Podcast with Royal: अनिरुद्ध भरतपुर: शाही जड़ें, शिक्षक की आत्मा, नेता की दृष्टि

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Highlights

  • शिक्षा और वैश्विक दृष्टिकोण:
    अनिरुद्ध सिंह की शिक्षा भरतपुर से शुरू होकर लंदन के UCL तक पहुँची। उन्होंने कंप्यूटर साइंस और मैनेजमेंट में डिग्रियाँ लीं और UCL में असिस्टेंट प्रोफेसर भी रहे। वे मानते हैं कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता है ताकि थ्योरी नहीं, एप्लिकेशन पर जोर दिया जाए।

  • संस्कृति और पारिवारिक पृष्ठभूमि का सम्मान:
    वे अपनी शाही विरासत को गर्व के साथ स्वीकारते हैं और मानते हैं कि भारत में पूर्वजों की संपदा को संरक्षित और सम्मानित किया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ के लिए बदनाम किया जाए।

  • राजनीति और विचारधारा:
    अनिरुद्ध सिंह बीजेपी की राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक हैं और कांग्रेस को "एंटी-नेशनल" मानते हैं। बावजूद इसके, वे रिश्तों में भावनात्मक पारदर्शिता रखते हैं और सचिन पायलट जैसे व्यक्तियों के साथ पारिवारिक संबंधों को प्राथमिकता देते हैं।

  • सोशल मीडिया, समाज और व्यक्तिगत जीवन:
    सोशल मीडिया को वे सूचना का शस्त्र मानते हैं, लेकिन उसका जिम्मेदार उपयोग ज़रूरी मानते हैं। वे अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी स्पष्ट हैं — न दिखावा, न छुपाव। उनका मानना है कि रिश्ते स्वाभाविक होने चाहिए, खोजे नहीं जाने चाहिए।

प्रश्न: नमस्कार, मैं हूँ प्रदीप। आप देख रहे हैं थिंक 360। आज हमारे स्टूडियो में एक खास मेहमान हैं, एक ऐसा व्यक्तित्व जो अपनी बात से नहीं फिरता, जुबान का धनी है, युवा हैं और ऊर्जा से भरे हुए नजर आते हैं। अनिरुद्ध सिंह भरतपुर हमारे साथ हैं। सर, बहुत स्वागत है।

अनिरुद्ध सिंह : धन्यवाद, प्रदीप जी।

प्रश्न: कहानी हम शुरू से जानना चाहेंगे कि एक राजकुमार का बचपन कैसा रहा? एक ऐसे लड़के का बचपन जिसका वर्तमान ऐसा है कि लोग देखते हैं तो ऊर्जा से भर जाते हैं या किसी दूसरी दिशा में भी ले जाते हैं।

अनिरुद्ध सिंह : बचपन तो मेरा वैसा ही रहा जैसा किसी भी सामान्य बच्चे का एक छोटे शहर में होता है। मैं भरतपुर में रहता था और मेरी शुरुआती शिक्षा भी वहीं हुई। बचपन बहुत ही सामान्य था। मेरी माताजी एक पूर्णकालिक माँ थीं, और उनका बहुत जोर रहता था कि बच्चों को हमेशा एक सामान्य, साधारण जीवन जीना चाहिए, ताकि वे आम आदमी की कठिनाइयों और चुनौतियों को समझ सकें।

प्रश्न: हमारी छोटी बेटियां अभी भी राजकुमार और रानियों की कहानियां सुनती हैं। किसी एमएलए या एमपी की कहानी नहीं आई कि एक राजा था की जगह कोई प्रधानमंत्री था। तो एक स्पार्क जगाती है बच्चों के मन में।

