लोकसभा में अमित शाह का ऐलान: आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार, भारत अब घर में घुसकर मारेगा"

केंद्र सरकार द्वारा संचालित ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आज लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आक्रामक भाषण दिया। उन्होंने इसे “आतंकवाद के विरुद्

नई दिल्ली, 29 जुलाई — केंद्र सरकार द्वारा संचालित ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आज लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आक्रामक भाषण दिया। उन्होंने इसे “आतंकवाद के विरुद्ध भारत का निर्णायक प्रहार” बताते हुए कहा कि अब भारत की नीति स्पष्ट है — “घर में घुसकर मारेंगे, जब देश की सुरक्षा का सवाल हो।”

अध्यक्ष को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, “मुझे इस बात की खुशी है कि पूरे सदन ने इस ऑपरेशन की सफलता पर गर्व जताया है। ये इस सदन की एकता का प्रतीक है।” उन्होंने विशेष रूप से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि “जिस आत्मविश्वास के साथ सरकार ने सेना को खुली छूट दी, उसी का परिणाम है कि ऑपरेशन सिंदूर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।”

"सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं, ये रणनीतिक दबदबा है"
शाह ने कहा कि “हमने पहले भी पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक किए, पर ऑपरेशन सिंदूर उससे कहीं आगे की चीज़ है। ये एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन है।”

उन्होंने पाकिस्तान को खुली चेतावनी देते हुए कहा, “अगर आप भारत की सीमा के भीतर आतंक भेजोगे, तो हम सिर्फ जवाब नहीं देंगे, हिसाब लेंगे।”

विपक्ष पर सीधा प्रहार
गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग पूछ रहे हैं कि यह ऑपरेशन क्यों किया गया, ये वही लोग हैं जिन्होंने 10 साल तक आतंक के खिलाफ सिर्फ फाइलें पलटीं। आज उन्हें सेना की बहादुरी पर भी शक हो रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा, “जब हमारी सरकार आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई करती है तो कुछ दल इसे राजनीति कहते हैं। क्या देश की सुरक्षा भी राजनीति है?”

"हमारे जवान सिर्फ सरहद नहीं, गर्व की रेखा हैं"
अमित शाह ने ऑपरेशन सिंदूर में शामिल जवानों और अधिकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “हमारे वीर सैनिकों ने जान की परवाह किए बिना इस मिशन को अंजाम दिया। उनके साहस को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। यह सिर्फ ऑपरेशन नहीं, यह हमारे सैनिकों की शपथ का प्रतिफल है — 'राष्ट्र प्रथम'।”

उन्होंने शहीदों के परिवारों को सरकार की ओर से पूरी सहायता देने की बात भी दोहराई।

भारत की नई सुरक्षा नीति
गृहमंत्री ने सदन को आश्वस्त किया कि अब भारत 'रीएक्टिव' नहीं, बल्कि 'प्रोएक्टिव' डिफेंस नीति पर काम करेगा। “हमें अब अपने दुश्मनों को बताना है कि यह नया भारत है — जो न तो भूला है, न ही छोड़ेगा।”

उन्होंने यह भी खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर की योजना महीनों से तैयार की जा रही थी और इसमें खुफिया एजेंसियों, सेना और कूटनीतिक स्तर पर उच्च समन्वय था।


New Delhi | अमित शाह ने अपने पूरे भाषण में कई मुख्य बातें कही हैं, जिनका उद्देश्य पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सरकार द्वारा की गई कार्रवाइयों, आतंकवाद के प्रति अपनी सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति और पिछली सरकारों, विशेषकर कांग्रेस, की नीतियों की आलोचना करना था।

यहाँ उनकी मुख्य बातें बिंदुवार दी गई हैं:
• पहलगाम आतंकी हमले पर निंदा और संवेदना:
   

◦ उन्होंने पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की बर्बर हत्या की कड़ी निंदा की और मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

    ◦ उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान द्वारा भारतीय नागरिक ठिकानों पर की गई गोलीबारी, जिसमें गुरुद्वारा और मंदिर टूटे तथा नागरिक हताहत हुए, के प्रति भी संवेदना व्यक्त की।

• ऑपरेशन महादेव का विवरण:

    ◦ उन्होंने सदन को सूचित किया कि ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकवादी, सुलेमान उर्फ फैजल जट, अफगान और जिब्रान मारे गए, जो पहलगाम और गगनगिर आतंकी हमलों में शामिल थे।

