Delhi | दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की एक फ्लाइट उस वक्त भयावह स्थिति में आ गई, जब मिड-एयर टर्बुलेंस ने विमान को अपनी चपेट में ले लिया।
दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट पर आज शाम खराब मौसम के दौरान हवा में ही प्लेन पर बिजली गिरी....
विमान को डैमेज हुआ लेकिन पायलट ने इमरजेंसी लैंडिंग करके सुरक्षित 227 यात्रियों को उतार दिया....
तेज़ तूफ़ानी झटकों के बीच फ्लाइट में बैठे यात्रियों का प्रचंड चीत्कार गूंज उठा। घबराहट में कई मुसाफ़िरों की ज़ुबान पर देवताओं का नाम आ गया।
बताया जा रहा है कि विमान अचानक एक सक्रिय तूफानी सिस्टम में फंस गया था। बाहर बिजली गिरती दिख रही थी और तेज़ इंजन की आवाज़ें इस बात का संकेत थीं कि पायलट्स ने इंजन को फुल पॉवर पर डाल दिया था — जो कि इस तरह की स्थिति में मानक सुरक्षा प्रक्रिया है।
इस हादसे में विमान की डॉप्लर नोज़ को नुकसान पहुंचा है और फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी।
हालांकि राहत की बात ये रही कि विमान श्रीनगर एयरपोर्ट पर सुरक्षित उतर गया और सभी यात्री सकुशल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऐसे हालात में इंजन को पूरी ताक़त से न चलाया जाए, तो तूफानी हवाएं विमान को ज़मीन की ओर खींच सकती हैं।
फिलहाल DGCA ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और विमान की तकनीकी जाँच की जा रही है।
एक बड़ा हादसा टल गया... लेकिन सवाल उठते हैं कि क्या इस रूट पर मौसम की जानकारी पहले से मिल पाई थी या नहीं?
मिड-एयर टर्बुलेंस (Mid-Air Turbulence) का मतलब है — विमान के उड़ान के दौरान अचानक, अनियमित और तीव्र हिलना-डुलना या झटके लगना, जो आमतौर पर हवा की तेज़ और अस्थिर धाराओं की वजह से होता है।
आसान भाषा में समझिए:
जब प्लेन एक सीधी और स्थिर उड़ान भर रहा होता है, और अचानक उसे झटके लगने लगते हैं — तो यह टर्बुलेंस कहलाता है। ऐसा लगता है जैसे प्लेन हवा में उछल रहा हो या डोल रहा हो।
टर्बुलेंस क्यों होता है?
-
वायुमंडलीय दबाव में बदलाव
-
जेट स्ट्रीम (हवा की तेज़ धाराएं जो ऊँचाई पर बहती हैं)
-
बादलों और तूफानों के अंदर की हलचल
-
विमान के आगे किसी और विमान के निकलने से बना वेक टर्बुलेंस
-
माउंटेन वेव्स – पहाड़ों से टकराकर उठने वाली तेज़ हवा
मिड-एयर टर्बुलेंस कितने प्रकार का होता है?
-
लाइट टर्बुलेंस – हल्के झटके, आमतौर पर यात्री महसूस भी नहीं करते।
-
मॉडरेट टर्बुलेंस – थोड़ा तेज़ झटका लगता है, ट्रे में रखी चीज़ें हिल सकती हैं।
-
सीवियर टर्बुलेंस – बहुत तेज़ झटके, लोग सीट से उछल सकते हैं, सामान गिर सकता है।
-
एक्सट्रीम टर्बुलेंस – बहुत ही खतरनाक, विमान पर नियंत्रण मुश्किल हो सकता है। ये दुर्लभ होता है।
क्या टर्बुलेंस खतरनाक होता है?
-
ज्यादातर मामलों में नहीं। विमान इन परिस्थितियों को झेलने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।
-
लेकिन अगर टर्बुलेंस ज़्यादा तेज़ हो, और यात्री सीट बेल्ट न पहने हों — तो चोट लगने का खतरा होता है।
पायलट क्या करते हैं?
-
पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और मौसम रडार की मदद से पहले से टर्बुलेंस की पहचान करने की कोशिश करते हैं।
-
टर्बुलेंस ज़्यादा हो तो ऊंचाई या रूट बदल दिया जाता है।
-
और अगर अचानक टर्बुलेंस आ जाए, तो पायलट इंजन की पावर बढ़ाकर प्लेन को स्थिर रखने की कोशिश करते हैं।