सरकार का सितम मासूमों पर क्यों: स्कूल भवन बनाने में नाकाम रहे मंत्री ओटाराम देवासी

स्कूल भवन बनाने में नाकाम रहे मंत्री ओटाराम देवासी
झौंपड़े के नीचे स्कूल में पढ़ते विद्यार्थी
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झौंपड़े में चल रहा सिमटी खेड़ा फली स्कूल, डेढ साल पहले हो चुका भवन का शिलान्यास

विधायक बनते ही ओटाराम देवासी को बताई थी समस्या, जश्न में डूबी सरकार यहां हुई फेल

खुद के बेटे को जिला क्रिकेट एसोसिएशन में भेजने में दिलचस्पी लेने वाले देवासी स्कूली बच्चों की पीड़ा ही भूल गए

सिरोही | मौजूदा भाजपा सरकार अपने एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर जश्न मना रही है, लेकिन जिस विधायक को यहां की जनता ने भारी मतों से जिताकर सरकार में भेजा। उन्होंने मंत्री पद लेकर भी मासूमों की पीडा को नहीं समझा। ठिठुरती सर्दी के बीच सिमटी खेडा फली के बच्चे सरकार के सितम को झेल रहे हैं।

स्थानीय विधायक व मंत्री ओटाराम देवासी ने जितनी दिलचस्पी अपने बेटे विक्रम देवासी को सिरोही जिला क्रिकेट संघ में भेजने में दिखाई। उसकी आधी दिलचस्पी सिमटी खेड़ा फली स्कूल के भवन बनवाने में दिखाई होती तो ये नौनिहाल आज झौंपडे में पढने को विवश नहीं होते। 

जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कृष्णगंज के गांव सिमटी खेड़ा फली में झौंपडे में प्राइमरी स्कूल चल रहा है। 

प्रदेश के सबसे ठंडे शहर माउंट आबू की तहलटी में बसे इस छोटे से गांव के नौनिहाल हाड़ कंपाती में सर्दी में ठिठुरते हुए पढाई को मजबूर है।

चारों तरफ जंगल से घिरे पहाडी इलाके में विचरण करते वन्यजीवों का खौफ बच्चों को रोजाना सताता है, लेकिन सरकार की बेपरवाही तो देखिए, चार साल में यहां स्कूल भवन बनाना तो दूर बिजली, पानी और रास्ता भी मुहैया नहीं करा पाई है। 

जबकि, डेढ साल पहले स्कूल भवन के लिए नेता यहां शिलान्यास कर चुके हैं। लेकिन, भवन निर्माण के लिए वन विभाग की अनुमति दिलाने में सफल नहीं हो पाई है। आदिवासी आबादी बाहुल्य सिमटी खेड़ा फली में 14 सितंबर 2021 को राजकीय प्राथमिक विद्यालय स्वीकृत कर उसका संचालन शुरू किया गया था। 

26 अगस्त 2023 को स्कूल भवन का शिलान्यास भी किया गया, लेकिन वन भूमि के विवाद में काम अटक गया। सरकार बदलने के एक साल भी यह विवाद नहीं सुलझने से मासूम तपती गर्मी, बारिश में टपकती छत और अब सर्दी ठिठुरते हुए पढाई को मजबूर है। 

स्कूल भवन नहीं होने से 67 नामांकन घटकर अब 37 तक पहुंच गया है। सिमटी खेड़ा फली के शिक्षक जेठाराम चैधरी ने बताया कि विद्यालय में बिजली, पानी, रास्ता और भवन की समस्या है। यहां शिक्षण के लिए दो शिक्षक कार्यरत है। रिकाॅर्ड भी थैले में रखना पड़ता है।

बारिश में करनी पड़ती है छुट्टी, वन्यजीवों का बना रहता है डर
माउंट आबू की पहाड़ियों से सटे सिमटी खेड़ा फली में स्कूल भवन नहीं होने से मौसम में बदलाव के साथ बच्चों को पीडा झेलनी पडती है। 

बारिश होते ही झौंपड़ा टपकने के कारण स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है। गर्मी के दिनों में आंधी-तूफान के दौरान झौपडा गिरने या बिखरने से हादसे की आशंका के बीच छुट्टी करनी पडती है।

भीषण गर्मी व लू चलने पर भी छुटटी करनी पडती है। अभी सर्दी के मौसम में देर सुबह तक कडाके की सर्दी रहती है, जिसमें बच्चे झौपडे में बैठते ही ठिठुरने लगते हैं। ऐसे में बच्चों के बीमार होने की चिंता सताती है। 

वन क्षेत्र होने से भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्तों समेत अन्य जंगली जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है। ऐसे में खुली जगह जंगल में पढ़ाना असुरक्षा का माहौल पैदा करता है।

पानी-बिजली की सुविधा नहीं, रिकाॅर्ड भी थैले में रखते हैं

स्कूल के पास खुद का भवन नहीं होने से यहां के निवासी जेपाराम देवासी ने अपने घर में स्कूल चलाने की अनुमति दी। 

तीन साल बाद उनके बेटे की शादी होने के बाद उन्होंने स्कूल को खाली करवा दिया। बच्चे कहां पढ़ने जाएं इसको देखते हुए ग्रामीणों ने झौंपडा बनाया, जिसमें करीब दो साल से स्कूल चल रहा है। झौंपड़े में चल रहे विद्यालय में पानी, बिजली की कोई सुविधा नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को घर से बोतलों में पानी लाना पड़ता है। बिजली की कोई व्यवस्था नहीं होने से भीषण गर्मी में बेहाल हो जाता है। स्कूल का रिकाॅर्ड भी शिक्षक थैले में रखते हैं, जिसे स्कूल लाते और ले जाते हैं। 

भवन स्वीकृत हो चुका, लेकिन बना नहींः शिक्षक
यह एकदम पहाड़ी इलाका सुनसान और पूरा जंगली है। भवन नहीं होने से झौंपड़े में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। बिजली, पानी और सुगम रास्ता तक नहीं है। जंगली जानवर व कुत्तों के काटने की कई बार घटनाएं हो चुकी है और सबसे बड़ी समस्या विद्यालय का रिकॉर्ड रखने की है। भवन स्वीकृत हो चुका है, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है। अभी 37 नामांकन है।
-जेठाराम चौधरी, अध्यापक, सिमटी खेड़ा फली

जीतने के बाद विधायक नहीं पहुंचेः ग्रामीण
एमएलए साहब जितने के बाद एक बार तो यहां पहुंचे। मैंने मेरे घर में स्कूल चलवाई, लेकिन बेटे की शादी के बाद यहां से खाली करवाना पडा। ग्रामीणों ने झौंपडा बनाया, जिसमें बच्चे पढते हैं। बिजली, पानी, रास्ता कोई सुविधा नहीं है। महीने भर पहले विद्यालय से कुछ बच्चे पानी पीने के लिए सिमटी फली आए, जहां तीन बच्चों पर कुत्तों ने हमला कर दिया, जिससे बच्चे विद्यालय जाने से कतराते है। 
-जेपाराम देवासी, निवासी सिमटी खेड़ा फली

भवन निर्माण के लिए विभाग प्रयासरतः डीईओ
सिमटी खेड़ा फली स्कूल के भवन का बजट मंजूर हो चुका है और काम भी शुरू किया गया था, लेकिन वन क्षेत्र से जुडा मामला होने के कारण काम अटक गया। इसकी अनुमति के लिए लगातार अधिकारियों से पत्र व्यवहार किया जा रहा है।
-जितेंद्र लोहार, जिला शिक्षा अधिकारी, सिरोही

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