झालावाड़ त्रासदी: वसुंधरा राजे ने पीड़ितों को सौंपा चेक और नौकरी का पत्र
झालावाड़, 26 जुलाई 2025।
झालावाड़ के मनोहरथाना ब्लॉक में सरकारी स्कूल की इमारत गिरने से मारे गए मासूमों के घरों में मातम पसरा है। शुक्रवार को हुई इस दर्दनाक घटना में अब तक 7 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 से अधिक गंभीर रूप से घायल हैं। शनिवार को जिले में एक साथ 7 मासूमों का अंतिम संस्कार किया गया, जिसने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया।
इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचीं। उन्होंने शोक-संतप्त परिजनों को ढांढस बंधाया और प्रत्येक परिवार को सहायता राशि का चेक और एक परिजन को सरकारी नौकरी का जॉइनिंग लेटर सौंपा। इस दौरान कई परिजन वसुंधरा राजे की गोद में सिर रखकर फूट-फूटकर रो पड़े।
वसुंधरा ने कहा,
"यह सिर्फ हादसा नहीं, सरकार की असंवेदनशीलता और भ्रष्ट व्यवस्था का परिणाम है। आज हर मां की कोख सूनी हुई है, और ये कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। हम चुप नहीं बैठेंगे। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।"
अंतिम यात्रा में उमड़ा गांव, चीख-पुकार से कांपा माहौल
गांव पीपलोदी में जब 7 बच्चों की एक साथ अर्थी उठी, तो हर आंख नम थी। ग्रामीणों ने बताया कि जिस कक्षा में बच्चे पढ़ रहे थे, वही हिस्सा पूरी तरह से गिर गया। हादसे के वक्त स्कूल में कोई इंजीनियरिंग निरीक्षण या भवन सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी।
सरकारी लापरवाही पर उठे सवाल
पीड़ित परिवारों और ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल भवन कई सालों से जर्जर था, लेकिन न तो प्रशासन ने मरम्मत करवाई और न ही स्कूल बंद किया गया। यह हादसा किसी प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं था, बल्कि एक “प्रशासनिक हत्या” थी।
राजनीतिक माहौल गर्माया
जहां विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे राजस्थान सरकार की घोर लापरवाही बताया है, वहीं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि सभी घायलों का इलाज सरकार करवाएगी। मगर सवाल यह है कि क्या सिर्फ मुआवज़ा और जांच से उन मासूमों की जान वापस लाई जा सकती है?
झालावाड़ स्कूल हादसा न सिर्फ एक प्रशासनिक चूक है, बल्कि यह राजस्थान की ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का आईना भी है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की संवेदना सराहनीय है, लेकिन अब जनता यह जानना चाहती है कि सत्ता में बैठी मौजूदा सरकार इस त्रासदी की जिम्मेदारी कब लेगी?