पार्टी में हलचल: कांग्रेस के चुनावी समीकरण नहीं बिगाड़ दे चुनाव समिति की लिस्ट, माइनॉरिटी से सिर्फ 3 नाम, बाकी सब साफ
जयपुर | राजस्थान राजनीति की एक ऐसी जोड़ी जिसने राजस्थान के सभी सियासी समीकरणों को हिलाकर रख दिया है।
अब ये जोड़ी आने वाले चुनावी समीकरणों को भी हिलाने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई हैं।
इस जोड़ी के दो किरदार में से एक प्रदेश की कमेटी के अध्यक्ष हैं तो दूसरे सूबे के मुख्यमंत्री।
आप सभी राजनीती के जानकर हैं इसलिए समझ ही गए होंगे कि हम बात कर रहे हैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की।
अब विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए कांग्रेस प्रदेश चुनाव समिति का गठन किया गया है, लेकिन अब इस लिस्ट ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी में हलचल पैदा कर दी है।
जब ये लिस्ट जारी की गई तो इसमें समाज की हर जाति-समुदाय का ध्यान रखा गया, लेकिन कुछ समुदायों का तो विशेष ही ध्यान रखा गया।
खासा ध्यान जाट समुदाय का रखा जिसमें चुनाव समिति के अध्यक्ष समेत अन्य चार लोग भी हैं। जाट समुदाय से गोविन्द डोटासरा, रामेशवर डूडी, लाल चंद्र कटारिया, रामलाल जाट और हरीश चौधरी शामिल हैं।
ओबीसी वोटों को साधने के लिए खुद मुख्यमंत्री हैं और उदय लाल आंजना, राजेंद्र यादव, सुखराम बिश्नोई और ललित तुनवाल शामिल है।
इस बार बीजेपी वोटांे की सेंधमारी के लिए पहली बार कुमावत समाज से ललित तुनवाल को समिति में जगह दी गई है और गुर्जर समाज से पायलट समेत अशोक चांदना, धीरज गुर्जर और शकुंतला रावत को शामिल किया है।
अब इसमें तीन अन्य लोगों को इसलिए शामिल किया है ताकि गुर्जर वोट बीजेपी की तरफ न खिसक जाये और अगर आने वाले समय में अगर पायलट की स्थिति में कुछ बदलाव हो तो गुर्जर वोट बैंक बना रहे।
एसी/एसटी समुदाय की नाराजगी न हो इसलिए एसी/एसटी समुदाय के चार-चार प्रतिनिधियों को जगह दी गई है।
अब इस लिस्ट से सबसे खासी नाराजगी माइनॉरिटी को हुई है क्योंकि माइनॉरिटी से सिर्फ 3 लोगों को चुना गया है जिसमें 2 मुस्लिम समुदाय से आते हैं तो एक जैन समुदाय से।
लेकिन यह बात किसी से नहीं छुपी है कि माइनॉरिटी का अधिकतर वोट कांग्रेस को जाता है, लेकिन उन्हीं के प्रतिनिधियों को इस बार हासिये पर रखने की कोशिश की गई है।
अब इस हसियाकरण का प्रभाव कांग्रेस के वोटांे पर कितना पड़ेगा यह तो कोई नहीं जानता है ?
इस सूची में एक चीज़ जो गौर करने वाली यह है कि महेश जोशी और शांति धारीवाल को कोई भी स्थान नहीं दिया गया है क्योंकि आलाकमान 25 सितंबर की उस घटना को भुला नहीं है और इसलिए न ही एआईसीसी की मीटिंग में धारीवाल और महेश जोशी को बुलाया गया और न ही उन्हें लिस्ट में कोई जगह दी गई।
अब इस पूरी घटना को देख कर लगता है कि आलाकमान महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ और शांति धारीवाल से खासा नाराज़ है।
अब किसकी नाराज़गी, कितना प्रभाव प्रभाव डालेगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।