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गहलोत की योजनाओं को कांग्रेस ने पहले हिमाचल और उसके बाद कर्नाटक में जनता के सामने रखा। ऐसे में अब राजस्थान को लेकर भी गहलोत को उनकी य़ोजनाओं पर पूरी छूट देने की चर्चाएं हो रही है।
जयपुर | राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की दौड़ के लिए चल रही सियासी लड़ाई अब आगामी विधानसभा चुनाव में और तेज होने के आसार दिख रहे हैं।
दिल्ली में बैठे कांग्रेस आलाकमानों की नजर अब कर्नाटक के बाद अब राजस्थान पर है।
कांग्रेस आलाकमान फिर से विधानसभा चुनावों में सीएम अशोक गहलोत के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
अगर ऐसा होता है तो सचिन पायलट की मुश्किलें और बढ़ सकती है और उन्हें सीएम की कुर्सी तक पहुंचने में लंबा समय लग सकता है।
सीएम गहलोत की जनकल्याण योजनाओं से खुश आलाकमान
सूत्रों की माने तो कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद से कांग्रेस आलाकमान ‘गहलोत मॉडल’ से काफी खुश हैं।
ये भी बात सामने आई है कि गहलोत की योजनाओं को कांग्रेस ने पहले हिमाचल और उसके बाद कर्नाटक में जनता के सामने रखा।
ऐसे में अब राजस्थान को लेकर भी गहलोत को उनकी य़ोजनाओं पर पूरी छूट देने की चर्चाएं हो रही है।
माना जा रहा है कि गहलोत की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर ही 2023 राजस्थान चुनाव लड़ा जाएगा।
ऐसे में आगामी चुनाव को देखते हुए 30 मई के बाद दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक होने की संभावना जताई जा रही है।
गौरतलब है कि पिछले साढ़े चार साल से सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच वर्चस्व की लड़ाई लगातार जारी है।
पायलट ने तो गहलोत सरकार के खिलाफ बगावती तेवर दिखाते हुए अपनी मांगों को लेकर 15 दिन का अल्टीमेटम भी दे रखा है।
इसी के साथ उन्होंने ये भी चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो वे अब गांधीवादी नीति छोड़कर आंदोलन की राह पकड़ेंगे।
वहीं दूसरी ओर, दिल्ली में बैठे कांग्रेस आलाकमान एक बार फिर से राजस्थान में ’गहलोत मॉडल’ की बात कह रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस आलाकमान सीएम गहलोत के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरेंगे।
कांग्रेस पार्टी गहलोत सरकार की योजनाओं को आधार बनाकर सरकार रिपीट करवाने के लिए कमर कसे हुए है।
आज राहत की गणना
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) May 26, 2023
राजस्थान जारी है बढ़ना
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हिमाचल और कर्नाटक चुनाव में छाया रहा ‘गहलोत मॉडल’
गौरतलब है कि कर्नाटक चुनावों में राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
साथ ही उनके ‘गहलोत मॉडल’ की भी काफी चर्चा हुई थी।
यहीं नहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी ‘गहलोत मॉडल’ का प्रभाव देखा गया था।
जिसका ही परिणाम रहा कि कांग्रेस ने यहां भाजपा को शासन से उखाड़ फेंका और सत्ता पर काबिज हुई।