सिरोही | शहर में इन दिनों एक गाय बड़ी चर्चा में आ गई है। गाय ब्याने को है और उसे कोई चुरा ले गया। मालिक को बड़ी चिंता हुई कि गाय चरने के लिए गई थी और कौन ले गया। ढूंढते-ढूंढते उसे पता चला कि चोरों को पकडऩे वाले महकमे की कॉलोनी में ही उसकी गाय गई है। अब उसे तसल्ली हुई कि चलो यहां तो चोरों को पकडऩे वाले रहते हैं गाय को कोई चुरा कर तो नहीं ले जाएगा।
ढूंढते-ढूंढते मालिक इस कॉलोनी में एक सिपाही के घर तक गया तो उसे अपनी गाय की खुश्बू मिल गई अर्थात कुछ क्लू मिल गए। सिपाही जी को पूछा तो वे नाराज हो गए कि तुम कौन हो यह गाय तो मेरी है। अब मालिक के होश फाख्ता हो गए, यह क्या बात हो गई यहां तो देखते ही देखते उसकी गाय को अपनी गाय बताया जा रहा है।
काफी मिन्नतों के बाद सिपाहीजी उस गाय को सौंपने के लिए राजी हुए, लेकिन शर्त रखी कि आइंदा गाय यहां आई तो इसका दूध मैं ही पीऊंगा देख लेना। मालिक जैसे-तैसे करके अपनी गाय को वापस ले गया। आप कहेंगे कि यह क्या बात हुई, लेकिन जनाब असली कहानी तो अब शुरू होती है।
बताया जा रहा है कि अब गाय तो गाय ठहरी। गांव में चरते-चरते वापस कॉलोनी में चली गई और सिपाहीजी की नजरें उस पर पड़ गई। अब सिपाहीजी भी ठहरे सिपाहीजी और उस पर भी यह कि वे इन दिनों सत्ताधारी पार्टी के जनप्रतिनिधि के हमकदम बने हुए है तो डर काहे का। गाय को पकड़ लिया और कॉलोनी से दूर पड़ोसी जिले के अपने गांव भेज दिया।
तुर्रा यह कि इस जिले तक भी अपने जनप्रतिनिधि का ही राज है। खैर, शाम को गाय नहीं लौटी तो मालिक ने उसे ढूंढना शुरू किया। नहीं मिली तो संदेह सिपाहीजी पर हुआ। इस बार वे अपने साथ दूसरों को भी ले गए, लेनिक सिपाहीजी मानने को तैयार नहीं हुए। मालिक ने इस बार कचहरी का सहारा लेने की सोची। वे सुबह-सुबह ही अपनी शिकायत लेकर कचहरी पहुंच गए। बात एक से दूसरे और तीसरे कानों तक पहुंची।
बात जनप्रतिनिधि के कानों तक भी पहुंची और सिपाहीजी तक भी पहुंची। अब समझौता शुरू हुआ पर मालिक टस से मस नहीं हुआ। सिपाहीजी ने गाय की कीमत देनी चाही पर मालिक ने कहा वे तो गाय ही लेंगे। मर गई हो तो बता दो उसकी अस्थियां कहां है यह देखकर वे मान जाएंगे पर लेंगे तो अपनी गाय ही। अब सिपाहीजी को मन मसोसकर अपने गांव से वाहन में बैठाकर वह गाय वापस लानी पड़ी और मालिक को सौंपनी पड़ी। गाय अभी ब्याने वाली है और ब्याने के बाद ही उसका दूध पी सकेंगे पर सिपाहीजी की दूध पीने की योजना मन में ही दबी रह गई।