    ◦ यह अभियान सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया था।

    ◦ आतंकवादियों की पहचान उनके ठिकानों से मिले मानव इंटेल और अल्ट्रा सिग्नल कैप्चर के जरिए हुई, जिसकी पुष्टि एनआईए जांच, गिरफ्तार किए गए शरणदाताओं की पहचान और बैलेस्टिक रिपोर्ट से हुई। हमला स्थल से मिले कारतूसों (M9 अमेरिकन राइफल और दो AK-47 राइफल) का मिलान मारे गए आतंकियों की राइफलों से हुआ, जिससे 100% पुष्टि हुई कि उन्होंने ही नागरिकों को मारा था।

• ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान को सबक:

    ◦ शाह ने बताया कि मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकवादियों के आकाओं को जमीन में मिला दिया।

    ◦ यह हमला 7 मई को रात 1:04 बजे से 1:24 बजे तक चला, जिसमें पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। इनमें मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर, मरकज तैबा मुरीद के, महमूना जाया कैंप सियालकोट, सरजाल कैंप

सियालकोट, सवाई नाला कैंप मुजफ्फराबाद, सैयदना बिलाल कैंप मुजफ्फराबाद, गुलपुर कैंप कोटली, बरनाला कैंप बिमबर्ग और अब्बास कैंप कोटली शामिल थे।

    ◦ उन्होंने जोर दिया कि इस हमले में एक भी नागरिक नहीं मारा गया, केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।

    ◦ यह हमला 100 किलोमीटर अंदर घुसकर पाकिस्तान की भूमि पर किया गया, जो पिछली सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से भी अधिक गहरा था जो पाक अधिकृत कश्मीर में की गई थीं।

    ◦ ऑपरेशन सिंदूर में हाफिज मोहम्मद जमील, मुदस्सर कादियान, याकूब मलिक, मोहम्मद हम्सा जलीम जमील, मोहम्मद यूसुफ अजहर, मोहम्मद हसन खान जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख आतंकवादी मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए।
    ◦ उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को पूरी दुनिया में बेनकाब कर दिया कि पाकिस्तान एक राज्य प्रायोजित आतंकवाद का समर्थक है।

• पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और भारत का जवाब:

    ◦ ऑपरेशन सिंदूर के बाद 8 मई को पाकिस्तान ने भारतीय रिहायशी इलाकों में गोलीबारी की, जिससे एक गुरुद्वारा और मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ और कुछ नागरिक हताहत हुए।

    ◦ इसके जवाब में, 9 मई को मोदी जी ने सेना को आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के 11 एयरबेस (नूर खान चकलाला, मुरीद, सुगुर्दा, रफिकी, रहीम यार खान, जकोबाबाद, सुकुर और भोलारी) और 6 रडार सिस्टम (सुपुर लाहौर, अरिफवाला, चुनैन, झकोकाबाद और नया चोर) को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

    ◦ यह भी ध्यान दिया गया कि भारत ने केवल सैन्य ठिकानों और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया, नागरिकों को नहीं।

    ◦ इसके बाद 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन कर संघर्ष विराम का अनुरोध किया।

• कांग्रेस और पिछली सरकारों पर आलोचना:
    ◦ पाकिस्तान से संबंधों पर: उन्होंने पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर सवाल उठाया कि क्या सबूत है कि आतंकवादी पाकिस्तान से नहीं आए, और कहा कि कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान को "क्लीन चिट" दे रही है। उन्होंने तीनों मारे गए आतंकियों के पाकिस्तानी होने के सबूत दिए, जिनमें उनके पाकिस्तानी वोटर नंबर, एम9 अमेरिकन राइफल और पाकिस्तानी चॉकलेट शामिल थे।

    ◦ ऐतिहासिक गलतियाँ:

        ▪ कश्मीर और पीओके: 1948 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा एकतरफा युद्धविराम को पीओके के अस्तित्व का कारण बताया।

        ▪ सिंधु जल संधि: 1960 में सिंधु जल का 80% पाकिस्तान को देने की आलोचना की।

        ▪ 1965 और 1971 युद्ध: 1965 में हाजी पीर जैसी रणनीतिक जगह को 1966 में लौटाने और 1971 के युद्ध में 93,000 युद्धबंदियों और 15,000 वर्ग किलोमीटर जीती हुई भूमि को शिमला समझौते में बिना पीओके की मांग किए वापस करने के लिए इंदिरा गांधी सरकार की आलोचना की। उन्होंने जनरल माणिक शाह का हवाला देते हुए कहा कि भुट्टो ने भारतीय नेतृत्व को "मूर्ख" बनाया।