अनिरुद्ध सिंह : बिल्कुल, वो जिज्ञासा और स्पार्क इसलिए रहता है क्योंकि हम लोगों की फैमिलियां पीढ़ी-दर-पीढ़ी शासन करती थीं। जब आप किसी क्षेत्र या एरिया में इतने सालों तक अपनी फैमिली की पीढ़ियों को जनता की सेवा के लिए कुर्बान किया, तो गुणगान तो होता ही है। बचपन में मेरी तरफ से सब कुछ बड़ा साधारण था, लेकिन हाँ, स्कूल जाते थे तो लोग पूछते थे कि कितने बड़े घर में रहते हो, महल में रहते हो। मेरी माँ का विचार था कि जितना सामान्य हो सके, उतना सामान्य होना चाहिए। हाँ, कुछ चीजें ऊपर वाले की और पूर्वजों की दी हुई हैं, जैसे कलाकृतियाँ, बड़े महल। हमें उन पर गर्व करना चाहिए, उन्हें छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि उनके संरक्षण, विकास और स्थिरता के बारे में सोचना चाहिए।

प्रश्न: आपकी स्कूलिंग भरतपुर से हुई?

अनिरुद्ध सिंह : शुरुआती स्कूलिंग मेरी भरतपुर में ही हुई। फिर मैं आगे की पढ़ाई के लिए बाहर गया, कैम्ब्रिज में एक बोर्डिंग स्कूल है, दिल्ली स्कूल। वह एक प्रतिष्ठित और अकादमिक रूप से कठोर बोर्डिंग स्कूल था, जहाँ मेरी सीनियर स्कूलिंग पूरी हुई। उसके बाद मैंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) से कंप्यूटर साइंस और मैनेजमेंट में बीएससी अंडरग्रेजुएट किया, जो दुनिया की टॉप 10 यूनिवर्सिटीज में से एक है। मुझे डिस्टिंक्शन मिला, और उसके बाद मैंने प्योर मैनेजमेंट में एमएससी भी UCL से किया, जिसमें मेरिट लिस्ट में नाम आया। फिर मैंने असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर के रूप में 2 साल के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मार्केटिंग और एंटरप्रेन्योरशिप पढ़ाया। UCL मेरे लिए एक परिभाषित क्षण और स्थान रहा। मेरी माँ का बहुत सपोर्ट था, उन्होंने कहा जहाँ जाना चाहते हो अपनी यूनिवर्सिटी करने के लिए वहाँ जाओ। आज भी अगर जिम्मेदारियां हावी न हों, तो मेरा दिल एक असिस्टेंट प्रोफेसर या प्रोफेसर और एक रिसर्च स्कॉलर का ही है, और मैं UCL वापस जाना चाहूँगा।

प्रश्न: भारत की स्कूलिंग और वहां की शिक्षा में क्या अंतर नजर आता है?

अनिरुद्ध सिंह : यहाँ पर यह स्मृति का परीक्षण (Test of Memory) है। चीजों को पढ़ाकर, रटाकर और उन्हें परीक्षा कक्ष में रिप्रोड्यूस करना पड़ता है। जबकि यूके में यह अनुप्रयोग का परीक्षण (Test of Application) है। वहाँ थ्योरीज पढ़ाने के बाद वे देखते हैं कि आप उन्हें व्यावहारिक रूप से एक परीक्षा स्थिति में कैसे अप्लाई कर सकते हो। प्रैक्टिकेलिटी पर वहाँ ज्यादा महत्व होता है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम कंटेंट रिच है, लेकिन उस कंटेंट का व्यावहारिक और एप्लीकेशन का जो टेस्ट होना चाहिए, वह नहीं हो पाता। भारत के शीर्ष स्कूलों ने भी इस समस्या को पहचाना है, इसीलिए कई प्रतिष्ठित स्कूल CBSE या ICSE से इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (IB) में चले गए हैं, जैसे मुंबई का अंबानी इंटरनेशनल स्कूल। अच्छी चीज को अपनाने में कोई बुरी बात नहीं है।

प्रश्न: लंदन से वापस भारत क्यों आए?

अनिरुद्ध सिंह : लंदन के बाद मैं दुबई में हॉस्पिटैलिटी में मार्केटिंग के रोल में रहा, और वहाँ से 2 साल बाद मैं भारत वापस आया। घर तो घर होता है, और घर की जिम्मेदारियां भी होती हैं। वहाँ एक ऐसा बिंदु था कि जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी, एक कंफर्ट ज़ोन हो गया था। मेरे हिसाब से अगर युवावस्था में कोई पहले से ही कंफर्ट ज़ोन में आ जाए, तो फिर वहाँ से बाहर निकलना चाहिए, क्योंकि आपकी ग्रोथ और प्रोग्रेस कंफर्ट ज़ोन में कभी नहीं होती है।

प्रश्न: आतिथ्य सत्कार (Hospitality) के बारे में क्या विचार हैं?

