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मौसम विशेषज्ञों और ज्योतिषाचार्यों का अनुमान है कि नौतपा 2025 में भीषण गर्मी पड़ेगी। राजस्थान जैसे राज्यों में तो तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है। हीट वेव और उष्ण रात्रि भी दर्ज हो सकती है। हालांकि, कुछ हिस्सों में तेज मेघ गर्जन, आंधी और हल्की से मध्यम बारिश की भी संभावना है, लेकिन कुल मिलाकर प्रचंड गर्मी का दौर जारी रहेगा। मंगल के सिंह राशि में गोचर और केतु के साथ युति के कारण नौतपा समाप्त होने के बाद भी 28 जुलाई तक गर्मी से पूरी राहत मिलने की उम्मीद कम है।
हर साल ज्येष्ठ माह में पड़ने वाला नौतपा, वह समय होता है जब सूरज अपनी सबसे तीव्र तपिश का प्रदर्शन करता है। यह केवल एक मौसमी घटना नहीं, बल्कि ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। 2025 में नौतपा 25 मई से शुरू होकर 8 जून तक चलेगा, और इस बार सूर्य और शुक्र की टकराहट के कारण प्रचंड गर्मी पड़ने की संभावना है।
क्या होता है नौतपा?
नौतपा का अर्थ है 'नौ दिन की तपिश'। यह वह अवधि है जब सूर्य ग्रह रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होते हैं, तो उनकी किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे तापमान में भारी वृद्धि होती है और गर्मी अपने चरम पर पहुंच जाती है।
यह अवधि कुल 15 दिनों की होती है, लेकिन इसमें से शुरुआती 9 दिन सबसे ज्यादा तपन वाले होते हैं, और इन्हीं को 'नौतपा' कहा जाता है। इसके बाद जब सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जाते हैं, तो नौतपा समाप्त हो जाता है।
नौतपा 2025 की खास बातें और प्रचंड गर्मी का कारण:
- कब से कब तक: इस साल नौतपा 25 मई, 2025 से शुरू होकर 8 जून, 2025 तक चलेगा। 25 मई को सूर्य सुबह लगभग 3 बजकर 26 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
- सूर्य और शुक्र की टकराहट: ज्योतिषीय दृष्टि से, रोहिणी नक्षत्र के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। सूर्य और शुक्र को परस्पर शत्रु माना जाता है। ऐसे में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो सूर्य की ऊर्जा और अधिक प्रभावी हो जाती है और शुक्र के साथ उनकी युति से तापमान और भी असहनीय हो जाता है। इसी कारण इस बार गर्मी सामान्य से अधिक तीव्र होने की आशंका जताई जा रही है।
- पृथ्वी के करीब सूर्य: नौतपा की अवधि में सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इससे सूर्य की किरणें और भी सीधी और तेज़ पड़ती हैं, जिससे गर्मी का प्रकोप बढ़ जाता है।
- मानसून का गर्भकाल: लोक मान्यता है कि नौतपा को मानसून का 'गर्भाधान काल' भी कहा जाता है। माना जाता है कि इन दिनों में जितनी ज्यादा गर्मी पड़ती है और धरती जितनी तपती है, उतनी ही अच्छी बारिश होती है। यह प्राकृतिक प्रक्रिया मानसून के वर्षा चक्र को सक्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि नौतपा "पूरा तपे", तो यह मानसून के लिए शुभ संकेत होता है।
इस साल नौतपा 2025 में क्या रहेंगे हाल?
मौसम विशेषज्ञों और ज्योतिषाचार्यों का अनुमान है कि नौतपा 2025 में भीषण गर्मी पड़ेगी। राजस्थान जैसे राज्यों में तो तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है। हीट वेव और उष्ण रात्रि भी दर्ज हो सकती है। हालांकि, कुछ हिस्सों में तेज मेघ गर्जन, आंधी और हल्की से मध्यम बारिश की भी संभावना है, लेकिन कुल मिलाकर प्रचंड गर्मी का दौर जारी रहेगा। मंगल के सिंह राशि में गोचर और केतु के साथ युति के कारण नौतपा समाप्त होने के बाद भी 28 जुलाई तक गर्मी से पूरी राहत मिलने की उम्मीद कम है।
नौतपा में सावधानियां और उपाय:
प्रचंड गर्मी से बचने और इसके दुष्प्रभावों से सुरक्षित रहने के लिए नौतपा के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है:
- खूब पानी पिएं: शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए पानी, नारियल पानी, जूस, शरबत आदि ठंडे पेय पदार्थों का खूब सेवन करें।
- धूप से बचें: दोपहर के समय घर से बाहर निकलने से बचें। अगर निकलना जरूरी हो तो हल्के और सूती कपड़े पहनें, सिर को ढकें और आंखों पर धूप का चश्मा लगाएं।
- हल्का भोजन: मसालेदार, गरिष्ठ और मांसाहारी भोजन से बचें। हल्का और सुपाच्य भोजन ग्रहण करें।
- दान करें: इस अवधि में जल, शरबत, पंखा, मिट्टी का मटका, छाता, सूती वस्त्र आदि का दान करना शुभ माना जाता है। इससे कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है।
- सूर्य देव की आराधना: रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करें और 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और सूर्य के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।
- मांगलिक कार्यों से बचें: नौतपा में शादी, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य करने से बचें।
- जीव-जंतुओं का ध्यान: छत पर पक्षियों के लिए अन्न और पानी की व्यवस्था करें। पेड़ों को उचित जल दें।
नौतपा केवल गर्मी का एक दौर नहीं, बल्कि यह प्रकृति के चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो आने वाले मानसून और फसल के लिए आधार तैयार करता है। इस दौरान संयम, सतर्कता और प्राकृतिक नियमों के अनुसार जीवनशैली को ढालना अत्यंत आवश्यक है।