राहुल गांधी का लोकसभा में धमाकेदार भाषण: ऑपरेशन सिंदूर पर कहा – 'सेना को हथकड़ी पहनाकर जंग में भेजा

राहुल गांधी का लोकसभा में दिया गया यह भाषण न केवल सरकार की रणनीति की आलोचना करता है बल्कि यह इस बात की चेतावनी भी है कि भारत एक नई तरह के भू-राजनीतिक खतरे का सा

नई दिल्ली। 29 जुलाई 2025
लोकसभा में सोमवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने "ऑपरेशन सिंदूर" पर सरकार की नीति और कार्यशैली को लेकर तीखा हमला बोला। उनके भाषण में जहां भावनात्मक अपील थी, वहीं रणनीतिक और कूटनीतिक विश्लेषण भी स्पष्ट रूप से झलक रहा था। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह सरकार द्वारा अपनी छवि बचाने की कोशिश थी, जिसमें सेना को राजनीतिक लाभ के लिए मोहरा बनाया गया।

"पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि, लेकिन सरकार की नीयत पर सवाल"
राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए नागरिकों और सुरक्षा बलों को श्रद्धांजलि देते हुए की। उन्होंने इसे "ब्रूटल", "ऑर्गनाइज्ड", और "पाकिस्तान समर्थित" हमला करार दिया। उन्होंने कहा कि पूरा विपक्ष एकजुट होकर सेना और सरकार के साथ खड़ा रहा, लेकिन सरकार की रणनीति ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

“हमने आलोचना नहीं की, कटाक्ष भी नहीं किया, सिर्फ एकजुटता दिखाई... लेकिन सरकार ने सेना को उस स्वतंत्रता के साथ नहीं लड़ने दिया जिसकी उन्हें ज़रूरत थी।”
“सेना को टाइगर बताया, लेकिन कहा – आप उसे पिंजरे में रखकर नहीं लड़वा सकते”
अपने भाषण में राहुल गांधी ने सुरक्षा बलों के प्रति सम्मान और गर्व प्रकट करते हुए उन्हें "टाइगर" कहा। लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि टाइगर को उसकी पूरी ताकत से लड़ने देना ज़रूरी होता है।

“टाइगर को बांधकर नहीं लड़वाया जाता। अगर आप चाहते हैं कि वह देश के लिए लड़े और जीते, तो उसे पूरी फ्रीडम ऑफ ऑपरेशन दीजिए। लेकिन आपने सेना के हाथ पीछे बांध दिए।”

"1971 और सिंदूर का फर्क समझाइए"
उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 1971 के युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर की तुलना को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि 1971 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनरल मानेकशॉ को पूरी छूट दी थी।

“1971 में जब अमेरिका की 7वीं फ्लीट हिंद महासागर में आई, तब भी इंदिरा गांधी ने कहा – हमें जो करना है हम करेंगे। वह थी राजनीतिक इच्छाशक्ति। आज क्या हुआ? आपने पाकिस्तान को बताया कि हम मिलिट्री टारगेट्स नहीं मारेंगे!”

“ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ 22 मिनट, और उसके 8 मिनट बाद पाकिस्तान को फोन?”

राहुल गांधी के अनुसार, सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के केवल 22 मिनट बाद भारत ने पाकिस्तान को फोन कर बताया कि हमने सिर्फ नॉन-मिलिट्री टारगेट्स को मारा है और हमें एस्केलेशन नहीं चाहिए।

“आपने एक थप्पड़ मारा और फिर जाकर कहा कि हम और थप्पड़ नहीं मारेंगे! यह कैसी राजनीतिक इच्छाशक्ति है?”

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार की कमजोरी को दर्शाता है और पाकिस्तान को यह संकेत देता है कि भारत के पास लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है।

“आपने पायलट्स को भेजा, लेकिन कह दिया कि एयर डिफेंस सिस्टम को मत छूना”

राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय वायुसेना को मिशन पर भेजा गया, लेकिन उन्हें पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला करने की इजाज़त नहीं दी गई।

“आपने पायलट्स को भेजा कि वो मिशन करें, लेकिन उनको कहा कि पाकिस्तान का एयर डिफेंस मत छूना। यह सरासर बंधी हुई लड़ाई थी। क्या इसीलिए हमारे विमान गिरे?”

उन्होंने कहा कि विमान इसलिए गिरे क्योंकि राजनीतिक नेतृत्व ने उन्हें खुली छूट नहीं दी।

“डोनाल्ड ट्रंप ने कहा उन्होंने सीज़फायर कराया – क्या प्रधानमंत्री में हिम्मत है उन्हें झूठा कहने की?”