        ▪ चीन नीति: 1962 के युद्ध में 38,000 वर्ग किलोमीटर अक्साई चीन का हिस्सा गंवाने के लिए नेहरू की आलोचना की और नेहरू के अमेरिका के उस प्रस्ताव को अस्वीकार करने को दोषी ठहराया, जिसमें भारत को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की बात थी, ताकि चीन से संबंध खराब न हों। उन्होंने राजीव गांधी फाउंडेशन के चीन के साथ एमओयू और डोकलाम गतिरोध के दौरान राहुल गांधी के चीनी राजदूत से मिलने पर भी सवाल उठाए।

    ◦ आतंकवाद विरोधी कानून (पोटा) पर: कांग्रेस द्वारा 2002 में पोटा कानून का विरोध करने और 2004 में इसे रद्द करने के लिए आलोचना की, आरोप लगाया कि यह वोट बैंक की राजनीति के लिए किया गया था और आतंकवादियों को बचाया गया था।

    ◦ आतंकी हमलों पर निष्क्रियता (2004-2014): उन्होंने 2004 से 2014 के बीच (मनमोहन सिंह-सोनिया गांधी सरकार के दौरान) हुए 27 बड़े आतंकी हमलों (जैसे अयोध्या, मुंबई लोकल ट्रेन, हैदराबाद, मुंबई 26/11, जयपुर, अहमदाबाद) का जिक्र किया, जिनमें हजारों लोग मारे गए, और कांग्रेस सरकार पर कोई ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उस दौरान केवल "डोजियर" पाकिस्तान भेजे जाते रहे।

    ◦ आतंकवादियों के प्रति नरमी: उन्होंने सलमान खुर्शीद के बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद सोनिया गांधी के रोने का जिक्र किया और कहा कि यह आतंकवादियों के लिए रोना था, शहीदों के लिए नहीं। उन्होंने कांग्रेस शासनकाल में दाऊद इब्राहिम, सैयद सलाहुद्दीन, टाइगर मेमन जैसे कई बड़े आतंकवादियों के देश छोड़कर भाग जाने का भी आरोप लगाया।

• कश्मीर में मोदी सरकार की उपलब्धियां (अनुच्छेद 370 हटने के बाद):

    ◦ उन्होंने 2004-14 (कांग्रेस) और 2015-25 (मोदी सरकार) के बीच के आंकड़ों की तुलना की:

        ▪ आतंकी घटनाओं में 70% कमी (7217 से 2150)।

        ▪ नागरिकों की मौत में 80% कमी (1770 से 357)।

        ▪ सुरक्षा बलों की मौत में कमी (1060 से 542)।

        ▪ आतंकवादियों की मौत में 123% वृद्धि।

    ◦ अनुच्छेद 370 के हटने से कश्मीर में आतंकवादी इकोसिस्टम का खात्मा।

    ◦ आतंकवाद रोकने के लिए 'जीरो टेरर प्लान', 'एरिया डोमिनेशन प्लान', मल्टी-लेवल डिप्लॉयमेंट, सुरक्षा जेलों का निर्माण, 98% वीडियो ट्रायल, संचार साधनों का विकास, 702 फोन विक्रेताओं की गिरफ्तारी और 2667 सिम कार्ड बंद करने जैसे उपाय बताए।

    ◦ आतंकवादियों के महिमामंडन को रोकने के लिए अब उनके जनाजे निकालने की अनुमति नहीं दी जाती, और उन्हें वहीं दफना दिया जाता है।

    ◦ आतंकवादी समर्थकों को सरकारी नौकरियों से बर्खास्त किया गया, पासपोर्ट रद्द किए गए, और सरकारी ठेके रद्द किए गए।

    ◦ पत्थरबाजी की घटनाओं में भारी कमी (2654 से 2024 में शून्य) और हड़तालों का अंत (132 दिन/साल से 3 साल से शून्य)।

    ◦ हुर्रियत नेताओं से अब कोई बात नहीं की जाती; सरकार घाटी के युवाओं से बात करना चाहती है।