अनिरुद्ध सिंह : मैंने बहुत जगह यात्रा की है और कई तरह के होटलों में रहने का मौका मिला। लेकिन जो आतिथ्य का वास्तविक अर्थ एशिया में मिलता है, और उसके ऊपर फिर भारत में मिलता है, वह आपको कहीं नहीं मिलेगा। जो दिल से आतिथ्य आता है, वह एक बहुत अलग अनुभव है और वह आपको केवल भारत में ही मिलेगा।

प्रश्न: आपको खेलों का शौक है?

अनिरुद्ध सिंह : मुझे स्पोर्ट्स में कोई खास शौक नहीं है। मैं आलसी हूँ। मुझे काउच, AC और TV मिल जाए तो मेरे लिए वह बेहतर रिलैक्सेशन है। मैंने एक बात जरूर नोटिस की है, स्पोर्ट्स से नहीं लेकिन स्वास्थ्य से संबंधित, कि जैसे जीवन व्यस्त होता जाता है, अगर एक्सरसाइज का समय नहीं मिलता, तो स्वस्थ खान-पान आपकी 70-80% समस्याओं को हल कर देता है। अगर मैं खाने के मामले में आलसी हूँ, तो मुझे अपना खाना बहुत गौर से देखना पड़ता है।

प्रश्न: आपके पसंदीदा भोजन क्या हैं?

अनिरुद्ध सिंह : मैं गिनवाने बैठूंगा तो खाने का मन करेगा, लेकिन चलो गिनवाता हूँ। बहुत ही सिंपल इंडियन जैसे बॉम्बे के वड़ा पाव, जयपुर और दिल्ली की चाट, छोले भटूरे, बटर पनीर – ये सारा नॉर्थ इंडियन स्नैक फूड और फास्ट फूड पसंद है। और फिर क्षत्रिय हूँ, राजस्थान का हूँ तो लाल माँस तो लिस्ट में ऑटोमैटिकली अपने आप आ जाता है।

प्रश्न: घर का खाना ज्यादा पसंद है या रेस्टोरेंट का?

अनिरुद्ध सिंह : मुझे घर में कुक होने के बावजूद, मुझे भी खाना पकाने का बहुत शौक है। अगर आप अपनी पसंदीदा चीज की रेसिपी देखकर उसे घर पर पकाते हैं तो बेहतर है, क्योंकि आप रेस्टोरेंट में सामग्री और तेल पर नियंत्रण नहीं कर सकते। घर में खाना थोड़ा स्वस्थ होता है, तो आप डबल खा सकते हो। मुझे बाहर खाने का भी बहुत शौक है, लेकिन कई बार पूरा दिन बाहर रहने के बाद शाम को दोबारा तैयार होकर बाहर जाने का मन नहीं करता, तो घर में TV के सामने पसंदीदा खाना मिल जाए तो बाहर क्यों जाना है?

प्रश्न: सोशल मीडिया की फिलॉसफी पर क्या सोचते हैं?

अनिरुद्ध सिंह : सोशल मीडिया दुनिया और व्यक्तियों के पास आज एक ऐसी ताकत है जो पहले नहीं थी। हर ताकत का एक उपयोग भी हो सकता है और दुरुपयोग भी। उसकी उपयोग करने की शक्ति अगर किसी में सकारात्मक रूप से है तो वह बहुत दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं। आज की तारीख में सूचना ही राजा है (Information is King)। सोशल मीडिया आपको सीधे व्यक्ति से जोड़ता है। मेरे साथ क्या है कि मैं बहुत खुला हूँ, जो बात दिमाग में होती है, वह तुरंत लिख दी जाती है और सोशल मीडिया पर पहुँच जाती है, तो वह सार्वजनिक हो जाती है। मुझे नहीं लगता कि किसी को कुछ छुपाने की जरूरत है। अगर आपके मन में कुछ है, तो उसे बोलिए, दिल भी हल्का रहता है और मन भी हल्का रहता है।

प्रश्न: सोशल मीडिया पर होने वाली कंट्रोवर्सीज को कैसे देखते हैं?

