भारतीय ज्ञान परंपरा का योगदान: हरिभाऊ बागडे का विदेशों में भारतवंशी संस्कृति पर संबोधन

हरिभाऊ बागडे का विदेशों में भारतवंशी संस्कृति पर संबोधन
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे
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जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि जहां जहां भारतवंशी गए हैं, उस देश के विकास में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतवंशियों ने अपनी परंपरागत विशेषताओं को स्थानीय सांस्कृतिक धारा में सम्मिलित करके विदेशी राष्ट्रों को समृद्ध किया है।

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

बागडे सोमवार को राजभवन से कनाडा में आयोजित 'विदेश में भारतवंशी संस्कृति' विषयक वेबिनार में संबोधित कर रहे थे। 

बागडे ने इस दौरान कहा कि भारतवंशी जहां—जहां बसे हैं, वहाँ के राष्ट्रीय एवं सामाजिक जीवन में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने राजस्थान के उन लोगों को भी स्मरण किया जिन्होंने विदेशों में जाकर राज्य व देश का नाम रोशन किया है।

राज्यपाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 'गुरूजी' का स्मरण करते हुए कहा कि वह कहा करते थे, 'यह संपूर्ण विश्व मेरा घर है।' उन्होंने कहा कि गुरूजी यह बात इसीलिए कहते थे कि भारतवंशी कहीं भी जाते हैं तो उस देश को अपना घर मानकर वहां के विकास के लिए कार्य करते हैं।

उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा की भी इस दौरान विशेष चर्चा की तथा कहा कि आचार्य कणाद ने सबसे पहले परमाणु संरचना पर विश्वभर में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शून्य एवं दशमलव की खोज भारत में ही हुई।

इस खोज ने ही विश्वभर में गणितीय जटिलताओं को खत्म किया है। उन्होंने जगदीशचन्द्र बसु द्वारा 'माइक्रोवेव', 'बायोफिजिक्स' और 'प्लांट न्यूरोबायोलॉजी' के प्रवर्तक रहने और आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे द्वारा 'हिंदू रसायन विज्ञान के इतिहास' आदि की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय विज्ञान आरंभ से ही समृद्ध रहा है। इसने विश्वभर को विकास की प्रेरणा दी।

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