खबर का असर | ThinQ360: नकली खाद की बिक्री की शिकायत के बाद विभाग सक्रिय, हलधर की बिक्री पर रोक और जांच शुरू

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Highlights

  • प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना के नाम के दुरुपयोग का श्री हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी पर आरोप

  • विभाग ने बिक्री पर रोक लगाई, समितियों से खाद के सैकड़ों बैग जब्त, जांच के लिए नमूने प्रयोगशाला भेजे

सिरोही | जिले में किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से नकली खाद बेचे जाने का मामला ThinQ360 द्वारा प्रमुखता से उठाए जाने के बाद कृषि विभाग हरकत में आ गया है। मामला उजागर होने के बाद विभाग ने श्री हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी की ओर से प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना के नाम का उपयोग कर बेची जा रही खाद की बिक्री पर रोक लगा दी है और जांच के लिए सैंपल एकत्रित किए हैं।

जानकारी के अनुसार, जैसे ही मामला सामने आया, संबंधित कंपनी ने भी सहकारी समितियों में रखे इस योजना के नाम वाले बैग हटवाना शुरू कर दिया। बावजूद इसके, विभागीय जांच की गति बेहद धीमी बनी हुई है।

किसानों की शिकायत के बाद खुला मामला

सिरोही जिले के किसानों ने जिला कलेक्टर को शिकायत दी थी कि सहकारी समितियों के जरिए प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना का नाम लेकर नकली खाद बेची जा रही है। यह खाद किसानों को 1100 से 1300 रुपये प्रति बैग बेची जा रही थी, जबकि सब्सिडी आधारित खाद की कीमत केवल 250 से 300 रुपये प्रति बैग है।

किसानों की यह शिकायत ThinQ360 द्वारा प्रमुखता से उठाए जाने के बाद प्रशासन व कृषि विभाग सक्रिय हुआ और बिक्री पर रोक लगाने का आदेश जारी किया।

जांच और कार्रवाई

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, सिरोही ने मामले की गंभीरता देखते हुए एक आदेश जारी कर जांच कमेटी गठित की। आदेश के बाद खाद निरीक्षक ने दो–तीन सहकारी समितियों से खाद के बैग सीज कर नमूने प्रयोगशाला भेजे।

विभाग ने एक समिति से 100 बैग और दूसरी से 250 बैग जब्त किए हैं। बताया गया कि जिले की कई समितियों में इस खाद के बैग बड़ी मात्रा में पड़े हैं, लेकिन अब तक उनकी जब्ती की कार्रवाई नहीं की गई है।

कंपनी से मांगे दस्तावेज

कृषि विभाग ने मार्केटिंग कंपनी से अनुज्ञा पत्र और आवश्यक दस्तावेज मांगे हैं। सूत्रों के अनुसार, विभाग ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या कंपनी को प्रधानमंत्री योजना का नाम उपयोग करने की अनुमति दी गई थी और यदि दी गई थी तो खाद सब्सिडी दर पर क्यों नहीं बेची गई। इससे विभागीय अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं कि कहीं वे कंपनी के इस कृत्य को बचाने का प्रयास तो नहीं कर रहे।

पूर्व में भी विवाद

एक साल पहले सिरोही सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के नवनियुक्त एमडी पन्नालाल चोयल ने निजी कंपनियों से खाद खरीदी पर रोक लगाते हुए सहकारी समितियों की स्वायत्तता सीमित कर दी थी। इसके बाद सरकारी खाद की कमी के बीच सहकारी समितियों ने निजी कंपनियों से खरीद बंद कर दी और उसी समय से हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी ने समितियों के जरिए अपनी खाद बेचना शुरू कर दिया।

इनका कहना है

“हमने दो सहकारी समितियों से हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी की खाद के नमूने लेकर प्रयोगशाला भेजे हैं। एक स्थान से 100 और दूसरे स्थान से 250 बैग मिले हैं। फिलहाल इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है।”
– विक्रम सिंह मीणा, कृषि अधिकारी एवं खाद निरीक्षक, सिरोही

report by Manoj Sharma Sheoganj

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