अनिरुद्ध सिंह : सोशल मीडिया पर मिसक्रिएंट्स कुछ भी कंट्रोवर्सी पैदा कर सकते हैं। जो लोग कंट्रोवर्सी पैदा करते हैं, मुझे उनके लिए बुरा लगता है कि उनके पास और कोई ऑक्यूपेशन नहीं है। अगर कोई रचनात्मक प्रतिक्रिया देता है, नकारात्मक भी हो पर रचनात्मक तरीके से, तो मैं उस पर विचार करता हूँ। लेकिन जो बिल्कुल फालतू के बेतुके रिप्लाई आते हैं, तो मैं बस यही कहता हूँ कि वह आपकी परवरिश और शिक्षा को दर्शाता है। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

प्रश्न: सचिन पायलट जी और आपके संबंध कैसे हैं?

अनिरुद्ध सिंह : सचिन पायलट जी हमारे परिवार के सदस्य हैं। मेरी माताजी उनको भाई मानती हैं। पायलट साहब के मेरे ऊपर बहुत अहसान हैं और उनका राजस्थान के लिए एक विजन है, जिसका मैं फैन हूँ। वह बहुत खुले व्यक्तित्व के और बेहद गर्मजोश इंसान हैं। परिवार में एक मुखिया जैसी विशेषताएं हैं उनमें। अगर पायलट साहब को मेरी जरूरत होगी, तो मैं सबसे आगे खड़ा रहूँगा। हम उनसे बातचीत करते हैं और मिलते भी रहते हैं, लेकिन वह एक ऐसी पार्टी (कांग्रेस) के सदस्य हैं जिसकी विचारधारा मेरे हिसाब से एंटी-नेशनल है। मैंने उनकी ऑफिशियल एंगेजमेंट्स से दूरी बना ली, लेकिन पायलट साहब के घर में कोई व्यक्तिगत जश्न होता है या हमारे घर में कोई सेलिब्रेशन होता है, तो हम वहाँ जाते हैं। मेरे ऑफिस में भी पायलट साहब का चित्र लगा हुआ है।

प्रश्न: आप बीजेपी के गुणगान करते हैं और आपके ऑफिस में पायलट साहब का चित्र लगा है, तो इसका क्या लेना-देना है?

अनिरुद्ध सिंह : मैंने कहा, उससे क्या लेना-देना है, पायलट साहब हमारे परिवार के सदस्य हैं। कल के दिन में अगर मैं कोई बीजेपी की ऑफिशियल पोजीशन पर भी बैठता हूँ, तो वह चित्र वहीं रहेगा, चाहे किसी को आपत्ति हो या न हो। मैं ऐसा नहीं हूँ कि इस पार्टी में हूँ तो चित्र निकाल दूँ, फिर इस पार्टी में तो वापस लगा दूँ। मैं बहुत ही खुला और पारदर्शी हूँ।

प्रश्न: आप कांग्रेस को एंटी-नेशनल क्यों मानते हैं?

अनिरुद्ध सिंह : कांग्रेस पार्टी ने हर देश से दबने की कोशिश करी। आज जो मोदी जी इंडिया में एक दबंगनेस लेकर आए हैं, वह पहले कहाँ थी? आज हम लोग किसी भी देश को कुछ भी बोल देते हैं जो हमको चाहिए। मैंने पहले भी कहा था कि इंडिया इंडिपेंडेंट 2014 में ही हुआ था जब मोदी जी आए थे, मेरे लिए तो तभी इंडिपेंडेंट हुआ इंडिया। कांग्रेस पार्टी के खुद के अलमारी में इतने कंकाल भरे हुए हैं कि वे डर जाते हैं। जैसे कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' आने वाली थी, कांग्रेस ने रिलीज होने से पहले ही हाहाकार मचा दिया, क्योंकि उन्हें पता है कि इंदिरा गांधी जी के क्या कुकर्म थे। इंदिरा जी ने जब इमरजेंसी लगाई तो हाउस का अप्रूवल लिया ही नहीं, फकरुद्दीन अली साहब (तत्कालीन राष्ट्रपति) के पास सीधे गई और बोला कि इसको साइन कर दो। यह एक डिक्टेटरशिप ही तो थी। कांग्रेस पार्टी तो एंटी-नेशनल ही है, मैं तो कहता हूँ ओपनली इस बात को।

प्रश्न: भारत में कौन सी शख्सियतें आपको प्रेरित करती हैं?