    ◦ कई अलगाववादी और आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया, जिनमें टीआरएफ, पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, तहरीक उल मुजाहिद्दीन, जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश, जमात-ए-इस्लामी, जेकेएलएफ, और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया शामिल हैं।

    ◦ पंचायत चुनावों में 98.3% मतदान हुआ, जो डर के माहौल के अंत को दर्शाता है।

कुल मिलाकर, अमित शाह ने अपनी सरकार की आतंकवाद विरोधी नीतियों को प्रभावी और सफल बताते हुए, पिछली कांग्रेस सरकारों को राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे पर कमजोर और विफल बताया।

'ऑपरेशन महादेव' में सुरक्षा बलों को किस प्रकार सफलता मिली?

ऑपरेशन महादेव में सुरक्षा बलों को निम्नलिखित चरणों और संयुक्त प्रयासों के माध्यम से सफलता मिली:

1. तत्काल सुरक्षा बैठक और घेराबंदी: पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की नृशंस हत्या के जवाब में, उसी दिन रात को, 22 मई 2025 को, जम्मू-कश्मीर में एक सुरक्षा बैठक की गई। इस बैठक में सभी सुरक्षा बल – सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस – शामिल थे। सबसे पहला निर्णय यह लिया गया कि हमलावर देश छोड़कर पाकिस्तान भाग न पाएं, और इसके लिए पुख्ता व्यवस्था की गई, जिसे सफलतापूर्वक लागू भी किया गया।

2. खुफिया जानकारी का संग्रहण: 22 मई को, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को एक मानवीय खुफिया जानकारी मिली जिसमें दाचीगाम क्षेत्र के अंदर आतंकवादियों की उपस्थिति की सूचना दी गई।

3. तकनीकी निगरानी और पुष्टि: इस सूचना को पुख्ता करने के लिए, आईबी और सेना ने दाचीगाम क्षेत्र में अल्ट्रा सिग्नल कैप्चर करने के लिए अपनी एजेंसियों द्वारा बनाए गए उपकरणों का उपयोग करके मई से 22 जुलाई तक लगातार प्रयास किए। ठंड और ऊंचाई वाले इलाकों में सेना के अधिकारी, आईबी के अफसर और सीआरपीएफ के जवान पैदल घूमकर आतंकवादियों के सिग्नल प्राप्त करते रहे। 22 जुलाई को, सेंसर्स के माध्यम से आतंकवादियों की उपस्थिति की पुष्टि मिली, जो ऑपरेशन की सफलता में एक महत्वपूर्ण कदम था।

4. संयुक्त अभियान और आतंकवादियों का खात्मा: आतंकवादियों की पुष्टि होने के बाद, सेना के चार पैरा (पैराशूट रेजिमेंट का एक हिस्सा), सीआरपीएफ के जवान और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने एक साथ इन आतंकवादियों को घेरने का काम किया। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक संयुक्त बैठक भी की गई, और पांच मानवीय संपत्तियों (human assets) को भी वहां भेजा गया। इस संयुक्त अभियान के परिणामस्वरूप, हमारे निर्दोष नागरिकों को मारने वाले तीनों आतंकवादी - सुलेमान उर्फ फैजल जट, अफगान और जिब्रान - मार गिराए गए। सुलेमान ए-श्रेणी का लश्कर-ए-तैयबा कमांडर था और पहलगाम व गगनगिर आतंकी हमलों में लिप्त था। अफगान और जिब्रान भी ए-ग्रेड आतंकवादी थे।

