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इस आयोजन में हजारों क्षत्रिय और क्षत्राणियों ने केसरिया परिधान में एक अद्भुत एकता और गरिमा का परिचय दिया। लेकिन यह केवल एक परंपरागत समारोह नहीं था—यह था युवा शक्ति के जागरण का आह्वान, शिक्षा में समरसता का संकल्प, और इतिहास की सत्यता की पुनःस्थापना का अभियान।
लालसोट, राजस्थान – इतिहास केवल पुस्तकों में सीमित नहीं होता; वह तब जीवंत हो उठता है जब वर्तमान उसकी प्रेरणा को आत्मसात कर समाज में परिवर्तन लाने का माध्यम बनता है। ऐसा ही एक ऐतिहासिक क्षण बना अलीपुरा स्थित भगतावर बाबोसा मंदिर परिसर, जहाँ युवा शक्ति संयोजन और यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (UGPF) ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की 859वीं जयंती को एक सामाजिक जागरण अभियान के रूप में मनाया।
इस आयोजन में हजारों क्षत्रिय और क्षत्राणियों ने केसरिया परिधान में एक अद्भुत एकता और गरिमा का परिचय दिया। लेकिन यह केवल एक परंपरागत समारोह नहीं था—यह था युवा शक्ति के जागरण का आह्वान, शिक्षा में समरसता का संकल्प, और इतिहास की सत्यता की पुनःस्थापना का अभियान।
शिक्षा और समानता: UGPF की सेवा भावना
कार्यक्रम में UGPF के चेयरमैन श्री मेघराज सिंह रॉयल ने स्पष्ट रूप से कहा,
"समाज की असली सेवा वहीं है, जहाँ जरूरतमंद तक सहायता बिना भेदभाव के पहुँचे।"
उन्होंने बताया कि पिछले छह महीनों में फाउंडेशन द्वारा चार करोड़ रुपये से अधिक की सहायता, मेधावी विद्यार्थियों और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को दी गई है। इस कार्यक्रम में भी लालसोट की जिला मेरिट में चयनित दो छात्राओं को उच्च शिक्षा हेतु सहायता देने की घोषणा की गई — जो शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों को आत्मनिर्भरता की ओर एक सार्थक कदम है।
युवा शक्ति संयोजन: विचार और नेतृत्व का संगम
UGPF के निदेशक और युवा शक्ति संयोजन के ध्वजवाहक श्री शक्ति सिंह बांदीकुई ने कार्यक्रम को सामाजिक समरसता का मंच बना दिया। उन्होंने कहा:
"सम्राट पृथ्वीराज चौहान केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि नेतृत्व, सहिष्णुता और न्याय के प्रतीक थे। आज जरूरत है उस दृष्टिकोण को पुनर्जीवित करने की – जहाँ हम 36 कौमों को साथ लेकर चल सकें।"
उनके संबोधन में समकालीन युवाओं के लिए एक स्पष्ट संदेश था – "एकता ही शक्ति है, और शक्ति का उद्देश्य सेवा होना चाहिए।"
- इतिहास का पुनर्पाठ: भ्रांतियों से मुक्ति का प्रयास
- इस आयोजन में इतिहास को नई दृष्टि से देखने का प्रयास किया गया।
- रोहतक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अजितेंद्र सिंह चौहान,
- इतिहास शुद्धिकरण अभियान के श्री पृथ्वीराज सिंह भांडेडा,
- और अन्य विद्वानों ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुड़ी भ्रांतियों और विकृत इतिहास पर तथ्यात्मक दृष्टिकोण साझा किया।
- यह कार्यक्रम केवल अतीत की गौरवगाथा नहीं था, बल्कि वर्तमान को सही संदर्भों में दिशा देने का प्रयास भी था।
आध्यात्मिक ऊर्जा और सामाजिक समर्पण का संगम
कार्यक्रम की विशेष उपस्थिति रहे 112 वर्षीय संत श्री दिलीप गिरी जी महाराज, जिनके आशीर्वचन ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
उनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि सेवा, समर्पण और सद्भावना की परंपरा पीढ़ियों से प्रवाहित होती रही है, और UGPF उसी परंपरा को आधुनिक संवेदना के साथ आगे बढ़ा रहा है।
एकजुटता की जीवंत झलक
कार्यक्रम में प्रमुख सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक व्यक्तित्वों की उपस्थिति रही –
राम सिंह चंदलाई (राजपूत सभा जयपुर),
पूर्व न्यायाधीश भगवान सिंह चौहान,
प्रो. माधो सिंह चौहान,
ग्राम सरपंचों, इतिहासकारों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की व्यापक भागीदारी यह दर्शाती है कि यह आंदोलन केवल किसी जाति विशेष का नहीं – बल्कि एक राष्ट्रीय और मानवीय विचारधारा का प्रतिनिधि है।
सम्राट पृथ्वीराज चौहान की 859वीं जयंती का यह आयोजन केवल अतीत के सम्मान का उत्सव नहीं, बल्कि एक नवचेतना का शुभारंभ था।
युवा शक्ति संयोजन और UGPF के संयुक्त प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि नेतृत्व में दृष्टि हो, और सेवा में निष्ठा –
तो इतिहास प्रेरणा बनता है, वर्तमान परिवर्तन और भविष्य – उम्मीद।