अनिरुद्ध सिंह : मेरी विचारधारा बहुत स्पष्ट है - हेडगेवार साहब और आरएसएस की विचारधारा, हिंदू विचारधारा, मोदी जी की विचारधारा, मेरी तो वही है। कई तरह की शख्सियतें हैं भारत में जो मुझे प्रेरित करती हैं, उनमें नीता अंबानी भी हैं। आज की तारीख में दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जो मिसेज अंबानी के पास नहीं है, फिर भी वह अपने कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकलकर क्या-क्या नहीं करतीं। वह बॉम्बे में दो स्कूल चलाती हैं, जामनगर में पूरा सोसाइटी करती हैं, अपनी पूरी फैमिली को साथ में रखते हुए बिजनेस में भी ध्यान देती हैं। उनकी वजह से आज की तारीख में कितना रोजगार है। NMACC (नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर) क्या है? हमारी पुरानी सांस्कृतिक चीजों को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने बनाया है, चाहे वह कला हो, संगीत हो, या हस्तकला हो। वह देश को अपनी क्षमता में जितना दे रही हैं, मुझे नहीं लगता कोई एक इंसान इतना कर सकता है, वह 10 लोगों का काम कर रही हैं। एशियन गेम्स और ओलंपिक्स को जिस तरह से उन्होंने स्पॉन्सर किया, 100 मेडल वाला 'लहरा दो' चैंपियन इंडिया हाउस पहली बार हुआ, उनकी वजह से। वह मेरे हिसाब से श्रीनाथ जी की एक भेंट और आशीर्वाद हैं देश के लिए। वह बहुत धार्मिक भी हैं, नाथद्वारा और कई मंदिरों के विकास में उन्होंने योगदान दिया है। उन्होंने अपने बेटे की शादी में अपनी संपत्ति का 1% खर्च किया और कितनी सारी रोजगार के अवसर पैदा किए। घर में मेरी माताजी मेरी प्रेरणा हैं। और फिर महाराज सूरजमल तो हमारे भरतपुर के आराध्य हैं ही। अगर थोड़े और आधुनिक 'सामंतवाद' में आएं तो महाराजा उमेद सिंह जी मारवाड़ के क्या शासक थे, क्या क्रांतिकारी थे, क्या दूरदर्शी थे? उनके जमाने में जोधपुर एयरपोर्ट इंटरनेशनल था, और मुझे लगता है कि आज भी होना चाहिए।

प्रश्न: सामंतवाद वाली कंट्रोवर्सीज और इतिहास को लेकर क्या देखते हैं?

अनिरुद्ध सिंह : रॉयल्टी, सामंतवाद और जाति व्यवस्था अलग-अलग चीजें हैं। कॉलोनियल सिस्टम अलग है जहाँ दूसरे देश ने आकर राज किया। आप थाईलैंड, यूरोप या मिडिल ईस्ट कहीं भी जाएंगे, तो उनकी पुरानी रॉयल फैमिलीज, चाहे वे आज सत्ता में हों या न हों, उनका सम्मान है, उनके चारों ओर एक आभा है। भारत में दुर्भाग्य से, कांग्रेस पार्टी की वजह से, क्योंकि उन्हें खुद गांधी परिवार को भारत की रॉयल्टी बनना था, हम सब लोगों को दरकिनार किया गया और एक विचारधारा फैलाई गई कि ये लोग खराब हैं। इसीलिए आज पुरानी भारतीय रियासतों और शाही परिवारों को एक प्रश्नवाचक तरीके से देखा जाता है, जो गलत है। अगर इतना ही गलत होता, तो मोदी जी गुजरात में रॉयल फैमिली ऑफ इंडिया का म्यूजियम क्यों बनवा रहे होते? हमारा योगदान प्रधानमंत्री जी खुद मानते हैं, तो हमें इस बात से शर्माना नहीं चाहिए। यह कांग्रेस की फैलाई हुई गलत विचारधारा है।
प्रश्न: आईएएस/आईपीएस सिस्टम और नौकरशाही पर क्या विचार हैं?

