Highlights
- परिवारवाद पर सवाल: ओटाराम देवासी के पुत्र विक्रम देवासी का सिरोही क्रिकेट संघ का निर्विरोध अध्यक्ष बनना, परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप उत्पन्न कर रहा है, जिससे स्थानीय राजनीति में असंतोष बढ़ा है।
-
स्थानीय नेताओं की उपेक्षा: सोशल मीडिया पर इस चुनाव को लेकर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें आरोप है कि स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज कर बाहरी व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया, जिससे सिरोही की राजनीति में असंतुलन पैदा हो रहा है।
-
चुनाव प्रक्रिया पर विवाद: सचिव पद के उम्मीदवार महेंद्र सिंह उमठ का फार्म नियमों के तहत खारिज होने को लेकर विवाद पैदा हुआ, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं।
-
राजनीतिक हलचल और विपक्ष की प्रतिक्रिया: विक्रम देवासी के अध्यक्ष बनने के बाद, ओटाराम देवासी विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं, और यह चुनावी परिणाम सिरोही में आगामी राजनीतिक विवादों का कारण बन सकता है।
सिरोही | राजस्थान के सिरोही जिले में क्रिकेट संघ के चुनाव ने राजनीति के नए रंग दिखा दिए हैं। राज्य मंत्री ओटाराम देवासी के बेटे विक्रम देवासी के निर्विरोध अध्यक्ष बनने के बाद सिरोही की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है।
इस चुनाव के परिणामों ने जहां एक ओर मंत्री के परिवार को एक राजनीतिक मजबूती दी है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़े कर दिए हैं कि क्या यह कदम परिवारवाद को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम है?
सिरोही में इस चुनाव को लेकर जो चर्चा उठी है, वह केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय राजनीति और बाहरी हस्तक्षेप के मुद्दों को भी सामने ला रही है।
ओटाराम देवासी के पुत्र के अध्यक्ष बनने से एक बार फिर यह सवाल उठ रहा है कि क्या सिरोही के स्थानीय नेताओं को उनके हक से वंचित किया जा रहा है?
सिरोही जिले में जिला क्रिकेट संघ के चुनाव इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। खासतौर पर राजस्थान के राज्य मंत्री ओटाराम देवासी के पुत्र विक्रम देवासी के निर्विरोध अध्यक्ष बनने ने इस चुनाव को विशेष ध्यान आकर्षित किया है।
14 दिसंबर की शाम को चुनाव अधिकारी नरेंद्र सिंह सिंदल द्वारा जारी किए गए परिणामों में विक्रम देवासी का नाम अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार के रूप में सामने आया, जिसके चलते उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया।
इस चुनाव में राजेश माथुर को निर्विरोध सचिव पद का निर्वाचित किया गया।
वहीं, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर संजीव सिंह सांखला, उपाध्यक्ष पद पर भरत प्रजापत और गोपाल माली, सह सचिव पद पर हरिओम दत्ता और मुकेश माथुर, और कोषाध्यक्ष पद पर राजेंद्र कुमार सोलंकी को विजयी घोषित किया गया।
कार्यकारिणी सदस्य के रूप में सुखदेव आर्य, कमल सगरवंशी, नारायण रांगी और अनिल शर्मा ने जीत दर्ज की।
चुनाव अधिकारी नरेंद्र सिंह सिंदल ने बताया कि इस चुनाव में शनिवार को फार्म की नाम वापसी के दौरान अध्यक्ष पद के लिए मदन सिंह और कार्यकारिणी सदस्य के लिए संजीव सिंह सांखला ने अपना नाम वापस लिया। सचिव पद के लिए उम्मीदवार महेंद्र सिंह उमठ का फार्म नियमों के तहत खारिज कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने त्याग पत्र की कॉपी नहीं लगाई थी।
विक्रम देवासी के निर्विरोध अध्यक्ष बनने के बाद सिरोही में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस पर सवाल उठाए हैं। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि मंत्री ओटाराम देवासी ने अपने बेटे को सिरोही क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनाकर स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर दिया है।
साथ ही, उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवारवाद नीति पर एक करारा तंज भी माना। सवाल उठाया जा रहा है कि स्थानीय लोगों को मौका देने के बजाय बाहरी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया, जिससे राजनीति में बाहरी हस्तक्षेप को लेकर भी आशंकाएं जताई जा रही हैं।
इसी बीच, कुछ लोगों ने सिरोही के भाजपा विधायक और मंत्री के परिवार के लोगों द्वारा राजनीतिक शक्ति के दुरुपयोग की आशंका भी जताई है। सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि सिरोही के स्थानीय नेता अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं और बाहरी लोग, जो पार्टी से संबंधित नहीं हैं, उन्हें महत्व दिया जा रहा है।
विक्रम देवासी के अध्यक्ष बनने के साथ ही ओटाराम देवासी एक बार फिर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गए हैं। उनकी इस चुनावी सफलता ने सिरोही के राजनीतिक परिदृश्य में नए विवादों को जन्म दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रियाएँ सामने आती हैं।