ये कदम थिरके आवर्ष
तुम्हारी लय पर
देखे रंग शुभाशुभ
निमित्त बने तुम पीड़ा और संत्रास
अनदेखे अनसुने अनुभवों का
तुम्हारे प्रवाह में सम्मोहन था
कि सम्मोहन में प्रवाह
प्रवाहित मुझे ही होना था
लिखा तुमने
भोगा मैंने!
तुम्हारा वर्तमान होना प्रसव पीड़ा
और आज अतीत हो जाना
उंगलियों से उर्मियों के फिसल जाने सदृश
अन्तिम दिवस अपनी देहरी से
सकुशल सम्मान विदा देने के लिए
आभार सखे!
तुम अद्भुद थे
परस्पर मुक्ति शुभ हो।
नव वर्ष शुभ हो।
- नीलू शेखावत

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