5. फॉरेंसिक और प्रत्यक्ष पहचान द्वारा पुष्टि:
    ◦ आतंकवादी घटना स्थल से मिले कारतूसों की एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) रिपोर्ट चंडीगढ़ सेंट्रल एफएसएल में पहले से ही बैलेस्टिक रिपोर्ट के आधार पर तैयार थी।
    ◦ मारे गए आतंकवादियों से तीन राइफलें पकड़ी गईं: एक M9 अमेरिकन राइफल और दो AK-47 राइफलें। घटनास्थल से मिले कारतूस भी M9 और AK-47 के थे।
    ◦ निश्चित पुष्टि के लिए, कल रात 12 बजे एक विशिष्ट विमान द्वारा इन राइफलों को चंडीगढ़ पहुंचाया गया और पूरी रात फायरिंग कर इनके भी खाली खोखे (casing) उत्पन्न किए गए। दो खोखों का राइफल की नाली और निकले हुए खोखों से मिलान किया गया, जिससे यह तय हो गया कि इन्हीं तीन राइफलों से हमारे निर्दोष नागरिक मारे गए थे।
    ◦ एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की जांच के दौरान, मृतक के परिजनों, पर्यटकों, खच्चर वालों, पोनी वालों, फोटोग्राफरों और दुकानदारों सहित कुल 1055 लोगों से 3000 घंटे से अधिक पूछताछ की गई और इसे वीडियो पर रिकॉर्ड किया गया।
    ◦ जांच के आधार पर स्केच बनाए गए, और 22 जून 2025 को बसीर और परवेज की पहचान की गई, जिन्होंने आतंकवादी घटना के अगले दिन आतंकवादियों को शरण दी थी। इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
    ◦ गिरफ्तार अपराधियों ने खुलासा किया कि 21 अप्रैल 2025 की रात को तीन आतंकवादी उनके ढोक में आए थे और उनके पास AK-47 और M9 कार्बाइन थीं।
    ◦ गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की माताओं ने, साथ ही आतंकवादी घटना में शामिल उनके साथियों ने, तीनों मृत आतंकवादियों के शवों की पहचान की। एफएसएल ने भी इसकी पुष्टि सुबह 4 बजे कर दी थी।
    ◦ गृह मंत्री ने सदन को बताया कि तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी थे; दो के पास पाकिस्तान के वोटर नंबर भी उपलब्ध हैं, और उनके ढोक में से पाकिस्तान में बनी चॉकलेटें मिली हैं।

इस प्रकार, सटीक खुफिया जानकारी, कठोर तकनीकी निगरानी, बहु-एजेंसी समन्वय, और फॉरेंसिक तथा प्रत्यक्ष पहचान के ठोस सबूतों के साथ सुरक्षा बलों को ऑपरेशन महादेव में निर्णायक सफलता मिली।

370 हटाए जाने के बाद आतंकवाद पर क्या प्रभाव पड़ा?

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकवाद पर पड़े प्रभाव के संबंध में, सूत्रों में विस्तृत जानकारी दी गई है।
माननीय गृह मंत्री के अनुसार, धारा 370 ने कश्मीर में आतंकवादी इकोसिस्टम को नष्ट कर दिया है। उन्होंने 2004 से 2014 (अखंड सोनिया-मनमोहन सरकार) और 2015 से 2025 (अखंड नरेंद्र मोदी सरकार) के 10-10 साल का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए तुलनात्मक आंकड़े दिए हैं:

• आतंकवादी घटनाएँ (Terror Incidents):
    ◦ 2004 से 2014 के बीच: 7217 घटनाएँ।
    ◦ 2015 से 2025 के बीच: 2150 घटनाएँ, जिसमें 70% की कमी आई है।

• नागरिकों की मृत्यु (Civilian Deaths):
    ◦ 2004 से 2014 के बीच: 1770 नागरिक मारे गए।
    ◦ 2015 से 2025 के बीच: 357 नागरिक मारे गए, जिसमें 80% की कमी आई है।

• सुरक्षा बलों की मृत्यु (Security Forces Deaths):
    ◦ 2004 से 2014 के बीच: 1060 सुरक्षा बल शहीद हुए।
    ◦ 2015 से 2025 के बीच: 542 सुरक्षा बल शहीद हुए।

• आतंकवादियों की मृत्यु (Terrorist Deaths):
    ◦ 2015 से 2025 के बीच आतंकवादियों की मृत्यु में 123% की वृद्धि हुई है।
गृह मंत्री ने कहा है कि अब कश्मीर में स्थिति ऐसी हो गई है कि पाकिस्तान से आतंकवादी भेजने पड़ते हैं, कश्मीर में आतंकवादी अब हमारे नहीं बनते।
धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकवाद से निपटने के लिए उठाए गए अन्य महत्वपूर्ण कदम और उनके परिणाम इस प्रकार हैं:

• जीरो टेरर प्लान और सुरक्षा उपाय:
    ◦ एक जीरो टेरर प्लान बनाया गया है।
    ◦ एरिया डोमिनेशन प्लान और मल्टी-लेवल डिप्लॉयमेंट किया गया है।
    ◦ सुरक्षा जेलें बनाई गई हैं।
    ◦ 98% ट्रायल अब वीडियो पर हो रहे हैं।
    ◦ संचार साधन स्थापित किए गए हैं।
    ◦ 702 फोन विक्रेता जेल में डाले गए और 2667 सिम कार्ड बंद किए गए।

