सिरोही: न्यायालय के आदेश पर जिला कलेक्टर की गाड़ी कुर्क

जिला कलेक्टर अल्पा चौधरी के कार्यालय के बाहर न्यायालय के सेल अमीन ने कलेक्टर की गाड़ी (आरजे 24 यूए 2355) को कुर्क कर लिया

जिला कलेक्टर की गाड़ी

सिरोही।  न्यायालय के आदेश पर जिला कलेक्टर की आधिकारिक गाड़ी को कुर्क करना एक ऐतिहासिक घटना बनी है। मंगलवार को इस कार्रवाई की सूचना मिलते ही कलेक्टर कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई। यह नजारा अधिकारियों और आम जनता के बीच न्याय और जवाबदेही की एक नई परिभाषा पेश कर रहा था।

मामला क्या है?
यह मामला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में शुरू हुआ, जब मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सिरोही और पिंडवाड़ा में फ्लैट्स का निर्माण किया गया। इन फ्लैट्स को लॉटरी के माध्यम से आवंटित किया गया था, जिसमें आवेदकों से पहले धनराशि जमा कराई गई थी। हालांकि, कई वर्षों के बाद भी आवंटियों को इन फ्लैटों का कब्जा नहीं दिया गया।

आवंटियों में से एक सोनू कंवर ने अपनी राशि लौटाने के लिए सिरोही की स्थायी लोक अदालत में परिवाद दायर किया, जिसमें नगर परिषद पिंडवाड़ा और जिला कलेक्टर को भी नामित किया गया। न्यायालय ने 26 जनवरी 2024 को सोनू कंवर के पक्ष में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन्हें 4,60,908 रुपये का अवार्ड दिया गया।

कलेक्टर पर कार्रवाई
जिला कलेक्टर ने निर्धारित समय पर सोनू कंवर को उक्त राशि लौटाने में विफलता दिखाई। इसके बाद, न्यायालय ने 18 मार्च 2024 को एक बार फिर आदेश दिया कि जिला कलेक्टर को यह राशि लौटाई जाए। लेकिन जब इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो न्यायालय ने कलेक्टर की गाड़ी को कुर्क करने का आदेश जारी किया।

जिन अधिकारियों के लिए कानून का पालन करना अनिवार्य है, उन्हें इस तरह की कार्रवाई ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। कलेक्टर कार्यालय के बाहर इस घटना के बाद लोगों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे न्याय की जीत बताया, जबकि अन्य ने इसे सरकारी अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा माना।

गाड़ी की कुर्की
जिला कलेक्टर अल्पा चौधरी के कार्यालय के बाहर न्यायालय के सेल अमीन ने कलेक्टर की गाड़ी (आरजे 24 यूए 2355) को कुर्क कर लिया। इस कार्रवाई के दौरान कलेक्टर कार्यालय में मौजूद थी। गाड़ी पर न्यायालय का नोटिस चस्पा किया गया और उसे बिना न्यायालय की अनुमति के उपयोग नहीं करने का आदेश दिया गया।

निष्कर्ष
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि न्यायालय के आदेशों का पालन न करने पर सरकारी अधिकारियों को भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यह घटनाक्रम न केवल सिरोही के नागरिकों के लिए, बल्कि पूरे राज्य के अधिकारियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि न्याय और उत्तरदायित्व का क्या महत्व है। ऐसे मामलों में कानून का पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि नागरिकों का विश्वास सरकारी तंत्र पर बना रहे।