Singer : लता मंगेशकर सात दशकों तक छाई रहने वाली आवाज़ का सफर

लता मंगेशकर सात दशकों तक छाई रहने वाली आवाज़ का सफर
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Highlights

लता मंगेशकर ने 1942 में मराठी फिल्म किटी हसाल में पहली बार गाना गाया। इसके बाद, 1945 में वह मुंबई आईं और हिंदी फिल्मों में अपनी पहचान बनानी शुरू की। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें 1949 में फिल्म महल के गीत "आएगा आनेवाला" से अपार प्रसिद्धि दिलाई

Bollywood | लता मंगेशकर, जिन्हें भारत की स्वर कोकिला कहा जाता है, भारतीय संगीत जगत की ऐसी महान गायिका थीं, जिनका नाम देश-विदेश में आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में जन्मी लता मंगेशकर ने संगीत की दुनिया में जो योगदान दिया, वह अद्वितीय और अमर है। उनकी सुरीली आवाज़ ने करोड़ों दिलों को छुआ और भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी।

लता मंगेशकर के पिता, पंडित दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध गायक और नाट्य कलाकार थे। संगीत का संस्कार उन्हें बचपन से ही मिला। मात्र पाँच वर्ष की उम्र में लता ने अपने पिता से संगीत सीखना शुरू कर दिया। उनके पिता के आकस्मिक निधन के बाद, उनके परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन लता ने अपने आत्मविश्वास और प्रतिभा से अपने परिवार को संभालने का संकल्प लिया।

लता मंगेशकर ने 1942 में मराठी फिल्म किटी हसाल में पहली बार गाना गाया। इसके बाद, 1945 में वह मुंबई आईं और हिंदी फिल्मों में अपनी पहचान बनानी शुरू की। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें 1949 में फिल्म महल के गीत "आएगा आनेवाला" से अपार प्रसिद्धि दिलाई।

लता मंगेशकर ने लगभग सात दशकों तक भारतीय सिनेमा में 36 से अधिक भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गाए। उनके गाए हुए गीत शास्त्रीय संगीत, भक्ति संगीत, देशभक्ति गीत, और रोमांटिक गानों की विविधता को दर्शाते हैं।
उनके प्रसिद्ध गीतों में "लग जा गले", "प्यार किया तो डरना क्या", "ए मेरे वतन के लोगों", "तुझे देखा तो ये जाना सनम", और "जिया जले" जैसे गाने शामिल हैं।

लता मंगेशकर को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त किए।
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें "मेलोडी क्वीन" और "नाइटिंगेल ऑफ इंडिया" की उपाधि दी गई।

लता मंगेशकर की आवाज़ में सादगी, भावनात्मक गहराई, और मधुरता थी, जो सीधे श्रोताओं के दिलों तक पहुँचती थी। उनकी गायिकी ने हर पीढ़ी को प्रभावित किया और उनकी आवाज़ का जादू समय के साथ और भी बढ़ता गया।

6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर ने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी हर दिल में गूंजती है। वह केवल एक गायिका नहीं थीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और कला का प्रतीक थीं।

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