• आतंकवादियों के महिमामंडन पर रोक:
    ◦ पहले आतंकवादियों के जनाजे निकलते थे और उनका महिमामंडन होता था, लेकिन अब जो मारा जाता है उसको वहीं दफना दिया जाता है, किसी भी आतंकवादी को उसके महिमामंडन के लिए जनाजे की इजाजत नरेंद्र मोदी के शासन में नहीं दी जाती है।

• आतंकवादी समर्थकों पर कार्रवाई:
    ◦ आतंकवादियों के सगे-संबंधी और समर्थकों को चुन-चुन कर नौकरियों से निकाला गया है।
    ◦ उनके पासपोर्ट रद्द कर दिए गए हैं और गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए गए हैं।
    ◦ 75 से ज्यादा आतंकी समर्थकों को कोर्ट से ऑर्डर लेकर सरकार से बर्खास्त कर दिया गया है।
    ◦ बार काउंसिल, जो उनके समर्थकों से भरी थी, उसे सस्पेंड कर नया लोकप्रिय चुनाव कराया गया है।

• संगठनों पर प्रतिबंध और कानूनी कार्रवाई:
    ◦ कई संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
    ◦ विशेष UAPA अदालतें बनाई गई हैं।
    ◦ मार्च 2022 से 2025 के बीच UAPA के 2267 मामले दर्ज किए गए हैं और 374 मामलों में कुर्की की गई है।

• परिणामस्वरूप शांति और व्यवस्था:
    ◦ पथराव (Organized Stone Pelting): पहले औसतन सालाना 2654 पथराव होते थे, जो 2024 में घटकर शून्य हो गए हैं।
    ◦ संगठित हड़ताल (Organized Strikes): पहले सालाना 132 दिन घाटी बंद रहती थी, लेकिन अब 3 साल से संगठित हड़ताल शून्य है।
    ◦ पथराव में नागरिकों की मृत्यु: पहले सालाना 112 होती थी, लेकिन 3 साल से नागरिकों की मृत्यु शून्य है।
    ◦ पथराव में घायल लोग: पहले 6235 लोग घायल होते थे, आज शून्य हैं।

• अलगाववादी नेताओं के साथ व्यवहार में बदलाव:
    ◦ पहले हुर्रियत के नेताओं को वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता था और मनमोहन सरकार के दूत उनसे चर्चा करते थे।
    ◦ अब सभी हुर्रियत के कंपोनेंट बैन कर दिए गए हैं और वे सभी जेल की सलाखों के पीछे हैं।
    ◦ सरकार हुर्रियत और आतंकवादी संगठनों के आउटफुट से बात नहीं करती, बल्कि घाटी के युवाओं के साथ बात करेगी।

• चुनाव और लोकतांत्रिक प्रक्रिया:
    ◦ चुनाव के दौरान डर का माहौल होता था, लेकिन अब पंचायत चुनाव में 98.3% मतदान हुआ है।
    ◦ कांग्रेस के बहिष्कार का समय बंद हो गया है, और अलगाववादी अब बात नहीं कर सकते।

गृह मंत्री ने 2019 के बाद प्रतिबंधित किए गए कई संगठनों के नाम भी बताए हैं, जिनमें द टीआरएफ, पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, तहरीक उल मुजाहिद्दीन, जमातुल मुजाहदीन बांग्लादेश, हिंदुस्तान जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स, खस्तान टाइगर फोर्स, हिज उ तहरीर, जमात इस्लामी, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी, जम्मू मुस्लिम लीग, जम्मू कश्मीर तहरीक हुरियत, मुस्लिम कॉन्फ्रेंस सुमजीग, जम्मू कश्मीर नेशनल फ्रंट, जम्मू कश्मीर प्रीम पीपल्स फ्रीडम लीग, जम्मू कश्मीर पीपल्स लीग, जम्मू कश्मीर इता इताहाउदुल मुसलमीन, आवामी एक्शन कमेटी, सिख फॉर जस्टिस, और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकवाद पर पड़े प्रभाव और सरकार के आतंकवाद विरोधी कदमों पर अपनी बात रखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी पर कई आरोप लगाए और उसकी नीतियों की आलोचना की।
अमित शाह ने कांग्रेस पर निम्नलिखित मुख्य बातें कही हैं:

