सांभर-फुलेरा को लेकर बवाल: लोग बोले- बने नया जिला, सरकार मिलाना चाहती है दूदू में, बारिश की जगह आंसू गैस के गोले बरसे, 55 हिरासत में

सांभर-फुलेरा दोनों ही शहर अभी जयपुर जिले में आते हैं। इन दोनों शहरों को नया जिला बनाए जा रहे दूदू में शामिल किया जा रहा है। जिससे यहां के क्षेत्रवासी नाराज है....

सांभर-फुलेरा को लेकर बवाल

जयपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले नए जिलों का गठन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए गले की फांस बनता जा रहा है।

कहीं नए जिले बनाने का विरोध हो रहा है तो कोई नए जिले में जाना नहीं चाहता।

वहीं, कुछ क्षेत्रों की मांग है कि उन्हें जिले में परिवर्तित किया जाए। इसी बीच सांभर-फुलेरा को लेकर जबरदस्त बवाल छिड़ गया है। 

सांभर-फुलेरा को जिला बनाने की मांग को लेकर रविवार को सांभर से मौखमपुरा के लिए हजारों क्षेत्रवासियों ने कूच कर दिया।

सामलपुरा अंडरपास पर पुलिस व एसटीएफ के जवानों ने प्रदर्शनकारियों को रोक लिया।

ऐसे में लोग उग्र हो गए और जयपुर-अजमेर हाईवे की और बढ़कर हंगामा कर दिया। जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करते हुए आंसू गैस के गोले दागे।

इस दौरान मची भगदड़ में करीब 20-25 लोग घायल भी हो गए हैं। 

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बल पर पत्थराव कर दिया। ऐसे में पुलिस ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे विद्याधर चौधरी और दीनदयाल कुमावत को गिरफ्तार कर लिया।

इसी के साथ पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 55 लोगों को भी हिरासत में लिया है। 

दरअसल, सांभर-फुलेरा क्षेत्र को दूदू में शामिल किया जाना प्रस्तावित है, जिसका क्षेत्र में जबरदस्त विरोध चल रहा है। 

क्या चाहते हैं सांभर-फुलेरा के लोग

सांभर-फुलेरा दोनों ही शहर अभी जयपुर जिले में आते हैं। ये दूदू से सड़क, रेल, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा, कृषि, व्यापार, इतिहास, पर्यटन हर तरह से विकसित हैं। 

ऐसे में इन दोनों शहरों को नया जिला बनाए जा रहे दूदू में शामिल किया जा रहा है।

जिससे यहां के क्षेत्रवासी नाराज है और वे चाहते हैं कि या तो सांभर-फुलेरा को अलग जिला बनाया जाए, या फिर जयपुर जिले में ही रखा जाए।

सांभर लेक और फुलेरा के लोगों ने शनिवार को नेशनल हाईवे-48 जाम कर दिया। आंदोलनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस को आंसू गैस छोड़ने के साथ लाठीचार्ज करना पड़ा। इनकी मांग नया जिला बनाने की है।

अब सांभर-फुलेरा का मामला कानून-व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। 

फुलेरा विधायक निर्मल कुमावत भी अपने क्षेत्र को दूदू में नहीं मिलाना चाहते है। जिसके चलते वे भी इस आंदोलन में सक्रिय है।