बायकॉन 2024: तकनीक और शिक्षा के साथ भारत-जापान संबंधों में नई ऊंचाई

तकनीक और शिक्षा के साथ भारत-जापान संबंधों में नई ऊंचाई
Hari bhau bagde speech
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राज्यपाल  बागडे सोमवार को बियानी गर्ल्स कॉलेज द्वारा आयोजित 19वीं इण्डो-जापान अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस ‘बायकॉन-2024’ में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस समाज में छात्राओं को विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के अधिकाधिक अवसर मिलते हैं, वही समाज तेजी से विकास की राहों की ओर अग्रसर होता है

जयपुर । राज्यपाल  हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि यह समय ज्ञान आधारित  अर्थव्यवस्था का है। शिक्षा के साथ-साथ प्रौद्योगिकी, ज्ञान और नवाचारों से युवा 'विकसित भारत' की  संकल्पना में अपनी महती भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि सरकारी क्षेत्र के साथ निजी क्षेत्र की भी शिक्षा में महती भूमिका है।

भारतीय ज्ञान परम्परा के आलोक में वैश्विक स्तर पर राष्ट्र को अग्रणी करने के लिए सभी मिलकर कार्य करें। उन्होंने शिक्षा के जरिए भारत—जापान रिश्तों के अंतर्गत उद्यमिता, तकनीक और शिक्षा संबंधित सहयोग विकास के लिए ‘बायकॉन' जैसे आयोजनों को महत्वपूर्ण बताया।

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राज्यपाल  बागडे सोमवार को बियानी गर्ल्स कॉलेज द्वारा आयोजित 19वीं इण्डो-जापान अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस ‘बायकॉन-2024’ में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस समाज में छात्राओं को विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के अधिकाधिक अवसर मिलते हैं, वही समाज तेजी से विकास की राहों की ओर अग्रसर होता है। उन्होंने कहा कि भारत और जापान के संबंध सदियों पुराने हैं, जो न केवल हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में झलकते हैं, बल्कि अब विज्ञान, प्रौद्यागिकी और नवाचार में भी नई ऊँचाइयों को छू रहे है।

हमारे पास विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में एक-दूसरे से सीखने और साझा करने के कई अवसर हैं। जापान ने तकनीकी उत्कृष्टता, पर्यावरणीय स्थिरता और नवाचार में विष्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। वहीं भारत अपने युवाओं की प्रतिभा, शोध क्षमता और स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय प्राचीन ज्ञान परम्परा और तकनीकी समृद्धता के आलोक में भी कार्य किए जाने पर जोर दिया।

 बागडे ने कहा कि महिला शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार से ही संस्कारित समाज का निर्माण होता है। महिलाओं को अवसर प्रदान करने का अर्थ है, समाज का सशक्तिकरण। उन्होंने नारी को शक्तिरूपा बताते हुए कहा कि किसी परिवार में एक महिला यदि शिक्षित हो जाती है तो दो परिवार उससे लाभान्वित होते हैं।

हमारे देश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे आंदोलनों की जरूरत इसलिए पड़ी कि इसके जरिए समाज में नारी के अस्तित्व के जरिए जीवन मूल्य बचे रहें। उन्होंने भारतीय संस्कृति और संस्कारों की चर्चा करते हुए भारत को फिर से विश्वगुरू बनाने का भी आह्वान किया।

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