अनिरुद्ध सिंह : ब्यूरोक्रेसी और रेड टेप तो हर जगह है, कहीं ज्यादा है कहीं कम। कॉलोनियलिज्म से मेरा मतलब था कि आप एक दूसरे देश पर कब्जा कर रहे हैं उनके संसाधनों का शोषण करने के लिए। यह गलत है। हर सिस्टम को समय के हिसाब से आधुनिक होना चाहिए। यूके में अगर आप डॉक्टर हैं और ब्यूरोक्रेसी में आते हैं तो आपको मेडिकल लाइन की ही पोस्टिंग दी जाती है, क्योंकि आप उसे समझते हैं। यहाँ भारत में किसी भी शैक्षिक पृष्ठभूमि से आने पर किसी भी प्रकार की पोस्टिंग मिल जाती है, जिससे कौशल सेट का बेमेल (skill set mismatch) हो जाता है।

प्रश्न: आपकी माताजी, दिव्या सिंह जी, आरपीएससी मेंबर रही हैं। उनके आरपीएससी से इस्तीफे के बारे में क्या जानते हैं?

अनिरुद्ध सिंह : वर्तमान आरपीएससी के बारे में मैं कुछ नहीं कहूँगा। मेरे बहुत अजीज मित्र कर्नल केसरी सिंह जी सदस्य हैं आरपीएससी के, और मुझे लगता है कि एक आर्मी मैन और एक राठौड़ के रूप में उनकी अखंडता बिल्कुल अक्षुण्ण है। जब तक केसरी सिंह जी वहाँ हैं, तब तक सब कुछ निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होता रहेगा। मेरी माताजी आरपीएससी की सदस्य थीं और कांग्रेस की सरकार थी। उनकी क्या मजबूरियां थीं कि उन्होंने इस्तीफा दिया, यह आप उनसे पूछिए। उनके इस्तीफे के 6 महीने बाद आरपीएससी में जो कुछ भी हुआ (चेयरमैन को कॉम्प्रोमाइज सिचुएशन में पकड़ा गया), वह सब जानते हैं। इन चीजों से बचने के लिए ही उन्होंने इस्तीफा दिया।

प्रश्न: आपकी पर्सनल लाइफ, गर्लफ्रेंड्स और शादी को लेकर कुछ है?

अनिरुद्ध सिंह : मेरी पर्सनल लाइफ बहुत खुली और शुष्क है (My personal life is very open and dry at the same time)। उसमें कुछ कहने की बात ही नहीं है। अगर कुछ होता तो अभी तक सोशल मीडिया पर होता। यह सब चीजें स्वाभाविक हैं, और जब होंगी तो सबको पता होगा। शादी केवल किसी को लाना नहीं है, यह आपके पृष्ठभूमि, संस्कृति, जीवनशैली और आदतों के मेल (match) की बात है। अगर मिल जाए तो ठीक है, एक्टिवली खोजना नहीं चाहिए। मेरे कई दोस्त हैं जो सक्रिय रूप से पति या पत्नी ढूंढ रहे हैं, मैं कहता हूँ कि इन चीजों को आप सक्रिय रूप से कैसे ढूंढ सकते हो, यह तो स्वाभाविक होने वाली चीजें हैं।

प्रश्न: क्या आपने खूबियों की कोई लिस्ट बना रखी है?

अनिरुद्ध सिंह : खूबियां नहीं होनी चाहिए, बल्कि कॉमन इंटरेस्ट्स की लिस्ट होनी चाहिए जो मैच होने चाहिए। जैसे एक दोस्त भी बनाते हैं तो इंटरेस्ट मैच होने चाहिए। आपके इंटरेस्ट और आपके दीर्घकालिक लक्ष्य (long term goals) और आपके पारिवारिक पृष्ठभूमि और संस्कृति की लिस्ट होनी चाहिए आपके पास, और उस लिस्ट को मैच किया जाए, न कि यह लिस्ट कि ऐसा इतना सुंदर हो, वैसा हो। संस्कृति और पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद महत्वपूर्ण है (Culture and Family Background is in absolutely very very important)। क्योंकि एक लंबी जिंदगी जीनी है।

प्रश्न: अंग्रेजी भाषा और क्षेत्रीय भाषाओं पर आपके क्या विचार हैं?

