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राजपुरा में केंद्रीय राज्य मंत्री का दौरा, जल जीवन मिशन कार्यों में अनियमितताओं पर जताई कड़ी नाराज़गी
सिरोही | राजपुरा गांव में सोमवार को केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने जल जीवन मिशन के कार्यों का निरीक्षण किया। दौरे के दौरान ग्रामीणों ने मंत्री को ज्ञापन सौंपकर ठेकेदार द्वारा कार्य में बरती गई लापरवाही की शिकायत की।
ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार ने पाइपलाइन को नालियों के नीचे डाल दिया, जिससे गांव की अधिकांश सड़कों और नालियों को तोड़ डाला गया। अधूरा कार्य छोड़कर ठेकेदार लापता हो गया, और वर्तमान में पूरे गांव में कीचड़, गड्ढे और अव्यवस्था का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार, जलदाय विभाग को कई बार अवगत कराने के बावजूद समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।
मंत्री ने जताई कड़ी नाराज़गी, ठेकेदार ने नहीं उठाया फोन
राज्य मंत्री श्रीनिवास वर्मा ने मौके पर ही जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता (एक्सईएन) और एसई से कार्य की प्रगति की जानकारी ली। मंत्री ने जब ठेकेदार को बुलाने को कहा, तो अधिकारियों ने बताया कि उसे सूचना दी गई थी, पर वह नहीं पहुंचा। मंत्री ने ठेकेदार को तत्काल फोन लगाने को कहा, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि ठेकेदार ने फोन तक नहीं उठाया। यह देख मंत्री ने गहरी नाराज़गी जताई और कार्य की मॉनिटरिंग में हो रही लापरवाही पर अधिकारियों को फटकार लगाई।
सांसद चौधरी ने दिया 10 दिन का अल्टीमेटम
इस दौरान मौके पर उपस्थित सांसद लुंबाराम चौधरी ने विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा, आज हालात यह हो गए हैं कि अधिकारी ठेकेदारों से डरते हैं, जबकि ठेकेदारों को अधिकारियों से डरना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिलेभर में जल जीवन मिशन के तहत कार्यों में ठेकेदारों द्वारा मनमानी की जा रही है और अधिकारियों की मॉनिटरिंग व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है।
सांसद चौधरी ने जलदाय विभाग को 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेताया कि यदि निर्धारित समय में कार्य पूर्ण नहीं हुआ और गांव की मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो विभाग के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों को राहत की उम्मीद
केंद्रीय मंत्री और सांसद के हस्तक्षेप के बाद ग्रामीणों को अब समस्या के शीघ्र समाधान की उम्मीद बंधी है। मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सड़कों और नालियों की मरम्मत कार्य प्राथमिकता से किया जाए और ठेकेदार पर आवश्यक कार्रवाई की जाए।