नहीं देना होगा वॉइस सैम्पल: न्यायालय ने दी मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को राहत, कांग्रेसी खेमा आहत 

सरकार की ओर से मंत्री शेखावत का आवाज का नमूना लेने की याचिका लगाई गई थी। परन्तु करीब दो वर्ष बाद मामले को दूसरी बार न्यायालय ने खारिज किया है।

gajendra singh shekhawat

जयपुर | निचली अदालत के बाद अपर सत्र न्यायालय ने भी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के वॉइस सेम्पल लेने की गुजारिश को ठुकरा दिया है। 
इससे पहले बीते साल अगस्त के आखिरी सप्ताह में राजधानी जयपुर के अधीनस्थ न्यायलय ने विधायक खरीद फरोख्त मामले में वॉइस सेम्पल लेने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर  से पेश प्रार्थना पात्र को ख़ारिज कर दिया था।

निचली अदालत की टिप्पणी थी कि अनुसंधान  अधिकारी ने कोर्ट को टूल बनाकर अनुसंधान पूरा करने की मंशा से प्रार्थना पत्र पेश किया है। अदालत ने कहा कि जिस ऑडियो रिकॉर्डिंग के सोर्स ऑथेंटिक नहीं, उसमे केस  रजिस्टर करना और वॉइस सेम्पल माँगना ,दोनों उचित नहीं।

साल भर की चुप्पी के बाद एक बार फिर मामला तब गरमाया, जब वॉइस सेम्पल को लेकर  अपर सत्र न्यायालय  में अपील की गयी।  अब जबकि अपर सत्र न्यायालय ने भी वॉइस सेम्पल की प्रार्थना को ख़ारिज कर दिया है,कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है। 
विधायकों की बाड़ेबंदी और विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को कोर्ट के इस फैसले से बड़ी उम्मीदें थी। लेकिन अदालत के फैसले से सरकार ही नहीं, पूरे कांग्रेस केम्प को बड़ा झटका लगा है।

मानेसर में पायलट समर्थकों के पड़ाव के बीच गहलोत समर्थकों की बाड़ाबंदी और खरीद  फरोख्त से जुड़े कथित ऑडियो के वायरल होने के बाद जांच में जुटी एजेंसीज ही नहीं,शेखावत के  वॉइस सेम्पल लेने को लेकर सरकार भी कानूनी तरीके से पुरजोर कोशिश कर रही थी।  

अदालत के इंकार के बाद शेखावत को एक बार फिर राहत मिल गयी है। शेखावत को राहत के इस फैसले से कांग्रेसी खेमा आहत है और नए सिरे से कानूनी उपायों पर विचार कर रहा है।  सम्भावना जताई जा रही है कि अपर सत्र न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ अब वॉइस सेम्पल लेने के लिए ऊपरी अदालत में अपील होगी।

दरअसल ,विधायकों की कथित खरीद फरोख्त से जुड़े तथाकथित ऑडियो वायरल होने के बाद राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को घेरने के उपायों में जुटी है।

सड़क से सदन तक मुख्यमंत्री उनकी सरकार को गिराने की कोशिश के बहाने, केंद्र की मोदी सरकार और उसके मंत्रियों पर आरोप लगते रहे हैं। राजस्थान में पायलट और गहलोत खेमे के बीच तकरार और सरकार गिरने की आशंकाओं के बीच सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा एसओजी और एसीबी में मुकदमे दर्ज कराये गए थे।

एक ही दिन में दर्ज चार मामलों में से दो स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने दर्ज किये तो दो एंटी करप्शन ब्यूरो ने। एक केस कथित ऑडियो के आधार पर बिचौलिये संजय जैन ,कांग्रेस एमएलए भंवरलाल शर्मा और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ दर्ज हुआ था।  जबकि दूसरा गहलोत सरकार के मंत्री विश्वेन्द्र सिंह व अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया था।

मामले ने तब नया मोड़ ले लिया था जब राजद्रोह में गिरफ्तार संजय जैन के खिलाफ एसओजी ने राजद्रोह की धारा  खत्म कर दी। इस बीच एसीबी के केश में वॉइस टेस्ट नहीं देने को लेकर कांग्रेस और खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शेखावत पर सियासी हमले करते रहे।

लेकिन सरकार को उस वक्त झटका लगा जब जयपुर के अधीनस्थ न्यायालय  ने विधायक खरीद फरोख्त मामले में वॉइस सेम्पल लेने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर  से पेश प्रार्थना पत्र को ख़ारिज कर दिया।

अब जबकि अपर सत्र न्यायालय ने भी वॉइस सेम्पल की प्रार्थना को ख़ारिज कर दिया है,कांग्रेस के लिए नयी मुश्किल खड़ी हो गयी  है। "थिंक 360" से बातचीत में गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस फैसले पर ज्यादा कुछ कहने की बजाय  कहा  है कि गहलोत सरकार की हर गैर कानूनी हरकत विफल होगी। न्यायालय पर पहले भी भरोसा था और अब भी है।