईं। जब वह वापस आए, तो उन्होंने प्रवेश द्वार पर एक महिला का आधा कटा हुआ पांव साड़ी के साथ देखा। वहां से कुछ सामान हटाने के दौरान उनकी आंख में केमिकल गिर गया। वह नीचे गए, अपनी आंखें पानी से धोईं, और वापस ऊपर आए।
किचन में धुएं के कारण उनके पेट में दर्द होने लगा और वे वहीं बैठ गए। उनके दोस्त और सहकर्मी रवि ने उन्हें एम्बुलेंस में जाने के लिए कहा और उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया।
भवानी के इस साहसिक कार्य की देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रशंसा की और उनसे पूरी कहानी जानी। इसके अलावा, स्थानीय सांसद दिनेश भाई मकवाना और विधायक सहित कई बड़े नेता उनसे मिलने आए और उनके कार्य की सराहना की। डॉक्टरों ने भी घायलों की अच्छी सेवा की।
भवानी ने फ्लाइट के एक घायल यात्री से भी बात की, जो उनके बगल में था। यात्री ने बताया कि उसे पता नहीं कैसे वह बाहर निकल पाया। भवानी ने अधिक बात नहीं की क्योंकि यात्री के कंधे, पेट और अन्य जगहों पर चोटें लगी थीं। भवानी के साथ 10-15 अन्य लोग भी थे जिन्होंने मिलकर बचाव कार्य में हाथ बंटाया।
भवानी की यह कहानी आग से भरे माहौल के बीच एक युवा के अदम्य साहस और दूसरों की जान बचाने के समर्पण को दर्शाती है, जिससे लाखों लोगों को प्रेरणा मिलती है।