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तीन दिनों से सिटी पैलेस के धूणी माता के दर्शन को लेकर जारी विवाद बुधवार शाम को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हो गया। प्रशासन की मध्यस्थता और समाज के दबाव के बाद मेवाड़ राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस में प्रवेश कर धूणी माता की मूर्ति के दर्शन किए। यह मामला राजपरिवार के आंतरिक मतभेदों और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण व्यापक चर्चा का विषय बन गया था।
उदयपुर: तीन दिनों से सिटी पैलेस के धूणी माता के दर्शन को लेकर जारी विवाद बुधवार शाम को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हो गया। प्रशासन की मध्यस्थता और समाज के दबाव के बाद मेवाड़ राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस में प्रवेश कर धूणी माता की मूर्ति के दर्शन किए। यह मामला राजपरिवार के आंतरिक मतभेदों और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण व्यापक चर्चा का विषय बन गया था।
विवाद की पृष्ठभूमि
25 नवंबर 2024 को विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक किया गया। यह समारोह मेवाड़ की पारंपरिक परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ। राजतिलक के बाद, जब वे सिटी पैलेस के धूणी माता के दर्शन के लिए पहुंचे, तो उन्हें प्रवेश से रोक दिया गया।
यह घटना न केवल राजपरिवार के आंतरिक विवाद को उजागर करती है, बल्कि इसने समाज और प्रशासन के लिए भी चुनौती पैदा कर दी। महेंद्र सिंह मेवाड़ (विश्वराज सिंह के पिता) और अरविंद सिंह मेवाड़ (लक्ष्यराज सिंह के पिता) के बीच चल रहे संपत्ति विवाद ने इस विवाद को और जटिल बना दिया।
स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि सिटी पैलेस परिसर में पत्थरबाजी तक की नौबत आ गई। इस झड़प में कई पुलिसकर्मी और समर्थक घायल हो गए।
विवाद के समाधान के प्रयास
तीन दिनों तक चले इस विवाद के दौरान, समाज के कई प्रमुख लोग और विश्वराज सिंह के समर्थक खुलकर उनके पक्ष में आए। उन्होंने प्रशासन से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि धूणी माता के दर्शन के अधिकार को सुनिश्चित किया जाए।
प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सिटी पैलेस का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल और एसपी योगेश गोयल ने दोनों पक्षों के साथ बैठक की और विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए मध्यस्थता की।
बुधवार शाम करीब 6 बजे, प्रशासन की निगरानी में और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में, विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस में प्रवेश किया और धूणी माता के दर्शन किए।
धूणी दर्शन के बाद विश्वराज सिंह का बयान
धूणी माता के दर्शन के बाद, विश्वराज सिंह मेवाड़ ने अपनी खुशी जाहिर की और कहा:
"यदि पहली ही दिन इस मामले को सही तरीके से सुलझा लिया गया होता, तो विवाद इतना बड़ा रूप नहीं लेता। पत्थरबाजी और हिंसा जैसी स्थिति टाली जा सकती थी।"
उन्होंने यह भी बताया कि 40 वर्षों के बाद उन्हें सिटी पैलेस में प्रवेश कर धूणी माता के दर्शन करने का अवसर मिला।
राजपरिवार का संपत्ति विवाद
राजपरिवार के बीच संपत्ति को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। महेंद्र सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच यह विवाद कई वर्षों से चल रहा है और वर्तमान में यह मामला राजस्थान उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
25 नवंबर की घटना ने इस विवाद को और भी गहरा कर दिया। राजतिलक के बाद सिटी पैलेस में प्रवेश से रोकने के मुद्दे ने राजपरिवार की प्रतिष्ठा और साख को प्रभावित किया।
समाज और प्रशासन की भूमिका
इस विवाद ने न केवल मेवाड़ राजपरिवार के आंतरिक मतभेदों को सार्वजनिक किया, बल्कि यह समाज और प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया।
समाज के लोग: समाज के प्रमुख लोगों और समर्थकों ने प्रशासन से मामले में हस्तक्षेप करने और विश्वराज सिंह को धूणी माता के दर्शन का अधिकार देने की मांग की।
प्रशासन: जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सिटी पैलेस का प्रबंधन अपने हाथ में लिया।
जिला कलेक्टर और एसपी ने दोनों पक्षों के साथ मिलकर मामले का समाधान निकाला।
दर्शन के बाद का माहौल
धूणी माता के दर्शन के बाद समाज और समर्थकों में संतोष देखा गया। प्रशासन ने भी विवाद के शांतिपूर्ण समाधान पर राहत की सांस ली।
दर्शन के बाद, विश्वराज सिंह ने एकलिंगजी मंदिर में भी पूजा-अर्चना की और शांति की कामना की। इस दौरान, बड़ी संख्या में उनके समर्थक और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
महलों से सड़कों तक आया विवाद
इस विवाद ने केवल सिटी पैलेस तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह राजपरिवार से सड़कों तक पहुंच गया। तीन दिनों तक यह मुद्दा स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना।
समाज के लोग इस बात पर चिंतित थे कि राजपरिवार के बीच जारी यह विवाद मेवाड़ की गरिमा और परंपरा को प्रभावित कर सकता है।
तीन दिनों के तनाव के बाद, प्रशासन और समाज की भूमिका से यह विवाद शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हुआ। विश्वराज सिंह मेवाड़ के धूणी माता के दर्शन के साथ ही यह मुद्दा फिलहाल शांत हो गया है।
हालांकि, राजपरिवार के संपत्ति विवाद और आंतरिक मतभेदों को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। यदि इन मुद्दों को जल्द सुलझाया नहीं गया, तो यह मेवाड़ की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा को और नुकसान पहुंचा सकता है।
— उदयपुर से चेतन पटेल की रिपोर्ट