Jaipur | राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री और सवाई माधोपुर से विधायक किरोड़ी लाल मीणा को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की ओर से भेजे गए इस नोटिस में मीणा पर सरकार के खिलाफ गलत आरोप लगाने और पार्टी अनुशासन भंग करने का आरोप लगाया गया है। इसके चलते भाजपा और खुद किरोड़ी लाल मीणा के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
भाजपा नेतृत्व का सख्त रुख: पार्टी अनुशासन की बात
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने नोटिस में लिखा कि किरोड़ी लाल मीणा पार्टी के सदस्य होने के साथ-साथ सवाई माधोपुर से भाजपा विधायक और मंत्री हैं। लेकिन उन्होंने सरकार पर गलत आरोप लगाकर पार्टी और सरकार की छवि धूमिल की है।
इसे भाजपा ने पार्टी संविधान का उल्लंघन बताते हुए अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखा है। पार्टी ने मीणा को तीन दिन के भीतर जवाब देने का समय दिया है। यदि वे इस अवधि में जवाब नहीं देते, तो इसे उनकी स्वीकृति माना जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
किरोड़ी लाल मीणा की प्रतिक्रिया: मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही
इस नोटिस के जवाब में किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन वे पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि नोटिस प्राप्त होते ही वे निर्धारित समय में जवाब देंगे।
हालांकि, उनके इस बयान से यह साफ होता है कि वे इस मुद्दे पर टकराव की स्थिति नहीं बनने देना चाहते हैं, लेकिन उनके आरोपों से पार्टी के अंदर असहमति जरूर दिखाई दे रही है।
कांग्रेस का हमला: 'संघर्ष करें किरोड़ी लाल, राज करेगा भजनलाल'
भाजपा के इस कदम पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि यह किरोड़ी लाल मीणा को निपटाने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि मीणा ने भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाए थे, लेकिन सरकार उनके ही खिलाफ हो गई।
उन्होंने बजरी खनन के घोटाले को उजागर किया और इसके बाद से ही सरकार उनके फोन टैप करवा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि जब भाजपा सरकार अपने ही मंत्री की नहीं सुन रही है, तो आम जनता की क्या स्थिति होगी?
विपक्ष का तेवर: 'सीएम का बयान आने तक सदन नहीं चलने देंगे'
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब तक मुख्यमंत्री इस मामले में सदन के पटल पर बयान नहीं देंगे, विपक्ष सदन नहीं चलने देगा। उनका कहना है कि भाजपा सरकार किरोड़ी मीणा के पीछे पड़ी हुई है और उनकी जासूसी कर रही है, जिससे यह पता चल सके कि उन्हें अंदरूनी जानकारी कौन दे रहा है।
लोकसभा चुनाव के बाद से ही जारी असंतोष
किरोड़ी लाल मीणा ने लोकसभा चुनावों में भाजपा के अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने पिछले साल जून में ही मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप दिया था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।
इसके बाद भी वे विभागीय कार्यों को देखते रहे, लेकिन मंत्रिमंडल की बैठकों में शामिल नहीं हुए। भाजपा नेतृत्व ने हमेशा कहा कि वे सरकार में मंत्री के रूप में कार्यरत हैं, लेकिन उनके इस्तीफे पर कोई आधिकारिक निर्णय नहीं हुआ।
फोन टैपिंग का मुद्दा और भाजपा सरकार पर सवाल
6 फरवरी को एक जनसभा के दौरान किरोड़ी लाल मीणा ने भाजपा सरकार पर फोन टैपिंग कराने का आरोप लगाया था। विपक्ष ने इस बयान को विधानसभा में उठाया और मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी।
मीणा ने कहा था कि उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया, लेकिन सरकार ने उनके आरोपों को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा था कि सरकार उनकी जासूसी कर रही है और उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही है।
भविष्य की राजनीति पर असर
भाजपा और किरोड़ी लाल मीणा के बीच जारी यह विवाद राजस्थान की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है। एक तरफ जहां भाजपा पार्टी अनुशासन का हवाला दे रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे सरकार के भीतर गहरे मतभेद के रूप में देख रहा है।
अब सवाल यह है कि क्या किरोड़ी लाल मीणा भाजपा के भीतर अपनी स्थिति मजबूत कर पाएंगे, या फिर यह विवाद उनके राजनीतिक करियर को नई दिशा देगा? भाजपा का अगला कदम क्या होगा और मीणा इस नोटिस का क्या जवाब देंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
डॉ. किरोड़ी को इग्नोर करना भारी पड़ सकता है
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा राजस्थान की राजनीति के एक प्रभावशाली और संघर्षशील नेता हैं, जिन्होंने जनता के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए हमेशा आवाज उठाई है। एक साधारण परिवार में जन्मे किरोड़ी मीणा ने चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उनका झुकाव राजनीति और समाजसेवा की ओर रहा।
उन्होंने जनता दल से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और बाद में भाजपा में शामिल होकर एक मजबूत जननेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। वे 6 बार विधायक और 3 बार सांसद रह चुके हैं और राजस्थान सरकार में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं। उनकी छवि एक जुझारू नेता की रही है, जो भ्रष्टाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकारों को घेरते रहे हैं।
धरना-प्रदर्शन और अनशन के जरिए वे लगातार जनता की समस्याओं को उजागर करते रहे हैं। भाजपा में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है, खासकर ओबीसी और आदिवासी राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत है।
राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद उनकी सक्रियता और भी बढ़ गई है, और वे आने वाले समय में पार्टी के लिए रणनीतिक भूमिका निभाने को तैयार हैं। उनकी लोकप्रियता और स्पष्टवादी शैली उन्हें प्रदेश की राजनीति में एक अपरिहार्य नेता बनाती है।