नई दिल्ली, संसद भवन — लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान भील आदिवासी नेता और सांसद राजकुमार रोत ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पुलवामा हमले और उसके बाद हुई सैन्य कार्रवाई को लेकर कई सवाल खड़े किए और इसे "देश को झूठी तसल्ली देने की कवायद" बताया।
राजकुमार रोत ने कहा,
"धन्यवाद सभापति महोदय, आपने बोलने का जो अवसर प्रदान किया। मैं इस सदन में पुलवामा हमले में हताहत हुए हमारे 26 नागरिकों और ऑपरेशन सिंदूर के जांबाज़ वीर शहीदों को नमन करता हूँ। सेना के इस पराक्रम की हम सराहना करते हैं। देश की कठिन परिस्थिति में समस्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां एकजुट होकर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए खड़ी हुईं — इसके लिए मैं सभी को धन्यवाद देता हूँ।"
लेकिन इसके तुरंत बाद उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा:
"पाकिस्तानी आतंकियों ने हमारे देश में घुसकर 1 घंटे तक तांडव मचाया, 26 निर्दोष नागरिकों को मारा गया। हमने 'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर मुंहतोड़ जवाब देने का दावा किया, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी यह सदन और देश जानना चाहता है कि वो पाँच आतंकी कौन थे? कहां से आए? क्या वो पकड़े गए? क्या उन्हें मारा गया? इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।"
रोत ने केंद्र सरकार की नीतियों और दावों पर भी सवाल उठाए:
"आप 56 इंच के सीने की बात करते हो, लेकिन वो आतंकी हमारे घर के अंदर घुसकर लोगों को तड़पाकर मार गए। आज तक उन्हें पकड़ नहीं पाए। मीडिया ने इज़राइल और सीरिया के फर्जी वीडियो चलाए, कुछ चैनल तो यहां तक चला रहे थे कि हमने कराची पर कब्जा कर लिया।"
"कराची तक कब्जा हुआ तो हम भी अपना राज्य सिंध घाटी तक ले चलते!"
व्यंग्य करते हुए रोत ने कहा कि अगर सचमुच कराची पर कब्जा हो गया होता, तो वह स्वयं अपने प्रदेश को सिंध घाटी तक बढ़ाने की मांग करते।
उन्होंने आगे कहा:
"जब हम सरकार की आलोचना करते हैं, तो बीजेपी वाले हमें देशद्रोही कहने लगते हैं। लेकिन सरकार की आलोचना करना देशद्रोह नहीं है। भाजपा सरकार सेना नहीं है, और न ही देश है। यह बात सत्ता में बैठे लोगों को समझनी चाहिए।"
"नमस्ते ट्रंप, लेकिन ट्रंप के ट्वीट का कोई जवाब नहीं"
राजकुमार रोत ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट्स का ज़िक्र करते हुए कहा:
"ट्रंप ने 26-27 ट्वीट कर दिए, लेकिन हम एक का भी जवाब नहीं दे पाए। हम नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम करते हैं, डियर डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं, गले मिलते हैं और फिर पाकिस्तान के ISI चीफ को बुलाकर लंच कराते हैं।"
उन्होंने तीखा कटाक्ष किया:
"देश की जनता जानना चाहती है — क्या हम विश्वगुरु हैं, या डोनाल्ड ट्रंप हमारे गुरु हैं? अब देश को नौटंकी नहीं, मजबूत नीतियां चाहिए।"
"देश के अंदर भी धर्म पूछकर कार्रवाई हो रही है"
राजकुमार रोत ने अंत में सांप्रदायिक राजनीति पर हमला बोलते हुए कहा:
"आतंकी धर्म पूछ के मारते हैं, लेकिन आज देश के अंदर सरकारें भी बुलडोजर धर्म पूछ के चला रही हैं, मुआवज़ा जाति पूछ कर दे रही हैं। यह गलत हो रहा है।"
उन्होंने पुलवामा हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय फंडिंग का हवाला देते हुए कहा:
"पुलवामा हमले के बाद MIA ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर, ADB ने 80 मिलियन डॉलर और विश्व बैंक ने 8 मिलियन डॉलर दिए।"
"अब देश की जनता सिर्फ तस्वीर नहीं, ताकतवर नीति चाहती है"
भाषण के अंत में उन्होंने कहा कि देश की जनता अब सिर्फ तस्वीरों से नहीं, बल्कि मज़बूत नीति और ईमानदार जवाबदेही से संतुष्ट होगी। उन्होंने विपक्ष को भी इस मुद्दे पर एकजुट रहने का आह्वान किया।