राजनीति का गीत-संगीत : बीजेपी नेता प्रेम सिंह राव की रील पर कांग्रेस के उदयलाल आंजना का 'उदय' गीत
आजकल सोशल मीडिया की प्रोफाइल पर गीत—संगीत वाली रील्स सबसे ज्यादा डिमांड में हैं। जालोर—सिरोही लोकसभा क्षेत्र में चर्चाओं में है प्रेम सिंह राव, लेकिन आज की चर्चा उनके द्वारा पोस्ट की गई रील में एक 'उदय' गीत की है।
जालोर | आजकल सोशल मीडिया की प्रोफाइल पर गीत—संगीत वाली रील्स सबसे ज्यादा डिमांड में हैं। जालोर—सिरोही लोकसभा क्षेत्र में चर्चाओं में है प्रेम सिंह राव, लेकिन आज की चर्चा उनके द्वारा पोस्ट की गई रील में एक 'उदय' गीत की है।
एक दिन पहले जालोर के रेवतड़ा में एक आयोजन में जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत के साथ विमान में साथ बैठकर पहुंचे प्रेम सिंह राव की चर्चा बीजेपी के सांसद प्रत्याशी के तौर पर बीते एक माह से चल रही है।
यही नहीं इस आयोजन में पहुंचे प्रेम सिंह राव ने एक वीडियो रील सोशल मीडिया पर शेयर की है। इस रील में बैकग्राउण्ड सॉंग डाला गया है। जिसका शीर्षक है 'बादलों को चीरकर के ये धरती रोशन करेगा, उदय होगा...। रोके ना रुकेगा उदय होगा...। अम्बर भी झुकेगा...।'
अब आपको कहानी बताते हैं इस गीत की। इसके रचयिता है युवा उदीयमान गीतकार छोटूसिंह रावणा। यह गीत उन्होंने उन उदयलाल आंजना के लिए विधानसभा में लिखा है जो जालोर—सिरोही से कांग्रेस के प्रत्याशी 2014 में रह चुके हैं। इस शानदार गीत के बावजूद उदयलाल खुद चुनाव में राजनीतिक रूप से अस्त स्थिति में चले गए।
कहा जा रहा है कि यदि बीजेपी की ओर से कळबी समाज को एक बार फिर से प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया तो बीजेपी से बागी होकर विधायक बने सांचौर के जीवाराम चौधरी जिनके रिश्तेदार हैं उदयलाल! एक बार फिर से जालोर लाए जाएंगे कांग्रेस खेमे की ओर से...। ऐसे में यह गीत चर्चा का विषय बन गया है कि प्रेम सिंह राव ने बैकग्राउण्ड सॉंग में किसके उदय की कहानी रच दी है।
राजनीतिक कहानी और समीकरण कुछ यूं है
देवजी पटेल को सांचौर का टिकट दिए जाने से शुरू हुई राजनीतिक कहानी में प्रेम सिंह राव जो कि एक व्यवसाई हैं की एंट्री अलग एंगल देती है। वे जालोर—सिरोही से भाजपा का टिकट मांग रहे हैं सांसदी का।
बीजेपी इन दिनों राममयी माहौल में पूरे भारत में एक बड़े स्वीप के मूड में है। लिहाजा प्रेम सिंह राव जिन्हें कि कुमार विश्वास ने जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत का हनुमान बता रखा है वे संसद के निचले सदन यानि कि लोकसभा में एंट्री के लिए पुरजोर कोशिशों में जुट गए हैं।
परन्तु पार्टी की ओर से इशारे के बिना की कोशिशें कितना रंग लाएगी। वह भी कांग्रेस की सरकारों में धन और पद से उपकृत कुमार विश्वास के साथ से...! बड़ा सवाल है। साथ ही जातीय आधार के अभाव में प्रेम सिंह राव क्या वाकई में जालोर सिरोही में एक जीत सुनिश्चित कर सकते हैं.
जबकि बीजेपी आठ में से चार ही सीटों पर चुनाव जीत सकी है। यही नहीं विधानसभा चुनाव में वह कुल वोटों की संख्या में कांग्रेस से पीछे है। ऐसे में क्या बीजेपी यह रिस्क ले सकेगी कि वह राव को केवल राम नाम आधार पर गुजरात से सटी सीट पर उतारे।
जबकि गुजरात में जालोर—सिरोही की पड़ोसी साबरकांठा और बनासकांठा सीटों पर बीजेपी के लिए यहां के जातीय प्रत्याशी का एक बड़ा प्रभाव पड़ता है। साथ ही अनारक्षित होने के बाद लोकसभा जालोर सीट पर स्थानीय राजनेताओं या समाजसेवियों की बजाय व्यवसाइयों को उतारने का प्रयोग जनता की नजर में ज्यादा सफल परिणाम देने वाला रहा नहीं है।