अनिरुद्ध सिंह : अंग्रेजी भाषा की दुनिया में आज की तारीख में महत्ता इसलिए है क्योंकि ब्रिटिश साम्राज्य ऑलमोस्ट पूरी दुनिया में फैल चुका था, और उन्होंने अपनी भाषा दुनिया के हर कोने में छोड़ी। यह एक एकीकृत कोड बन गई विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और राष्ट्रीयताओं को आपस में संवाद करने के लिए। वहाँ तक तो ठीक है, अगर उपनिवेशवाद का कोई उपहार मिला जो एक समान भाषा है तो अच्छी बात है। हालाँकि, अंग्रेजी को अनिवार्य करना या जबरदस्ती थोपना गलत बात है। भारत में इतनी पुरानी भाषाएं हैं, जैसे दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक तमिल है, और इतनी क्षेत्रीय बोलियाँ, इतनी क्षेत्रीय भाषाएँ, इतने एक्सेंट हैं कि सबको फलने-फूलने देना चाहिए। कांग्रेस की तरह अंग्रेजी के छाते के नीचे सबको लाकर खत्म नहीं करना चाहिए। सबकी एक व्यक्तिगत पहचान और जगह होनी चाहिए। मैं तो कहता हूँ मारवाड़ी को एक राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलना चाहिए, क्यों न मिले राजस्थानी को? मैं भी मारवाड़ी और मेवाड़ी दोनों सीखना चाहता हूँ।

प्रश्न: महाराज सूरजमल जी वाली कंट्रोवर्सी पर क्या सोचते हैं, जिसमें जाट और राजपूत का विभाजन किया जाता है?

अनिरुद्ध सिंह : यह गलत है। अगर आपको राजनीति करनी है या किसी व्यक्तित्व को अपने काम में शामिल करना है, तो आप वर्तमान मुद्दों को लेकर करिए। 300, 400, 500 साल पहले क्या हुआ, क्या नहीं हुआ, वह एक इतिहास है, उसे जानना जरूरी है। लेकिन उसको फिर लाकर और अपने हित में कंट्रोवर्सी में तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना और उसका राजनीतिक उपयोग करना बिल्कुल गलत है, यह पूर्वजों का अपमान है। मैंने 2 साल पहले एक पॉडकास्ट में कहा था कि महाराज सूरजमल जी जैसे होते तो वह जाट-राजपूत के इस विभाजन को नापसंद करते। भरतपुर रॉयल फैमिली का निकास करौली रॉयल फैमिली से हुआ है, और हम लोग करौली जादौन राजपूत हैं। इसमें क्या गलत बात है? सैन्य और सैन्य गठबंधनों की वजह से कुछ शादियां हुईं जिसकी वजह से हम जाट बने और फिर भरतपुर इतनी बड़ी रियासत बनी और एक जाट किंगडम बना। हम उसे इनकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन जहाँ से आप आए हो, वहाँ से इसे छिपाने की क्या बात है? आपको अपनी जड़ों को छिपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत मत करिए, यह बात है। मैंने तो एक बात बोली 2 साल पहले, वह खत्म हो जानी चाहिए थी, लेकिन नहीं हुई। अगर आप मुझे दबाने की कोशिश करोगे तो मैं और बोलूँगा उस चीज को, फिर और तथ्य निकलते हैं सामने।

प्रश्न: कुछ और बात जो आप बताना चाहें?
अनिरुद्ध सिंह : देखिए जैसे अभी ऑपरेशन सिंदूर हुआ। राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में थी इसलिए ऑपरेशन सिंदूर किया गया। सब लोगों को प्रधानमंत्री साहब को और सेना को मिलकर समर्थन करना चाहिए। यह सस्ती राजनीति जो कांग्रेस पार्टी कर रही है, वह गलत है। सेना पर, सशस्त्र बलों पर, प्रधानमंत्री पर, राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यालय पर सवाल उठाना - यह सब हल्की, सस्ती हरकतें हैं। इस समय सबको एक साथ होना चाहिए।

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