CBI जांच हो तो पता चले: गिरीश के अलावा और कौन—कौन 'गिरा' हुआ है, कोटा आरटीयू जैसा जोधपुर और अजमेर में भी हो चुका है, जानें अजमेर ब्लैकमेल और जोधपुर के फिजिकल एजुकेशन कॉलेज काण्ड
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा में हुआ मामला एक सामान्य प्रकरण भर नहीं है। यह बेटियों की जिंदगी से जुड़ा मसला है। जिनकी बेटियां बाहर के संस्थानों में पढ़ती है। अंकों के लिए मेहनत करती है, उन परिजनों की पेशानी पर आज चिंता की लकीरें हैं।
Jaipur | कोटा में अंक के बदले अस्मत का मामला तूल पकड़ गया है। राजस्थान में यह खेल पहले भी हुआ है। राजस्थान के जोधपुर में शारीरिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की प्राचार्य द्वारा लड़कियों को नेताओं के पास भेजने का मामला हंगामा मचा गया था.
जोधपुर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बाबूसिंह राठौड़ ने बेटियों के हक में मोर्चा संभाला था। तो जनता उनके साथ जुट गई। ऐसी जुटी कि 2003 में जब बीजेपी ने उनको शेरगढ़ विधानसभा से पार्टी का प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस के दिग्गज नेता खेतसिंह राठौड़ का खाता ही क्लोज हो गया।
खेतसिंह की राजनीति उस प्रकरण से जनता के लाड़ले बने बाबूसिंह राठौड़ ने समेट दी। पूर्व विधायक बाबू सिंह बताते हैं कि उस मामले में जनता जुटी थी।
जनता ही ने सबक सिखाया था यहां तक कि मंत्रियों को शहर में नहीं घुसने दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत उनकी बात सुनकर भावुक हो गए थे।
कोटा वाले मामले में भी वे कहते हैं कि आगे आकर सबक सिखाया जाना चाहिए।
जोधपुर प्रकरण और अजमेर ब्लैकमेल कांड को कवर कर चुके वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत बताते हैं कि यह एक घिनौना सच है जिसमें बेटियों का शोषण हुआ। नेताओं की मिलीभगत रही। वे चेहरे आज भी पॉवर में है।
कोटा वाले मामले में भी इससे इनकार नहीं किया जा सकता। यदि इस प्रकरण में प्रभावी जांच करवाई जाए तो निश्चित तौर पर एक बड़ा खुलासा होगा।
कोटा के एसपी केसरसिंह शेखावत बताते हैं कि प्रकरण में पुलिस ने इनीशिएटिव लेते हुए कार्रवाई की है और सस्पेंड करवाया है।
इस प्रकरण में वरिष्ठ पत्रकार विवेक श्रीवास्तव बताते हैं कि अक्सर मां—बाप घबरा जाते हैं और सामाजिक भय के चलते वे बेटियों को गवाही देने से बचाते हैं। मां—बाप करें भी तो क्या? सरकार को इनीशिएट करते हुए काम करना चाहिए। ऐसे शिक्षक जिनके खिलाफ नाम—अनाम शिकायतें हैं,उन्हें प्रमोशन देना तो गलत ही है। उन पर नजर रखनी चाहिए।
अजमेर ब्लैकमेल कांड में भी दर्जनों लड़कियों को शिकार बनाया गया। उसमें रसूख वाले और राजनीतिक पार्टी से जुड़े एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस के लोग भी शामिल थे।
उस कांड में भी परिजन डर गए थे। क्या कोटा वाले मामले में भी कोई राजनीतिक एंगल बनता है। इस सवाल पर मामले में वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत का कहना है कि कोटा आरटीयू का मामला मुख्यमंत्री को अपने स्तर पर देखना चाहिए और इसमें बहुत ही संजीदगी से काम करवाना चाहिए।
ताकि ऐसे शिक्षकों को सबक मिल सके। और यह देखना चाहिए कि उसके खिलाफ सबूत और गवाह पर्याप्त मात्रा में पेश किए जाए। यही नहीं ऐसे बच्चों को जिन्हें फेल कर दिया है। उनकी भी वापस परीक्षा करवाकर उन्हें न्याय दिलवाया जाना चाहिए।
विद्यार्थियों की मांग सीबीआई जांच होनी चाहिए
मौके पर मौजूद विद्यार्थियों का कहना है कि यहां कोटा का एक मंत्री विधानसभा में प्रदेश को मर्दों का प्रदेश कहता है। यह शर्म की बात है। अभाविप के छात्रों का कहना है कि बर्खास्त करना ही एकमात्र विकल्प हों। यहां के वीसी और सब लोग मिले हुए हैं। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग भी की है।