• आतंकवाद के आँकड़ों पर तुलनात्मक विश्लेषण:
    ◦ उन्होंने 2004 से 2014 तक की अखंड सोनिया-मनमोहन सरकार के 10 वर्षों और 2015 से 2025 तक की अखंड नरेंद्र मोदी सरकार के 10 वर्षों के आतंकवाद से जुड़े आँकड़ों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
    ◦ कांग्रेस के शासनकाल (2004-2014) में 7217 आतंकवादी घटनाएँ हुईं, जबकि मोदी सरकार (2015-2025) में यह संख्या 70% घटकर 2150 हो गई।
    ◦ नागरिकों की मृत्यु में 80% की कमी आई (1770 से 357)।
    ◦ सुरक्षा बलों की मृत्यु (1060 से 542) और आतंकवादियों की मृत्यु में 123% की वृद्धि दर्ज की गई।
    ◦ उन्होंने कहा कि इन आँकड़ों से कोई भाग नहीं सकता।

• धारा 370 और आतंकवाद:
    ◦ अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इतने सालों तक जिस धारा 370 को बचा कर रखा, उसने कश्मीर में आतंकवादी इकोसिस्टम को नष्ट कर दिया है।

• POTA कानून का विरोध और रद्द करना:
    ◦ उन्होंने याद दिलाया कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार 2002 में आतंकवाद खत्म करने के लिए पोटा (POTA) कानून लेकर आई थी, जिसका कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया था। राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण सरकार को मजबूरन संयुक्त सत्र बुलाना पड़ा और तब यह कानून पारित हुआ।
    ◦ उन्होंने प्रश्न किया कि कांग्रेस किसे बचाना चाहती थी और अपनी वोट बैंक के लिए आतंकवादियों को क्यों बचाना चाहती थी।
    ◦ उन्होंने यह भी कहा कि 2004 में मनमोहन सिंह-सोनिया गांधी सरकार आते ही पहली ही कैबिनेट में पोटा कानून को रद्द कर दिया गया, जिसके लिए उन्होंने फिर पूछा कि यह किसके फायदे के लिए किया गया था।
    ◦ शाह ने स्पष्ट कहा कि कोटा का विरोध करने और उसे रद्द करने वालों को नरेंद्र मोदी की आतंकवाद विरोधी नीति पसंद नहीं आएगी, और यह कि आतंकवादियों का बचाव कर वोट बैंक बनाने वालों को यह नीति पसंद नहीं आएगी।

• आतंकवादी हमलों पर निष्क्रियता और डोजियर भेजना:
    ◦ उन्होंने कांग्रेस सरकार के समय 2005 से 2011 के बीच हुए 27 जघन्य आतंकवादी हमलों का उल्लेख किया, जिनमें हजारों लोग मारे गए।
    ◦ उन्होंने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने इन हमलों के खिलाफ कुछ नहीं किया, बल्कि केवल आतंकवादियों की "फटी फोटो" और डोजियर पाकिस्तान भेजते रहे।
    ◦ अमित शाह ने कहा कि उनके समय में जो भी आतंकवादी घटना हुई वह पाक प्रेरित और कश्मीर केंद्रित थी, जबकि कांग्रेस के समय में देश के अन्य हिस्सों में भी हमले हुए।

• बाटला हाउस एनकाउंटर पर आरोप:
    ◦ उन्होंने सलमान खुर्शीद का जिक्र किया, जिन्होंने कहा था कि बाटला हाउस एनकाउंटर देखकर सोनिया गांधी रो पड़ी थीं।
    ◦ शाह ने सवाल उठाया कि शहीद मोहन शर्मा के लिए रोने के बजाय बाटला हाउस के आतंकवादियों के लिए रोना क्यों आता है।
• भगोड़े आतंकियों पर कांग्रेस सरकार का रिकॉर्ड:
    ◦ उन्होंने कई भगोड़े आतंकवादियों जैसे दाऊद इब्राहिम कास्कर (1986), सैयद सलाहाउद्दीन (1993), टाइगर मेमन (1993), अनीस इब्राहिम कास्कर (1993), रियाज भटकल (2007), इकबाल भटकर (2010), मिर्जा सादाब बेग (2009) का नाम लिया और कहा कि ये सभी कांग्रेस की सरकारों के दौरान भागे।
    ◦ उन्होंने राहुल गांधी से इसका जवाब माँगा।

