राज्यसभा में मलिकार्जुन खड़गे का हमला: ऑपरेशन सिंदूर और मोदी सरकार की चुप्पी पर उठाए गंभीर सवाल
राज्यसभा में खड़गे का यह भाषण न सिर्फ तीखा था, बल्कि तथ्यों और दस्तावेज़ी प्रमाणों पर आधारित था। उन्होंने सरकार को घेरा, सेना का सम्मान किया, शहीदों के परिवारों
नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025 — संसद के मॉनसून सत्र में आज राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष श्री मलिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उनका पूरा भाषण न सिर्फ पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के निष्पादन पर केंद्रित था, बल्कि उन्होंने मोदी सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री की चुप्पी, और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की गंभीर खामियों को भी उजागर किया।
श्रद्धांजलि और पीड़ा से शुरुआत
खड़गे ने सबसे पहले पहलगाम हमले में मारे गए नागरिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कविता के माध्यम से पीड़ित परिवारों का दर्द बयान किया: "मेहंदी वाले हाथों ने पति की लाश उठाई है, बेबस रोते बच्चों ने पापा की जान गंवाई है..." यह शुरुआत ही उनके पूरे भाषण के भावनात्मक स्वरूप को दर्शाती थी।
सरकार की रणनीति पर सवाल
खड़गे ने सवाल उठाया कि अगर गृह मंत्री खुद यह दावा करते हैं कि टेरर इकोसिस्टम को ट्रिपल कर दिया गया है, तो पहलगाम में आतंकवादी कैसे घुस आए? उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 दिन पहले अपना दौरा क्यों रद्द किया—क्या उन्हें किसी खतरे की जानकारी थी?
इंटेलिजेंस फेलियर और जवाबदेही
उन्होंने बार-बार कहा कि यह एक स्पष्ट सुरक्षा विफलता है, और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने जिम्मेदारी ली थी। खड़गे ने सवाल किया कि जब खुद एलजी ने विफलता मानी है, तो गृह मंत्री अमित शाह को क्यों नहीं जिम्मेदार ठहराया गया?
प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति और मौन पर निशाना
खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री न सत्र में मौजूद हैं, न ही विपक्ष के पत्रों का जवाब दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी जी चुप हैं, क्योंकि उन्हें जवाब देने का साहस नहीं है।
सीज़फायर और डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर सवाल
खड़गे ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को भी उठाया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि "मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोका।" खड़गे ने कहा कि अगर यह सच है, तो यह भारत की विदेश नीति और आत्मनिर्भरता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
सीधे सवाल सरकार से:
- किन शर्तों पर सीज़फायर हुआ?
- क्या अमेरिका की भूमिका थी?
- क्या थर्ड पार्टी मेडीएशन भारत की विदेश नीति के विरुद्ध नहीं है?
- क्या ट्रेड थ्रेट्स या ब्लैकमेलिंग के चलते यह सीज़फायर हुआ?
- ऑपरेशन सिंदूर में सामरिक त्रुटियाँ और सेना की आवाज़ें
खड़गे ने सीडीएस जनरल अनिल चौहान के बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआती चरणों में "टैक्टिकल मिस्टेक्स" होने की बात स्वीकारी। इसके अलावा इंडोनेशिया में भारत के रक्षा अटैची के बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि राजनीतिक निर्देशों के कारण सेना निर्णय नहीं ले पाई।
सीधा आरोप: पाकिस्तान नहीं, चीन से युद्ध
उपसेना प्रमुख के हवाले से खड़गे ने कहा कि भारत ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तान से नहीं बल्कि चीन से लड़ा। यह बयान खुद में एक बड़ा खुलासा था, जिसने पूरे ऑपरेशन की रणनीतिक प्रकृति को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।
शहीदों के परिवारों का अपमान
खड़गे ने भाजपा के नेताओं पर शहीदों के परिवारों का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने मध्य प्रदेश के एक मंत्री के बयान को शर्मनाक बताया और मांग की कि ऐसे नेताओं को पार्टी से निकाला जाए।
महिलाओं और सेना के प्रति असंवेदनशीलता
उन्होंने कहा कि एक भाजपा सांसद ने शहीदों की विधवाओं पर टिप्पणी की कि उनमें "वीरांगना जैसा भाव" नहीं था। खड़गे ने तीखा सवाल किया—क्या एक पत्नी का रोना अब देशभक्ति की कसौटी बन गया है?
सर्वदलीय समर्थन और सरकार की कृतघ्नता
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने सरकार को हर कदम पर सेना के समर्थन में सहयोग दिया। फिर भी प्रधानमंत्री और सत्ताधारी दल सिर्फ चुनावी मंच से विपक्ष को कोसने में लगे रहे।
आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की पाकिस्तान को आर्थिक सहायता
सीजफायर के बाद IMF और वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान को आर्थिक सहायता दी, जिसे खड़गे ने भारत की रणनीतिक विफलता बताया। उन्होंने पूछा कि भारत ने इन संस्थाओं के बोर्ड में इस सहायता का विरोध क्यों नहीं किया?
अमेरिका-पाक रिश्तों पर चिंता
खड़गे ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने पाक सेना प्रमुख को वाइट हाउस बुलाया, और अमेरिकी कमांड ने पाकिस्तान को 'फेनोमिनल पार्टनर' कहा। ऐसे में भारत की विदेश नीति की पराजय स्पष्ट है।
विदेश नीति की ‘इवेंटबाजी’ पर हमला
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की विदेश नीति सिर्फ फोटो खिंचवाने और शोबाजी तक सीमित है। न तो कोई देश भारत के साथ खड़ा हुआ, न ही किसी ने पाकिस्तान की सार्वजनिक निंदा की।
प्रधानमंत्री को जवाब देना होगा
अंत में खड़गे ने स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री से चार सवालों का जवाब माँगा और कहा कि अब देश को सिर्फ स्पीच नहीं, जवाब चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अहंकार और चुप्पी का यही क्रम चलता रहा, तो लोकतंत्र कमजोर होगा।