राहुल गांधी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर सवाल उठाए जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर कराया।

“अगर वह झूठ बोल रहे हैं तो प्रधानमंत्री मोदी यहां संसद में खड़े होकर कहें – डोनाल्ड ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। अगर इंदिरा गांधी की 50% भी हिम्मत है, तो बोलकर दिखाएं।”

"दुनिया ने पाकिस्तान को नहीं, आतंकवाद को कंडेम किया – ये फर्क समझिए"

राहुल गांधी ने सरकार की इस बात पर भी सवाल उठाया कि पूरी दुनिया ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई। उन्होंने कहा कि किसी भी देश ने पाकिस्तान को सीधे तौर पर नहीं लताड़ा।

“जब यूपीए की सरकार थी, तब पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक कहा जाता था। आज कोई नहीं कहता। इसका मतलब है कि दुनिया अब हमें और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौल रही है।”

“पहलगाम के मास्टरमाइंड को अमेरिका में लंच पर बुलाया गया”
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल मुनीर, जो पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हैं, उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति ने लंच पर बुलाया और धन्यवाद दिया कि भारत ने युद्ध नहीं किया।

“ये है न्यू नॉर्मल। हमारा प्रधानमंत्री नहीं जा सकता, लेकिन जिसने हमला कराया वो अमेरिका में लंच कर रहा है। प्रधानमंत्री खामोश हैं।”

“चीन-पाकिस्तान मिलकर लड़ रहे हैं – क्या सरकार को पता भी है?”
राहुल गांधी ने एक बेहद गंभीर दावा किया कि भारत पाकिस्तान से नहीं, बल्कि पाकिस्तान-चीन के संयुक्त मोर्चे से लड़ रहा है।

“पाकिस्तानी एयरफोर्स की जानकारी अब चाइनीज़ सैटेलाइट से फीड होती है। हमारे खिलाफ दोनों देशों की जुगलबंदी है, और सरकार को यह समझ तक नहीं आ रहा।”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन की सेनाएं अब नेटवर्क सेंट्रिक तरीके से जुड़ गई हैं और भारत अब केवल 'टू फ्रंट' नहीं बल्कि 'सिंगल यूनिफाइड फ्रंट' से जूझ रहा है।

"विदेश मंत्री को कॉमन सेंस तक की कमी है"

उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की उस टिप्पणी पर कटाक्ष किया जिसमें उन्होंने कहा था कि "चीन बड़ी इकॉनमी है, हम उससे लड़ाई नहीं ले सकते।"

“इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि आपको डर लग रहा है। क्या यही है आपकी विदेश नीति? क्या आप भारत को ऐसी सोच से चलाएंगे?”

"प्रधानमंत्री अपनी छवि के लिए सेना का इस्तेमाल कर रहे हैं"

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह सबसे बड़ा आरोप लगाया कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ अपनी छवि को बचाने के लिए चलाया।

“सेना को इस्तेमाल किया गया ताकि प्रधानमंत्री यह दिखा सकें कि उन्होंने बदला लिया। यह सेना का अपमान है। ये देश का अपमान है।”

“सेना को राजनीति से दूर रखिए, देशहित में इस्तेमाल कीजिए”

उन्होंने अंत में अपील की कि सेना को राष्ट्रीय हित में पूर्ण स्वतंत्रता के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि किसी नेता की ब्रांडिंग के लिए।

“टाइगर को खोलिए, उसके हाथ मत बांधिए। पाकिस्तान को पहले बताकर हमला मत कीजिए। अगर लड़ाई करनी है तो पूरी ताकत से कीजिए।”

"पहलगाम के शहीदों की बात कोई नहीं कर रहा, केवल राजनीति हो रही है"

अपने पूरे भाषण के अंत में राहुल गांधी ने कहा कि पूरे संसद में पहलगाम के शहीदों का कोई नाम तक नहीं ले रहा।

“जो लोग मारे गए उनके परिवारों का क्या? क्या वो सिर्फ तस्वीरें बनकर रह जाएंगे? क्या हमें उनकी याद नहीं रखनी चाहिए?”

राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी टिप्पणी में कई मुख्य बातें कही हैं:

• उन्होंने पहलगाम हमले को एक क्रूर, हृदयहीन हमला बताया, जो स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी राज्य द्वारा संगठित और नियोजित था।

• उन्होंने जोर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने सेना और सरकार के साथ चट्टान की तरह खड़े होने का संकल्प लिया था।

• राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए 100% राजनीतिक इच्छाशक्ति (Political Will) और कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता (Freedom of Operation) होनी चाहिए।

• उन्होंने 1971 के युद्ध का उदाहरण दिया, जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई और जनरल मानेकशॉ को कार्रवाई की पूरी छूट दी, जिसके परिणामस्वरूप एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और एक नया देश बना।

• उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण की आलोचना की, विशेष रूप से इन बिंदुओं पर:
    ◦ ऑपरेशन सिंदूर केवल 22 मिनट तक चला।
    ◦ ऑपरेशन शुरू होने के केवल 30 मिनट बाद (रात 1:35 बजे), भारत ने पाकिस्तान को फोन करके बताया कि उसने गैर-सैन्य ठिकानों पर हमला किया है और वह स्थिति को बढ़ाना नहीं चाहता (do not want escalation)। राहुल गांधी ने इसे भारत की ओर से लड़ने की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के रूप में देखा।
    ◦ रक्षा मंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि भारत पाकिस्तान के सैन्य बुनियादी ढांचे या हवाई रक्षा प्रणाली पर हमला नहीं करेगा। राहुल गांधी ने तर्क दिया कि इससे भारतीय पायलटों के हाथ बंध गए, और परिणामस्वरूप कुछ विमान खो गए क्योंकि उन्हें बिना पलटवार किए पाकिस्तानी हवाई रक्षा प्रणाली का सामना करना पड़ा।

• उन्होंने कैप्टन शिवकुमार और सीडीएस अनिल चौहान के बयानों का हवाला दिया, जिसमें राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण विमानों के नुकसान का जिक्र था। राहुल गांधी ने कहा कि गलती सामरिक नहीं, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व की थी।

• उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्रवाई का लक्ष्य प्रधानमंत्री की छवि की रक्षा करना था, क्योंकि "पहलगाम के लोगों का खून उनके हाथों पर है"।

• उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने 29 बार दावा किया है कि उन्होंने युद्ध रुकवाया, और प्रधानमंत्री को चुनौती दी कि यदि उनमें साहस है तो वे इस बात का खंडन करें।

• राहुल गांधी ने "न्यू नॉर्मल" की आलोचना की, जहां दुनिया आतंकवाद की निंदा करती है लेकिन पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की विशेष रूप से निंदा नहीं करती, जिससे भारत और पाकिस्तान को एक ही पलड़े में तौला जा रहा है।

• उन्होंने बताया कि जनरल मुनीर (पाकिस्तानी सेना प्रमुख, पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड) अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ दोपहर का भोजन कर रहे हैं, जिसका अर्थ है कि भारत के प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान के नेतृत्व को सम्मान मिल रहा है।

• उन्होंने सरकार की इस नीति पर सवाल उठाया कि "आतंकवाद का कोई भी कृत्य युद्ध का कृत्य है" (any act of terror is an act of war), यह तर्क देते हुए कि यह आतंकवादियों को युद्ध शुरू करने की शक्ति देता है। उन्होंने कहा कि यह सरकार रोकने की शक्ति (deterrence) और सैन्य स्वतंत्रता के बारे में अनजान है।

• उन्होंने चीन और पाकिस्तान के "विलय" (fusion) के बारे में चेतावनी दी, और कहा कि भारत की सबसे बड़ी विदेश नीति चुनौती उन्हें अलग रखना थी, लेकिन यह सरकार इस लक्ष्य को नष्ट कर चुकी है।

• उन्होंने बताया कि चीन की मदद से पाकिस्तान में "सेंटिया सेंटर फॉर एआई एंड कंप्यूटिंग" बनाया गया है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तानी वायुसेना को चीनी वायुसेना के साथ एकीकृत करना है, और पाकिस्तानी अधिकारी 2021 से चीनी कमांड में तैनात हैं।

• उन्होंने विदेश मंत्री की "दो-मोर्चे वाले युद्ध" (two-front war) की अवधारणा को अप्रचलित बताया और कहा कि अब एक एकीकृत मोर्चा (unified front) है, जिसमें युद्ध कई डोमेन (अंतरिक्ष, साइबर, हवा, जमीन, समुद्र) में लड़ा जाता है।

• उन्होंने दोहराया कि प्रधानमंत्री की छवि की रक्षा के लिए सेना का उपयोग करना खतरनाक है, और सेना का उपयोग केवल राष्ट्रीय हित में पूरी स्वतंत्रता के साथ किया जाना चाहिए।

• राहुल गांधी ने अंत में कहा कि राष्ट्र प्रधानमंत्री की छवि, राजनीति और पीआर से ऊपर है, और सशस्त्र बलों और राष्ट्रीय हित को छोटे राजनीतिक लाभों के लिए बलिदान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस चर्चा में पहलगाम में मारे गए लोगों का उल्लेख नहीं किया गया, जो दुखद है।