• पाकिस्तान को "क्लीन चिट" देने का आरोप:

    ◦ अमित शाह ने पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर आरोप लगाया कि उन्होंने यह सवाल उठाकर कि क्या सबूत है कि आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे, पाकिस्तान को "क्लीन चिट" देने की कोशिश की।
    ◦ उन्होंने कहा कि उनके पास पाकिस्तानियों के वोटर नंबर, राइफलें और पाकिस्तानी चॉकलेट जैसे सबूत हैं, जो दिखाते हैं कि वे पाकिस्तान से थे।
    ◦ उन्होंने इस कृत्य को पाकिस्तान को बचाने का षड्यंत्र बताया और कहा कि देश की जनता यह सब जानती है।

• ऐतिहासिक "भूलें" और विदेश नीति की आलोचना:

    ◦ सिंधु जल संधि: उन्होंने सिंधु जल संधि को कांग्रेस पार्टी की "ब्लंडर" (बड़ी भूल) बताया, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने स्थगित करने का काम किया। उन्होंने 1960 की संधि का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें भारत का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया गया था।

    ◦ पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) और युद्धविराम: उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के अस्तित्व का जिम्मेदार ठहराया, यह कहते हुए कि 1948 में जब भारतीय सेना निर्णायक बढ़त पर थी, तब नेहरू ने एकतरफा युद्धविराम कर दिया।

    ◦ शिमला समझौता (1971): शाह ने 1971 के युद्ध के बाद हुए शिमला समझौते की आलोचना की, जिसमें 93,000 युद्धबंदी और 15,000 वर्ग किलोमीटर जीती हुई पाकिस्तानी भूमि होने के बावजूद भारत ने PoK नहीं माँगा और जीती हुई भूमि भी वापस दे दी। उन्होंने जनरल माणिक शाह का एक कोट भी पढ़ा, जिसमें भुट्टो ने इंदिरा गांधी को "मूर्ख बनाया" था।

    ◦ बलूचिस्तान ब्लंडर: उन्होंने सर मल्लक शेख सम्मेलन में बलूचिस्तान को लेकर की गई कार्रवाई को "ब्लंडर" बताया, जिसने पाकिस्तान को भारत के साथ समान पायदान पर चर्चा करने का अवसर दिया।

    ◦ चीन नीति:

        ▪ उन्होंने 1962 के युद्ध में अक्साई चीन का 38,000 वर्ग मीटर हिस्सा चीन को दिए जाने के लिए जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराया।

        ▪ उन्होंने नेहरू पर आरोप लगाया कि अमेरिका के प्रस्ताव को अस्वीकार करके कि चीन को सुरक्षा परिषद से बाहर रखा जाए और भारत को शामिल किया जाए, उन्होंने चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाने दिया, जिसके कारण आज चीन वहाँ है और भारत बाहर है।

        ▪ उन्होंने राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा चीन के साथ एमओयू करने और डोकलाम गतिरोध के दौरान राहुल गांधी द्वारा चीनी राजदूत से मिलने पर भी सवाल उठाए, इसे चीन के प्रति "पीढ़ी दर पीढ़ी" प्रेम बताया।

        ▪ उन्होंने यह भी कहा कि "यह सारी आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान है और पाकिस्तान कांग्रेस पार्टी की भूल है, पार्टीशन स्वीकार ना करते पाकिस्तान कभी ना होता"।

• आतंकवाद विरोधी नीति का विरोध और राजनीति:

    ◦ अमित शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे हर चीज़ में राजनीति करते हैं और आतंकवाद विरोधी नीति का विरोध करते हैं।

    ◦ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बहिष्कार का समय अब खत्म हो गया है और अलगाववादी अब बात नहीं कर सकते।   

◦ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के सदस्य मोदी जी के बिहार भाषण को "चुनावी भाषण" बता रहे थे, जबकि वह आतंकवाद के खिलाफ 140 करोड़ भारतीयों की प्रतिक्रिया थी।
संक्षेप में, अमित शाह ने आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की "जीरो टॉलरेंस" नीति को रेखांकित करते हुए, कांग्रेस को ऐतिहासिक गलतियों, आतंकवाद पर नरम रुख, पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष समर्थन और वोट बैंक की राजनीति का जिम्मेदार ठहराया।